मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।
गुड़गुड़ चाय यहाँ लोग मुड़मुड़ के माँग रहे हैं। मक्खन,नमक,काजू,बादाम को घोट घोट के एक ख़ास उपकरण दोम्बू में बनाई जाने वाली ये गुड़गुड़ चाय कई डिग्री माइनस टेम्परेचर में हाड़ कंपा देने वाली ठंड से बचाव के लिए रामबाण और औषधीय गुणों से भरपूर है ।कैलाश पर्वत और ट्रांस हिमालयन क्षेत्र में प्रसिद्ध ये ख़ास मेडिसिनल वैल्यू वाली पहाड़ी स्टाइल की चाय शिमला में इन दिनों देश विदेश से शिमला घूमने पहुँचे लोगों की पहली पसंद बनी हुई है।
शीतमरुस्थल कहलाये जाने वाले क्षेत्र लाहौल स्पीती के लोगों द्वारा बनाई जाने वाली सी बक थोर्न यानि छरमा एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर चाय भी लोगों को खूब आकर्षित कर रही है। थूपा,मोमो,थीस्फोलों की भी धूम मची है।ये व्यंजन पारंपरिक फसलों ओघला,फ़ाफ़रा,जौ से पुराने तरीक़ों से आज भी बनाया जाता है। इन उत्पादों की क़ीमते भी अच्छी ख़ासी हैं तब भी लोग पुराने प्रसिद्ध व्यंजनों का स्वाद लेने पहुँच रहे है।
दोपहर में खूब भीड़ यहाँ बढ़ जाती है और नानी.दादी के क़िस्से यहाँ स्वाद कि साथ ख़ूब सुने और सुनाये जा रहे हैं लोग लंच टाइम में दफ़्तरों से टोलियों में पहुँचकर अपने अपने इलाकों के स्वादिष्ट व्यंजनों से एक दूसरे को रूबरू करवाते देखे जा सकते है।
शिमला के रिज मैदान पर रूरल डेवलपमेंट आजीविका मिशन की ओर से खास आयोजन किया गया है।जिसके तहत मानों पूरे हिमाचल के पहाड़ों की रसोई शिमला के ऐतिहासिक रिज पर एक छत के नीचे हों।
यहां विशेष तौर पर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं पारंपरिक भोजन बना रही हैं।
यह न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दिन भर हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग जिलों के खाने का स्वाद चखने के लिए यहां भीड़ लग रही है।
रूरल डेवलपमेंट आजीविका मिशन के अधिकारी अंकित ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने आ रहे हैं।
30 दिसंबर तक यह फूड फेस्टिवल चलने वाला है।ये आयोजन न न केवल लोगों के लिए एक मंच पर अलग-अलग परंपराओं को जानने का मौका है, बल्कि इससे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है।
ये फूड फेस्टिवल 30 दिसंबर तक चलेगा।
शिमला में चल रहे इस फूड फेस्टिवल में लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है।
यहां दोपहर में लंच के समय भीड़ और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला का टूरिस्ट सीजन पीक पर है. पहाड़ों की रानी की खूबसूरत वादियों का दीदार करने पर्यटक यहां दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।इस बीच शिमला के रिज मैदान (Ridge Ground) पर पारंपरिक भोजन और वेशभूषा का समावेश देखने के लिए मिल रहा है।
यहां हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों के पारंपरिक भोजन परोसे जा रहे हैं। खास बात यह है कि पारंपरिक खाना बना रही स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं पारंपरिक परिधानों में भी नजर आ रही हैं।
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शिमला में पारंपरिक भोजन और पोशाक का समावेश से रिज मैदान पर पूरे हिमाचल की झलक दिख रही हैं।
बॉक्स फूड फेस्टिवल में ये भी है खास?
इस फूड फेस्टिवल में मंडी की कचौरी, ऊपरी शिमला का सिड्डू, कांगड़ा का मदरा, चंबयाली धाम, सोलन का कद्दू-मालपुआ, खीर, मीठा कद्दू, मीठा बदाना, मक्की की रोटी-सरसों का साग, मक्की का पराठा, कुल्लू का कोदे का सिड्डू लोगों की पसंद बने हुए हैं. यहां सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माने जाने वाली बिच्छू की सब्जी और गुच्छी का सूप भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है।
शाम के समय वाद्य यंत्रों पर नाटी का मजा
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इन दिनों पूरा हिमाचल चलकर यहां आ गया है। शाम के समय यहां पहाड़ी वाद्य यंत्रों पर नाटी लगाई जाती है। पहाड़ी वाद्य यंत्रों की मधुर थाप पर कलाकारों के साथ आम लोग भी जमकर नाटी डाल रहे हैं। स्थानीय लोगों के लिए जहां शिमला में ही अपने घर का एहसास हो रहा है। वहीं पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।