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प्रदेश सरकार विशेष रूप से सक्षम बच्चों के सपनों को कर रही साकार
राज्य में 5,700 विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ने के समान अवसर हो रहे सुनिश्चित

IBEX NEWS,शिमला।

समावेशी शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जताते हुए प्रदेश सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए धरातल पर कई महत्वाकांक्षी पहल की हैं ताकि उन्हें सहारा देकर वो अवसर मिल सकें जिनके वे हकदार हैं। सरकार के इन प्रयासों के वर्ष 2023-24 में शानदार परिणाम सामने आए जिससे प्री-प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक के 5,700 से अधिक विशेष रूप से सक्षम बच्चों को विभिन्न सुविधाएं प्राप्त हुई हैं। इससे प्रदेश समावेशी शिक्षा में अग्रणी के तौर पर स्थापित हुआ है। 
सरकार की एक खास उपलब्धि रही है जिसमें प्री प्राइमरी स्तर पर विशेष रूप से सक्षम 129 बच्चों, प्रारंभिक स्तर 4,013 और माध्यमिक स्तर पर 1,558 बच्चों का एकीकरण/समाकलन किया गया है। गंभीर और अति गंभीर दिव्यांगता वाले 1,464 विद्यार्थियों के लिए घर-आधारित शिक्षा कार्यक्रम की शुरूआत राज्य सरकार के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाती है। प्रदेश सरकार का यह प्रयास है कि कोई भी विद्यार्थी अपनी चुनौतियों के कारण पिछड़ न जाए।
प्रदेश सरकार और भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम के सहयोग के परिणामस्वरूप 1,100 बच्चों का व्यापक चिकित्सा मूल्यांकन किया गया। इनमें से 694 बच्चों को विशेष रूप से निर्मित सहायक उपकरण दिए गए। 140 शैक्षणिक खंडों में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम का इन छात्रों की गतिशीलता और सीखने की क्षमताओं पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है। 
इसके अतिरिक्त दिव्यांग विद्यार्थियों को ब्रेल पुस्तकें प्रदान की गईं, जबकि कम दृष्टि वाले विद्यार्थियों को बड़े अक्षरों वाली पाठ्य पुस्तकें प्रदान की र्गईं, जो उनकी विशेष जरूरतों को पूरा करने में लाभकारी साबित र्हुईं। 
इनके परिवारों को वित्तीय मदद की जरूरत महसूस करते हुए सरकार द्वारा प्राथमिक स्तर के 1,744 और माध्यमिक स्तर के 692 विद्यार्थियों को अनुरक्षण भत्ता प्रदान किया जा रहा है। विशेष जरूरत वाले विद्यार्थियों में निरंतर शिक्षा को प्रोत्साहित करने और उच्च नामांकन के लिए प्राथमिक स्तर पर 1,522 और माध्यमिक स्तर पर 655 विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के माध्यम से 200 रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। 
प्रदेश सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विशेष जरूरत वाले बच्चों के समग्र विकास को प्राथमिकता दी जाए। इनमें शारीरिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न खेल आयोजन और एक दिवसीय भ्रमण आयोजित किए गए। वहीं, विद्यार्थियों को व्यक्तिगत चुनौतियों से उबरने में मदद करने के लिए फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी और व्यावसायिक चिकित्सा जैसी चिकित्सीय सेवाएं भी प्रदान की र्गईं। 
प्रदेश सरकार ने प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए 72 स्पेशल एजुकेशन टीचर नियुक्त किए हैैं। इन शिक्षकों के निरंतर पेशेवर विकास पर भी ध्यान दिया गया। जनवरी 2024 में आयोजित बहु-कक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा इसका प्रदर्शन किया गया। 
इसके अलावा प्रदेश सरकार ने दिव्यांगता के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए भी कई सक्रिय कदम उठाए हैं। सकारात्मक सोच और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए सभी शैक्षणिक खंडों में प्रदेशभर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसके परिणामस्वरूप सभी जिलों में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया गया। इस पहल ने समावेशी शिक्षा के लिए सामुदायिक समर्थन को बढ़ावा देने में मदद की और विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे इन कदमों के न केवल सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं बल्कि एक समावेशी और सहायक शैक्षणिक वातावरण भी तैयार हो रहा है। विशेष रूप से सक्षम बच्चों को सशक्त कर हिमाचल प्रदेश देेश भर में समावेशी शिक्षा के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है, जिससे सभी विद्यार्थियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित हो रहे हैं।

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