IBEX NEWS,शिमला।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल के कृषि मंत्री का बयान आया है कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती का काम बंद कर दिया जाएगा और पुराने प्राकृतिक खेती प्रणाली की तरफ फिर से कार्य शुरू किया जाएगा। यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है, हमें ऐसा लगता है कि (प्राकृतिक) खेती का कार्य पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार ने हिमाचल प्रदेश में शुरू किया था। शायद यह ही कांग्रेस हैं। वर्तमान सरकार इस फैसले को बदलना चाहती है, जहां पूरे देश भर में प्राकृतिक खेती का कार्य तेजी से बढ़ रहा है, वहीं हिमाचल प्रदेश में ऐसा नकारात्मक कदम उठाकर इस उत्तम कार्य को यह सरकार पीछे की ओर धकेलना चाहती है। हमारे पूर्व में रहे राज्यपाल ने भी इस कार्य को तेज गति से आगे बढ़ाया था। जिसका प्रचार आज गुजरात और दक्षिण भारत में किया गया है। आज पूरे विश्व के वैज्ञानिकों का भी यह मानना है कि प्राकृतिक खेती से आम जनमानस को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। आम खेती में हम केमिकल, पेस्टीसाइड, यूरिया कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार को इस जनहित के विषय को लेकर गंभीर चिंतन करना चाहिए।
मंगलवार को शिमला से जारी बयान में डॉ राजीव बिंदल ने आगे कहा है कि 2022 के चुनावों में जिला पंचायतीराज कर्मचारियों के साथ कांग्रेस के नेता भाषण दे रहे थ,े कि सरकार बनते ही उनकी सभी समस्याओं का समाधान कर देंगे और वह भी चुटकी बजाकर। यह विडियो आज सोशल मिडिया पर चल रहा हैं। आज पंचायती राज कर्मचारी अपने अधिकार के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं जिन्हें पूरा भी नहीं किया जा रहा। आज इन कर्मचारियों पर ‘‘नो वर्क नो पे‘‘ लगाया जा रहा है। क्या यह ठीक है? जब पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने ऐसा फैसला लिया था तो उस समय यही कांग्रेस सरकार थी जिसने पूरे प्रदेश में हल्ला बोल किया था। इन कर्मचारियों की नौकरी के प्रोफाइल भी मंगवा लिए गए हैं और उनके ऊपर जल्द कार्यवाही करने की तैयारी हो रही है। ऐसा लगता है कि हिटलर राज हिमाचल प्रदेश में चल पड़ा है। देश में हिमाचल ऐसा पहला राज्य होगा जहां पंचायत सचिव की शक्तियां पंचायत चैकीदार को दे दी गई है और चैकीदार व सभी कार्य कर रहंे है, जो पंचायत सचिव को करने चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री की शक्ति एसडीएम को दे दी गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि सीपीएस मामले पर सरकार बैकफुट पर जाती दिखाई दे रही है। पूरे समय सरकार धन न होने का रोना रो रही है पर सीपीएस पर पूर्ण रूप से खर्च कर रही है, इससे सरकार पर आर्थिक बोझा बड़ रहा है। सीपीएस की नियुक्ति असंवैधानिक है, सर्वोच्च न्यायालय के कानून के खिलाफ है। यह नियुक्ति दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस सरकार ने पूर्व जयराम सरकार को खूब कोसा की पूर्व सरकार ने लोन ले लिया पर पूर्व सरकार ने लोन लेकर हिमाचल प्रदेश में सरकारी दफ्तर, अस्पताल, कॉलेज का निर्माण किया तथा जनता की समस्याओं को सुलझाने का कार्य किया लेकिन वीरभद्र सरकार के दौरान प्रदेश पर छोड़े गए बावन सौ (5200) करोड़ रुपये के कर्ज का भाजपा ने कभी राग नहीं अलापा और केंद्र सरकार की मदद से उसे चुकता भी किया और आज व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर चल रही कांग्रेस झूठे आंकड़े देकर जनता को भ्रमित कर रही है। वीरभद्र सरकार के दौरान अनुबन्ध पर रखे गए करीब पन्द्र हज़ार (15000) कर्मचारियों को नियमित करने का श्रेय जयराम सरकार को जाता है और बदले की भावना से कार्य कर रही सुखु सरकार जनविरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है । इसके विपरित वर्तमान सरकार ने अपने 10 महीने के कार्यकाल में 10000 करोड़ का लोन लिया जिससे उन्होंने केवल संस्थान बंद करने का काम किया और अनुबन्ध, आउटसोर्स, कोरोना कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया इससे साफ जाहिर है कि हिमाचल प्रदेश में केवल मात्र प्रतिशोध की राजनीति चलाई। अगर हिमाचल प्रदेश सरकार की यही गति रही तो 60 महीने में 60000 करोड़ का लोन यह सरकार लेने जा रही है और अपनी 10 गांरटियां पूरी करने को तो इस सरकार को 40000 करोड़ का अतिरिक्त लोन और कर्ज लेना पड़ेगा। अगर इसका कुल जोड़ देखा जाए तो सरकार अपने 5 साल के कार्यकाल में एक लाख करोड़ का लोन लेगी, यह अपने आप में नया रिकॉर्ड होगा।