विधानसभा सचिवालय प्रशासन को अब तक 250 से ज्यादा सवाल मिल चुके है।
IBEX NEWS,शिमला।
लोकसभा चुनाव से पहले 18 सितंबर से शुरू हो रहे हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष ने कांग्रेस सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। विधानसभा सचिवालय प्रशासन को अब तक 250 से ज्यादा सवाल मिल चुके है। इनमें ज्यादातर सवाल BJP विधायकों द्वारा आपदा, राहत एवं बचाव कार्य, राहत राशि, सड़क, बिजली और पेयजल योजनाओं से जुड़े हुए हैं।वहीं विधानसभा सचिवालय प्रशासन ने भी मानसून सत्र को लेकर तैयारियां तेज कर दी है। इसी कड़ी में मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्र के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर विभिन्न विभागों की मीटिंग ली और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात रहेंगे। जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या में इजाफा किया जाएगा। CCTV से भी सुरक्षा पर नजर रखी जाएगी। सदस्य के अलावा किसी को भी बिना एंट्री पास के विधानसभा परिसर में आने की इजाजत नहीं होगी।
मानसून सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय में ई-प्रवेश पत्र ऑनलाइन आवेदन पर ही दिया जाएगा। ई-विधान प्रणाली में विधानसभा सचिवालय इसे ऑनलाइन तरीके से मुद्रित करेगा। यह आवेदन सभी ई- प्रवेश पत्र पाने वालों के लिए अनिवार्य है। विधानसभा सचिवालय में ई-प्रवेश पत्र की जांच के लिए पुलिस की ओर से कंप्यूटरीकृत जांच केंद्र मुख्य द्वारों पर स्थापित किए जाएंगे, जिससे कम से कम असुविधा हो तथा जांच भी पूर्ण हो। क्यूआर कोड के माध्यम से फोटो युक्त ई- प्रवेश पत्र को लैपटॉप के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा।
मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने आगामी मानसून सत्र के दृष्टिगत सुरक्षा प्रबंधों से संबंधित बैठक की अध्यक्षता की।
विधानसभा का सात दिवसीय मानसून सत्र 18 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इस बैठक में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सतवंत अटवाल, जिलाधीश शिमला आदित्य नेगी, प्रदेश विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा, पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक अमित कश्यप, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं गोपाल बेरी, सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के निदेशक राजीव कुमार मौजूद रहे। पठानिया ने बैठक में सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि सुरक्षा में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए। सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों से निगरानी सुनिश्चित की जाए। कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और अन्य पास धारक अपना शासकीय पास किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं करेगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।