IBEX NEWS,शिमला।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य संस्थान के प्रधानाचार्य पद्मश्री डॉ. ओमेश कुमार भारती तथा डॉ. डी.डी. बिष्ट द्वारा संकलित एवं सम्पादित ‘हिमाचल प्रदेश की सर्प प्रजातियां’ पुस्तक का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने जहरीले एवं कम जहरीले सर्प प्रजातियों के दस्तावेजीकरण में गहरी रूचि दिखाई और कहा कि इस बारे में प्रदेश के लोगों में जागरूकता लाना आवश्यक है।
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हिमाचल प्रदेश में हिमालयन ग्रीन पिट वाइपर, ग्रीन पिट वाइपर सेंट्रल एशिया कोबरा और कोरल हैं। इन के डसने पर बचाव के लिए कोई एंटी वेनम इंजेक्शन मौजूद नहींं है। प्रदेश में पाए जाने वाले सांपों में अभी तक सबसे जहरीले कोरल और सेंट्रल एशिया कोबरा है। 70 फीसद सांप जहरीले नहीं होते हैं, जबकि तीस फीसद सांप जहरीले होते हैं। इनमें भी सात प्रजातियां जो हिमाचल में पाई जाती हैं जहरीली होती हैं।
इस पुस्तक में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली सर्प प्रजातियों के छायाचित्र संकलित किए गए हैं। इनकी पहचान एवं दस्तावेजीकरण अनुसंधानकताओं के एक दल द्वारा किया गया है, जिसका नेतृत्व ब्रिटेन के बैंगर विश्वविद्यालय में मोलेक्यूलर बायोलॉजिस्ट डॉ. अनिता मल्होत्रा ने किया और इसमें डॉ. भारती एक सदस्य के रूप में शामिल थे।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी भी उपस्थित थे।
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प्रदेश में सांप की दो नई प्रजातियां बीते दो वर्षों के दौरान मिली हैं। इसमें सबसे जहरीला कोरल बीते वर्ष ही ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कुल्लू में वर्ष 2019 में ही मिला है, जबकि सेंट्रल एशिया कोबरा 2018 में चंबा के भंजराड़ू में पाया गया। इसके डसने से उस क्षेत्र में कई लोगों की मौत हो चुकी है।प्रदेश में पाए गए चार जहरीले सांपों की प्रजातियों के डसने पर उपचार के लिए कोई एंटी वेनम नहीं है।
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चार जहरीले सांपों के एंटी वेनम बनाने के लिए देश की जानी मानी दो लैब में प्रयोग चल रहे हैं। इसमें एक सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी हैदराबाद और तेजपुर में शोध चल रहा है। अभी तक 40 फीसदी तक जहर को नियंत्रित किया जा सका है।