IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल प्रदेश में अगले वर्ष भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की ओर से नया अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया जा रहा है।। जीएसआई देश के 11 राज्यों में अत्याधुनिक सिस्टम स्थापित होगा। इसी वर्ष से इसके लिए आंकड़े जुटाने शुरू होंगे। हालांकि, आईआईटी मंडी का अर्ली वार्निंग सिस्टम कामयाब नहीं हो पाया था। पश्चिमी हिमालयन क्षेत्रों में भूकंप और भूस्खलन की समस्याओं एवं चुनौतियों पर कार्यशाला में जीएसआई केंद्रीय मुख्यालय कोलकाता के उपमहानिदेशक डॉ. हरीश बहुगुणा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित विश्व के शीर्ष 10 देशों में भारत एक है। भूकंप के लिहाज से शिमला बेहद संवेदनशील है।
न्यू टीहरी की तर्ज पर शिमला को बसाया जा सकता है।
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कार्यशाला में मुख्यमंत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डीसी राणा ने कहा कि बरसात में भूस्खलन से 120 लोगों की मौत हुई है। आपदा से प्रदेश में करीब 10 हजार करोड़ का प्रत्यक्ष और 20 हजार करोड़ से अधिक अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ है। कार्यशाला के बाद प्रदेश के लिए एक्शन प्लान बनेगा। प्रधान सचिव राजस्व ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि आपदा से प्रदेश में पर्यटन और परिवहन क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। कार्यशाला में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त सचिव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सतपाल धीमान, प्रिंसीपल साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. एसएस रंधावा, विभिन्न जिलों के उपायुक्त, प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
दो सत्रों में भू-वैज्ञानिकों ने दी प्रस्तुति
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पहले तकनीकी सत्र में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण कोलकता और चंडीगढ़ से संयुक्त रूप से डॉ. हरीश बहुगुणा और डॉ. अतुल कोहली अपनी प्रस्तुति दी। सिक्किम केंद्रीय विद्यालय गंगटोक के प्रोफेसर विक्रम गुप्ता, एलएमएमसी देहरादून के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार, भूस्खलन शमन एवं सुधार केंद्र उत्तराखंड के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार, साउथ एशिया के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. हरी कुमार ने मिजोरम केस स्टडी पर प्रस्तुति दी। उन्होंने भूस्खलन को कम करने के लिए भवन नियमों में संशोधन के बारे में बताया। राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण संस्थापक सदस्य प्रोफेसर एन. विनोद चन्द्रा मेनन ने हिमालयी क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रतिरोधक्षमता निर्माण पर जानकारी दी। इसके अलावा जीईएनएसटीआरयू पूणे के प्रबंध निदेशक आशीष डी घरपुरा और केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल के प्रोफेसर एके महाजन ने भी प्रस्तुति दी। दूसरे सत्र में एनजीआरआई हैदराबाद के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्राणतिक मंडल, वाडिया संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. आरजे पेरुमल ने प्रस्तुति दी।