IBEX NEWS,शिमला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काऊंसिल मीटिंग शुरू हो गई है। हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसका बहिष्कार किया है। भाजपा नेताओं ने इसे लेकर मुख्यमंत्री सुक्खू पर तीखा जुबानी हमला बोला है।सीएम सुक्खू पिछले कल दिल्ली जरूर पहुंच गए हैं। मगर वह नीति आयोग की मीटिंग में शामिल नहीं हुए, क्योंकि इंडिया गठबंधन के अधिकतर दलों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
इस बीच, इसे लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के मुख्यमंत्री के फैसले पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री का यह फैसला हिमाचलियों के हितों से छेड़छाड़ है।
नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर मुख्यमंत्री ने बता दिया उन्हें नहीं प्रदेश की चिंता : बिंदल
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 राजीव बिन्दल ने कहा कि हमने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू से आग्रह किया था कि हिमाचल के हितों की बात है, हम अपना पक्ष नीति आयोग के सामने अच्छे से रख पाएं इसलिए बैठक में जाते लेकिन आज उस बैठक में मुख्यमंत्री का न जाना ये हिमाचल के हितों के साथ अन्याय है, हिमाचल के हितों पर कुठाराघात है और शायद हिमाचल के इतिहास में ये पहली बार हुआ होगा।
डाॅ0 बिन्दल ने कहा कि ऐसा प्लेटफाॅर्म जहां सभी प्रदेशों की चर्चा होनी है और वहां पर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कार्यों के लिए धन किस प्रकार से आबंटित होगा और प्रदेश का भविष्य किस प्रकार आगे बढ़ेगा उसकी चर्चा होनी है उसमें मुख्यमंत्री का भाग न लेना दुखदायी है और कष्टकारक है। सही अर्थों में कहा जाए तो मुख्यमंत्री का हिमाचल के साथ यह अन्यायपूर्ण रवैया है।
मुख्यमंत्री द्वारा नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार हिमाचल के हितों से खिलवाड़ : जयराम ठाकुर
प्रदेश के विकास के लिए राजनीति नहीं सकारात्मक भूमिका निभाए मुख्यमंत्री:नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर
पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना प्रदेश के हितों के साथ खिलवाड़ है। विकास के मामलों में इस तरह से राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। राजनीति से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री प्रदेश के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की गई, जिसमें वित्त मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री शामिल थे। जिस बैठक में जाकर मुख्यमंत्री प्रदेश के हितों के लिए अधिक से अधिक वित्तीय सहायता और परियोजनाओं को दिए जाने के संबंध में केंद्र सरकार के सामने अपनी मांगे रख सकते थे उस मौक़े को उन्होंने राजनीति की भेंट चढ़ा दिया। मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी महत्वपूर्ण मीटिंग का राजनीति से प्रेरित होकर बहिष्कार करना प्रदेश के हित में नहीं है। इस तरह की राजनीति हमेशा प्रदेश के विकास के लिए हानिकारक होती है। प्रदेश के हितों से समझौता करके राजनीति नहीं की जा सकती है। नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। कांग्रेस हाई कमान द्वारा नीति आयोग की महत्वपूर्ण मीटिंग को बॉयकॉट करने के निर्देश देना निराशाजनक है।