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मुख्य स्पॉट पर जहाँ टूरिस्ट एक्टिविटी होती है यहाँ श्मशान घाट की अधजली लड़कियां , टूटे घड़े, बिखरें कोयले,रेत में सनी पीली धोतियाँ कर रही है पर्यटकों का स्वागत।कभी कुत्ते नोच रहें है होते हैं यहाँ अधजली लाशें

स्थानीय लोग और पर्यटन से जुड़े लोगों का दर्द ये भी कई बार जलती लाशों को देखकर कारों में वापस भाग जाते है लोग कि एंजॉय करने आए हैं ये सब देखने नहीं

IBEX NEWS,शिमला

ऋषि जमदग्नि की तपोस्थली तत्तापानी में आख़िर क्यों आएँगे पर्यटक। मुख्य स्पॉट पर जहाँ टूरिस्ट एक्टिविटी होती है यहाँ श्मशान घाट की अधजली लड़कियां , टूटे घड़े, बिखरें कोयले,रेत ki गाद में सनी हुई पीली धोतियाँ और प्लास्टिक कचरा पर्यटकों का स्वागत करती हैं । तो कभी कुत्ते नोच रहें है होते हैं यहाँ अधजली लाशें जिन्हें तत्तापानी में सतलुज का जलस्तर बढ़ने के बाद ऐसे ही छोड़ा जाता है और पर्यटन कारोबार से जुड़ें लोग कूतों के मुंह से अधजले चिथड़ो को छुड़वाते है और सतलुज में बहाते है ।स्थानीय लोग और पर्यटन से जुड़े लोगों का दर्द ये भी कई बार जलती लाशों को देखकर पर्यटक यहाँ बिना पैर रखे भी अपनी कारों में ही वापस भाग जाते है ,बच्चे डर कर रोने लगते हैं ।आसपास के लोग भी परेशान हैं कि स्नान के बाद मंदिर में जब पूजा के लिए जाते है तो अनेकों मर्तबा कंधों पर लोग अर्थी ला रहें होते हैं या फिर घाट पर मुर्दे जल रहें होते हैं ।तो फिर से स्नान को भागना पड़ता है ।करीबन पंद्रह से बीस पंचायतों का घाट ये है । एक दिन में पाँच से सात मुर्दे जलते है तो कभी एक आध ।

IBEX NEWS द्वारा लोगों की टटोली गई नब्ज पर वीडियो में आप भी देख सकते हैं कि किस कदर अव्यवस्थाओं का माहौल तत्तापानी में पर्यटन के उड़ते पंखों को कुतरने पर उतारू हैं । स्थानीय लोग यहाँ अपना दर्द ब्यान कर रहें हैं और लोग विवश कि सदियों पुराने घाट को बदलना नामुमकिन है तो बनारस के काशी घाट की तर्ज पर विकसित हो तो हर हिमाचल प्रदेश के मिनी कुंभ स्थल कहे जाने वाले तीर्थ स्थल तत्तापानी में लोग राहत की साँस ले सकते हैं ।इलाके की करीब पंद्रह से बीस पंचायतों का ये स्थल श्मशान घाट है और प्रदेश के प्रीमियर चिकित्सा संस्थान या पीजीआई अस्पतालों में जिनके परिजन अंतिम सांस लेते है उन्हें भी उनके रिश्तेदार ऋषि जन्मदग्नि की तपोस्थली ने अंतिम संस्कार के लिए लाते हैं ।दूसरी ओर सतलुज नदी में सुबह सवेरे पॉलीथिन,खाली पैकेट्स,रैपर्स ,खाली बॉटल्स, सड़ी गली सब्जियों के ढेर बतखों के साथ पानी पर ऐसे तैरते है मानो नदी की सुंदरता को दूषित करने के लिए पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों का गंदगी फैलाने का कंपीटिशन हो रहा है । खासकर व्यापारियों पर ऐसे आरोप लग रहें हैं ।सरकारें अब तक इस और मूक बनी रही हैं ।खिचड़ी परोसने के लिए हालांकि इस स्थल से गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाकर फीते तो काटे जाते रहे मगर ये नहीं सोचा गया कि हजारों श्रद्धालुओं के लिए क्या नाममात्र सात -आठ खुरलें काफ़ी होगी जब मकर संक्रांति के दिन हज़ारों लोग स्नान करने पहुंचेंगे ।

यहाँ आम जनता के लिए सरकारें अभी तक पब्लिक पूल्स नहीं बना पाई जैसे मणिकर्ण में श्रद्धालुओं की सहूलियतों के लिए बने हैं । जब लोहड़ी में आस्था की डुबकी लगाने देश और विदेशों से पर्यटक यहाँ आते है तो सड़कों के किनारे बनी छोटी खुर्लों से पानी निकलता ही नहीं हैं यानि खुरलें कम पड़ती है । गर्मियों में तो घाट पर भी गर्म पानी मिल जाता हैं ।तत्तापानी में गर्म पानी के आधा दर्जन चश्मे है ये गर्म पानी गंधकयुक्त है जिसे चर्मरोगों , जॉइंट पेन, मस्कुलर पैनी, ब्लड सर्कुलेशन जैसे अनेकों रोगों के उपचार के लिए भी जाना जाता है।इसलिए लोगो का ताँता यहाँ बारह महीने रहता है ।

सदियों की भाँति मकर संक्रांति में हजारों श्रद्धालु सतलुज नदी में पवित्र डुबकी लगाने पहुंचते रहे है । शिमला और मंडी जिला की सीमा पर मंडी की ओर स्थित तत्तापानी तीर्थस्थल हिमाचल में मिनी कुंभ के रूप में भी विख्यात है और यहां न केवल हिमाचल बल्कि बाहरी राज्यों से भी लोग पवित्र डुबकी लगाने मकर संक्रांति के मौके पर पहुंचते हैं। ये भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन से ही इस क्षेत्र के देवता एक महीने के लिए स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर स्नान के बाद तुलादान का अत्यधिक महत्व माना जाता है। यही कारण है कि हजारों की संख्या में लोग एक साथ तुलादान की रस्म भी पूरी करते हैं । तत्तापानी में इस अवसर पर मेले का आयोजन होता है जो आगे महीनाभर चलता है ।

  • शिमला से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तत्तापानी गर्म चश्मों के कारण ही साल भर स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों से भी गुलजार रहता है।
  • ततापानी में गर्म पानी के चश्मों की उत्पत्ति के बारे में तरह-तरह की किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं। ततापानी के बारे में एक किंवदंती ये है कि प्राचीनकाल में इस क्षेत्र में परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि तपस्या कर रहे थे।उन्होंने इस तपोस्थली में गर्म पानी के चश्मे प्रकट किए। एक अन्य किंवदंती ये भी है कि यहां पर जमदग्नि ऋषि के पुत्र परशुराम स्नान कर रहे थे। उन्होंने जब अपने वस्त्र निचोड़े तो यहां पर गर्म पानी हो पैदा हो गया।तीसरी ये कि यहां गंधक के पहाड़ हैं। इनसे गैस बनती है, उनसे भी गर्म पानी निकलता है।

मैंने यहाँ विजिट किया । बहुत कुछ नोटिस किया हूँ स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कुछ अच्छा करने की पहल होगी । घाट के लिए बहुती कुछ करने की जरूरत है । अभी हाल ही में यहाँ जॉइनिंग हुईं है मेरी और तत्तापानी की बेहतरी के लिए भरसक प्रयास होंगे ।

गौरव महाजन एसडीएम करसोग जिला मंडी हिमाचल प्रदेश ।

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