आवरा कूते आपको नोच सकते हैं।घूम रहे हैं कई जगह, फैल सकती है रेबीज।
कुप्पा, कामरू, सांगला,बोनिंग, सारिंग,बटसेरी तथा आसपास के एरिया में कूतों का ख़ौफ़ अधिक हैं।इन इलाकों में आवरा कूते घूम रहें हैं ।इनमें से कुछ कूतों को रेबीज बीमारी की आशंका है। ये राहगीरों पर हमला कर रहें हैं।
एक फीमेल डॉग से अन्य कूतों में रेबीज फैलने का भय। लोगों का कहना है कि इसने दूसरों कूतों को भी काटा है ।बीते दो दिनों से 10 से 12 डॉग बाईट के मामले प्रकाश में।
IBEX NEWS,शिमला।
देश दुनिया में सुप्रसिद्ध सांगला घाटी के लोग दहशत के साये में है यहाँ कई लोगों को कूतों ने बुरी तरह नोच लिया है और प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल पहुँचे है ।बीते चार दिनों से एक दर्जन से अधिक लोगों को कूतों ने अपना शिकार बनाया है इसको देखते हुए मंगलवार को सांगला पुलिस ने एडवाइज़री जारी करते हुए लोगों को चेताया है कि घरों से बाहर न निकले सांगला घाटी के लोग सचेत रहें। अपने बच्चों को अकेले न छोड़े।सावधान रहें , सुरक्षित रहें। जारी एडवाइजरी में कहा है कि यहाँ इलाकों में आवरा कूते घूम रहें हैं ।इनमें से कुछ कूतों को रेबीज बीमारी की आशंका है। ये राहगीरों पर हमला कर रहें हैं।
सांगला थाना प्रभारी ने बताया कि बीते दिनों से एक आवारा फीमेल डॉग से डॉग बाईट के मामले यहाँ प्रकाश में आए है और हो सकता है उसने अन्य कूतों को काट खाया है ।राहगीरों पर हमले बढ़े हैं और पशु विभाग मामले पार निगरानी रखे हुए है ऐसे कूतों को पकड़ने के प्रयास जारी है।

रेबीज़ एक वायरस है जो प्रायः किसी संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच से फैलता है। रेबीज़ वायरस आपके मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित करता है। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और इनमें कमज़ोरी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं।अगर आपको किसी ऐसे जानवर ने खरोंच दिया है या काट लिया है जिसे रेबीज़ हो सकता है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। भले ही आपको रेबीज़ के खिलाफ़ टीका लगाया गया हो, फिर भी आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।मनुष्यों में रेबीज़ लगभग हमेशा घातक होता है (मृत्यु का कारण बनता है), लेकिन शीघ्र उपचार से संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है।

रेबीज एक तीव्र वायरल संक्रमण है, जो स्तनधारियों की तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह रोग मुख्य रूप से कुत्ते, बिल्ली, लोमड़ी, बंदर और यहां तक कि मनुष्यों को भी हो सकता है। रेबीज मुख्य रूप से लिसावायरस (Lyssaviruses) के कारण होता है। यह वायरस अत्यंत सूक्ष्म होता है, जिसे सिर्फ माइक्रोस्कोप के जरिए ही देखा जा सकता है। दिखने में यह बंदूक की गोली की आकृति का होता है।
जब किसी संक्रमित जानवर के काटने पर उसकी लार में मौजूद वायरस दूसरे जीव में चले जाते हैं, तो रेबीज विकसित हो जाता है। इसके अलावा संक्रमित जानवरों के पंजे की खरोंच से भी यह वायरस फैल सकता है।
रेबीज केवल स्तनधारियों को प्रभावित करने वाला रोग है जो विश्व स्तर पर कुत्तों में सबसे अधिक देखा जाता है। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद दो सप्ताह से चार महीने के बीच लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
इंसानों में रेबीज के मामले सबसे ज्यादा भारत में हैं और यह बीमारी ज्यादातर कुत्तों से प्रसारित होती है। इसे कैनाइन रेबीज भी कहा जाता है। एक बार लक्षण दिखने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता है, इसीलिए रेबीज को दुनिया में सबसे घातक बीमारियों में से एक माना जाता है। दुनियाभर में सालाना इस बीमारी से 50,000 से अधिक मौते होती हैं। ऐसे में जो लोग कुत्ता या अन्य कोई पालतू जानवर रखते है, उन्हें अपने जानवर का उचित टीकाकरण करवा लेना चाहिए। क्योकि टीकाकरण ही इर रोग का एकमात्र बचाव है।
महत्वपूर्ण तथ्यों को समझें।
टीकाकरण से रेबीज की रोकथाम की जा सकती है
रेबीज़ एक वायरस है जो प्रायः किसी संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच से फैलता है।
रेबीज़ वायरस आपके मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित करता है।
शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और इनमें कमज़ोरी, सिरदर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं।
रेबीज़ के लक्षण क्या हैं?
रेबीज़ के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 महीने बाद दिखाई देते हैं। लेकिन ये लक्षण संपर्क में आने के एक हफ़्ते से लेकर एक साल बाद तक भी दिखाई दे सकते हैं। लक्षणों में शामिल हैं:
- बुखार
- हाइड्रोफोबिया (पानी का डर)
- एरोफोबिया (हवा का डर)
- घुटन महसूस होना
मनुष्यों में रेबीज़ के अन्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
- आपके मुंह में बहुत अधिक लार है
- क्षिप्रहृदयता (आपका हृदय सामान्य से अधिक तेजी से धड़कता है)
- हाइपरथर्मिया (शरीर का उच्च तापमान)
एक बार लक्षण दिखने के बाद रेबीज़ का कोई इलाज नहीं है। यह बीमारी तेज़ी से बढ़ती है और आम तौर पर एक या दो हफ़्ते के अंदर लकवा, प्रलाप, ऐंठन और मौत का कारण बनती है।
