IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल में सेब सीजन करीब 1 करोड़ 78 लाख पेटी में ही सिमटता दिख रहा है। यह पांच साल में सबसे कम आंका गया है। बीते साल के मुकाबले इस साल करीब 1 करोड़ 58 लाख पेटी सेब कम हुआ।हालांकि, किन्नौर में करीब 4 लाख पेटी सेब अभी मंडी में पहुंचना बाकी है। मगर इस बेल्ट में सेबों के दाने का साइज कम है और ये बड़ा इशू बागवानों के लिये सिरदर्द बना हुआ है। तब भी बागवानों को दिल्ली, चंडीगढ़, अहमदाबाद, बेलगाँव महाराष्ट्र, हैदराबाद, विजयवाडा, जयपुर, वाशी मंडी मुंबई,पंजाब, बड़ौदा, सूरत और अन्य कई शहरों में दाम सही ही मिल रहे है और इसको लेकर सांगला बेल्ट के सेब बाग़वान तो गदगद है।
इस सीजन में अदाणी को भारी नुकसान का अंदेशा है। फसल कम और गुणवत्ता सही न होने से रामपुर, सैंज और रोहड़ू स्थित सीए स्टोर क्षमता के अनुसार पूरे नहीं भर पाए। अदाणी ने पहली बार पराला,पंचकूला और लाफूघाटी मंडी से भी सेब खरीद की। इस साल अदाणी ने अधिकतम 110 रुपये किलो तक सेब खरीद की और क्वालिटी कंट्रोल भी नहीं रखा। फिलहाल जो सेब कंपनी के सीए स्टोर में है वह मार्च के बाद बाहर निकलेगा।
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सेब खरीद करने वाली सबसे बड़ी निजी कंपनी अदाणी एग्रो फ्रेश भी इस साल 16,000 मीट्रिक टन सेब ही खरीद पाई है, जबकि लक्ष्य 25,000 मीट्रिक टन का था। एचपीएमसी और हिमफैड ने करीब 53,000 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है।
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प्रदेश में इस साल राज्य कृषि विपणन बोर्ड की मंडियों में करीब 88 लाख 92 हजार और मंडियों के बाहर 89 लाख 66 हजार पेटियों का कारोबार हुआ है। हालांकि, सेब की कम उपज और किलो के हिसाब से सेब बिक्री के चलते बागवानों को फसल के अच्छे दाम मिले। मौसम की बेरुखी से इस साल सेब उत्पादन प्रभावित हुआ। शुरुआत से ही मौसम ने साथ नहीं दिया। सर्दियों में कम बर्फबारी से कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चिलिंग ऑवर्स पूरे नहीं हुए और फरवरी में सूखे जैसे हालात रहे। मार्च के बाद शुरू हुआ बारिश का दौर अप्रैल-मई-अगस्त तक जारी रहा।
ये रहा बड़ा फ़ेक्ट:
बारिश, ओलावृष्टि और असमय बर्फबारी से फ्लावरिंग को नुकसान हुआ। गर्मियों में फ्लावरिंग के दौरान जब तापमान औसत 15 डिग्री जरूरी था तो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 8 डिग्री से भी नीचे लुढ़क गया। ठंड से पॉलिनेशन की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई। अप्रैल, मई में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ। अच्छे रंग और आकार के लिए जब धूप जरूरी थी तब प्री-मानसून की बारिश से नुकसान हुआ। उत्पादन गिरने का कारण जलवायु परिवर्तन भी माना जा रहा है, जिससे निपटने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।
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बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि इस साल भले ही फसल कम रही लेकिन किलो के हिसाब से बिक्री की व्यवस्था शुरू होने से बागवानों को उपज के रिकॉर्ड दाम मिले। मंडियों में सेब के औसत दाम 140 से 160 रुपये किलो तक मिले। मौसम की मार से उत्पादन प्रभावित हुआ। अब तक करीब 1.78 लाख पेटी सेब का विपणन हो चुका है।