3(1)(एस) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 352 और 351(2) 1.07.2024 (मध्यरात्रि) को दर्ज एफआईआर पर दी राहत।
गणेश बारोवालिया ने मामले पर बहस करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता वृद्ध है और आरोप अस्पष्ट और विशिष्ट नहीं हैं।
IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने नए आपराधिक कानून यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत धारा 3(1)(आर) के तहत दंडनीय कथित अपराध के लिए उक्त अधिनियम की धारा 483 के तहत पहली जमानत दी। 3(1)(एस) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 352 और 351(2) 1.07.2024 (मध्यरात्रि) को दर्ज एफआईआर के अनुसार
गणेश बारोवालिया ने मामले पर बहस करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता वृद्ध है और आरोप अस्पष्ट और विशिष्ट नहीं हैं।पहली जुलाई को लागू हुए नए तीन आपराधिक कानूनों के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए केस नंबर: सीआरएमपी (एम) 1434 ऑफ 2024 शीर्षक बलदेव सिंह बनाम स्टेट ऑफ एचपी सुनवाई हुई।
जिसमें अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, यह आदेश दिया गया कि याचिकाकर्ता को रजिस्ट्रार की संतुष्टि के अनुसार ₹25,000/- की राशि का निजी बांड और इतनी ही राशि की एक जमानत राशि जमा करने की शर्त पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि जब भी आदेश हो ,तो जांच में शामिल होना होगा।
In a first High Court of Himachal Pradesh at Shimla grants First Bail under the new Criminal Laws i.e., The Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita, 2023 precisely under Section 483 of the said Act for alleged offence punishable under Sections 3(1)(r) and 3(1)(s) the Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989 and Sections 352 and 351(2) of Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 as per FIR registered on 1.07.2024 (mid-night)
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CASE NO: CRMP(M) 1434 of 2024 TITLED BALDEV SINGH VERSUS STATE OF HP
Please find the bail order under Section 483 of BNS, 2023