सुप्रीम कोर्ट से भी ओबेराय समूह को झटका, हिमाचल सरकार को वाइल्ड फ्लॉवर हॉल होटल सौंपने के दिए आदेश, पढें आखिर क्या है पूरा मामला

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शिमला स्थित वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल पर अब राज्य सरकार का बा-कायदा हक हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिमाचल सरकार मार्च 2024 में इस नामी होटल पर कब्जा कर लेगी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ये होटल हिमाचल प्रदेश सरकार का हो गया।

IBEX NEWS,शिमला।


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली ओबेराय समूह के स्वामित्व वाले ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड (ईआईएच) की अपील खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने ईआईएच को शिमला के मशोबरा स्थित होटल वाइल्ड फ्लावर हाल को सरकार को मार्च, 2024 तक सौंपने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया है।

हिमाचल हाई कोर्ट ने पांच जनवरी को होटल सरकार को सौंपने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए वित्तीय मामले निपटाने के लिए दोनों पक्षों को नामी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नियुक्त करने का आदेश भी दिया था।
सरकार के आवेदन का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ओबेराय ग्रुप मध्यस्थता के निर्देश का पालन तीन माह की तय समयसीमा के भीतर करने में असफल रहा, इसलिए प्रदेश सरकार होटल का कब्जा और प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए पात्र हो गई। मामले की अनुपालन रिपोर्ट 15 मार्च को पेश करने का आदेश दिया था। हिमाचल सरकार और ओबेराय समूह के बीच इस संपत्ति को लेकर दो दशक से विवाद चल रहा है।सरकार के इस निर्णय को कंपनी ला बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। कंपनी लॉ बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। हिमाचल सरकार ने इस निर्णय को हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी। हाई कोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) के पास भेजा।
आर्बिट्रेटर ने 2005 में कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी। 17 नवंबर, 2023 को हाई कोर्ट ने सरकार को होटल पर तत्काल कब्जा करने की अनुमति दी थी। जैसे ही पर्यटन विभाग संपत्ति पर कब्जा लेने के लिए पहुंचा, अदालत ने स्थगन आदेश जारी कर दिया।ईआईएच ने आदेश की समीक्षा करने की मांग करते हुए याचिका दायर की। सरकार ने तर्क दिया था कि ईआइएच 23 जुलाई, 2005 के मध्यस्थता के निर्देशों का पालन करने में विफल रहा था, इसलिए राज्य सरकार ने वाइल्ड फ्लावर हाल संपत्ति को फिर से शुरू करने के संदर्भ में इसका कब्जा लेने का फैसला किया था।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वाइल्ड फ्लावर हॉल की सम्पति प्रदेश के लिए अहम है। सरकार ने मामले की पैरवी के लिए नामी गिरामी वकील दिए जिससे उनके पक्ष में फैसला आया है। सरकार अब सभी पहलुओं की जांच परख के बाद आगे बढ़ेगी।

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