हिमाचल में IGMC के चिकित्सकों ने Whipple ऑपरेशन एवं इंटर पोजीशन जंप ग्राफ्ट कर बचाई मरीज़ की जान।14-15 घंटे चला पैनक्रिएटिक ट्रामा का आपातकालीन ऑपरेशन,चिकित्सा जगत में रचा इतिहास।

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ऑनकोलॉजी सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ रशपाल ठाकुर कंसलटेंट की अध्यक्षता में इमरजेंसी OT में किए गए इस ऑपरेशन में रजिस्ट्रार डॉ सुनील नेगी के अलावा सीटीवीएस , एनेस्थीसिया के कनिष्ठ डॉक्टरों की पूरी टीम ने अंजाम दिया।

ज़िला शिमला के रोहड़ू में पेशे से घुड़पालक को उसके घोड़े ने पेट में लाते मारी थी जिससे पैंक्रियास क्षतिग्रस्त हो गया और उसकी जान पर बन आई थी और आईजीएमसी रेफर किया था।

मनजीत नेगी/IBEX NEWS , शिमला।

हिमाचल प्रदेश के प्रीमियम चिकित्सा संस्थान IGMC शिमला के चिकित्सकों ने Whipple ऑपरेशन एवं इंटर पोजीशन जंप ग्राफ्ट कर मरीज़ को जीवनदान दिया है। 14-15 घंटे तक मरीज़ के पैनक्रिएटिक ट्रामा का आपातकालीन ऑपरेशन कर चिकित्सकों ने चिकित्सा जगत में नया इतिहास रचा है।हालाँकि यें ऑपरेशन प्रक्रिया हालाँकि अग्नाशय के कैंसर को ठीक करने के लिए की जाती है मगर इस केस में घोड़े की लातों से ख़राब अग्न्याशय और जन्मजात दिक़्क़त सिलियक एक्सेस स्टेनोसिस से जीवन बचाने के लिए की गई। अग्नाशय शरीर में पाचन क्रिया को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और घोड़े की लात से पैंक्रियास का सिर कट गया था और मरीज़ को इमरजेंसी ओटी में ही ऑपरेट करना पड़ा इसमें देर होती तो मरीज़ ज़िंदगी की जंग हार जाता। दोपहर 2 बजे से सुबह चार बजे तक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इमरजेंसी में जूनियरों चिकित्सकों की ही नियुक्ति होती है कंसलटेंट ऑन कॉल या स्पेशल ड्यूटी पर ही इमरजेंसी में होते हैं।

Dr Rashpal Thakur
Oncosurgeon
Assistant Professor
Deptt. of General Surgery

ये मामला 28 जून आया था। मरीज़ को घोड़े ने पेट में लाते मारी थी जिससे उसका पैंक्रियास क्षतिग्रस्त हो गया और घुड़ व्यवसाय से जुड़े रोहडू वासी की जान पर बन आई । पहले रोहडू में दाखिल किया गया था मगर ज़ख़्म गहरे होने के कारण मरीज़ को आईजीएमसी शिमला रेफ़र किया गया । पेट में दर्द की शिकायत को देखते हुए सीटी स्कैन करवाया गया तो पता चला कि पैंक्रियास का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है । साथ ही मामले को जन्मजात दिक़्क़त यानि कंजेनाइटल अनामोली सिलियक एक्सेस स्टेनोसिस भी था। जिसमें इंसान की खून सप्लाई की नसें सिकुड़ी हुई होती है।ऐसे में खून की सप्लाई बाधित रहती हैं।ऐसे मरीज़ की इमरजेंसी में व्हीपल सर्जरी और इंटर पोजीशन जंप ग्राफ्ट करना पड़ा।कैंसर सर्जन असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ रशपाल ठाकुर ने अपनी टीम में डॉक्टर सुनील नेगी रजिस्ट्रार ,डॉ मुसलिया जेआर,डॉ अमित और डॉ फ़ाहिम के साथ किया। इसमें सीटीवीएस के डॉ प्रवीण धौलटा,दर राजेश चोपड़ा,एनेस्थीसिया के डॉ सोनम का भी अहम योगदान रहा।गौर करने वाला ये रहा कि ये दोनों ही ऑपरेशन जटिल और कॉम्प्लिकेटेड थे एक तो पैनक्रिएटिक ट्रामा से मरीज़ की जान साँसत में थी दूसरी जन्मजात दिक़्क़त को ठीक करना चुनौतीभरा रहा।दोनों के सफल नतीजों ने चिकित्सा जगत में हिमाचल में आयाम को स्थापित कर दिया है और अब तक के इतिहास में आईजीएमसी में ऑपरेशन एक साथ अंजाम दिये गए है।12दिन बाद मरीज़ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई हैं।अब वे पूरी तरह स्वस्थ है। हिमाचल में पहले ऐसी सर्जरी नहीं हुईं है इससे पहले आईजीएमसी से ऐसे मरीज़ों को बाहरी राज्यों के बड़े संस्थानों के लिए रेफेर किया जाता रहा हैं। इस ऑपरेशन को लाखों रुपये खर्च होते है मगर हिमाचल ने आयुष्मान भारत और हिमकेयर के तहत वितीय सुविधा तो थी मगर इलाज नहीं था।

Dr Sunil Kumar Negi
Registar
Deptt . of General Surgery

व्हिप्पल प्रक्रिया का औसत खर्चा 3 से 6 लाख के बीच में आता है। अलग-अलग शहरों व अलग-अलग अस्पतालों में इस सर्जरी की लागत भिन्न हो सकती है। छोटे शहरों में जहां यह कीमत 3 से 4 लाख हो सकती हैं वहीं बड़े शहरों या महानगरों में ये खर्चा 7 लाख रुपये तक हो सकती है।

व्हिप्पल प्रक्रिया से जुड़ी जटिलताएं रक्तस्त्राव,पोस्ट ऑपरेटिव डायबिटीज,संक्रमण, भोजन का बिना पचे मल में निकल जाना आदि है।

व्हिप्पल प्रक्रिया की सलाह इन कारणों में दी जाती है मगर यहाँ घोड़े की लात ने मरीज़ को जटिल ऑपरेशन की प्रक्रिया में धकेल दिया।

अग्नाशय का कैंसर
पित्ताशय की थैली में कैंसर
छोटी आंत में कैंसर
लंबे समय से अग्नाशयशोथ
उपरोक्त स्थितियों के कुछ सामान्य लक्षण इस तरह से हैं पीलिया
जी मिचलाना और उल्टी
पेट में दर्द और कमर में दर्द
भूख कम लगना
बिना कारण के वजन कम होना
लिवर या गाल ब्लैडर का बढ़ जाना
इसके अलावा अग्नाशय के कैंसर के कारण गहरे रंग का पेशाब, त्वचा में खुजली, ग्रीस जैसा या हल्के रंग का मल, रक्त के थक्के या डायबिटीज जैसी स्थितियां भी पैदा हो जाती हैं, वहीं पित्ताशय के कैंसर में इन्ही लक्षणों के साथ बुखार भी आता है।

छोटी आंत के कैंसर में थकान, कमजोरी, गहरे रंग का मल और एनीमिया जैसे लक्षण हो सकते हैं वहीं लंबे समय से हुए अग्नाशयशोथ में मल में फैट आ सकता है।

जिन लोगों को छोटी आंत और अग्नाशय के सिरे में चोट लगी हो उनके लिए व्हिप्पल प्रक्रिया एक आपातकालीन जीवनरक्षक सर्जरी की तरह की जा सकती है।

मरीज़ की जान भगवान बनकर एकबारगी फिर लोगो की इस धारणा को मज़बूत कर दिया कि डॉ भगवान का ही रूप होते हैं। क्यों था ये ऑपरेशन इतना रिस्की ? कैसे मैनेज किया? टीम में कौन कौन विशेषज्ञ मौजूद रहें? आइये जानते है उन्हीं चिकित्सकों से … बने रहिए IBEX NEWS के साथ…

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