BREAKING: HPPCL चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में निलंबित निदेशक देशराज की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज ।

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देसराज 23 मार्च से फरार है। उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।


हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने 24 मार्च को दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।


IBEX NEWS,Shimla

हिमाचल हाईकोर्ट ने पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में निलंबित निदेशक देशराज की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस मामले में 24 मार्च को दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। देसराज ने गिरफ्तारी के डर से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। देसराज 23 मार्च से फरार है। हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद देसराज की गिरफ्तारी हो सकती है।अब गेंद पुलिस के पाले में आ गई हैं। देश राज कहां है ?ये किसी को पता नहीं हैं।
हालांकि देशराज के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्‍ता बचा है।वो वहां प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से मिले करारे झटके के बाद अब दूसरे आरोपियों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं जो खुली हवा में स्वतंत्र घूम रहे हैं ।अगर पुलिस को जांच में पावर कॉरपोरेशन के पूर्व एमडी और निदेशक कार्मिक के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो उनकी धुकधुकी बढ़ सकती हैं। ऐसे में जब पुलिस ने अदालत में हवाला दिया है कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है। भारी मात्रा में रिकॉर्ड, 14-दिन की सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल साक्ष्य का गहन विश्लेषण करने की आवश्यकता है। धारा 180 बीएनएस के तहत अतिरिक्त महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज किए जाने बाकी हैं। बिलासपुर पुलिस द्वारा किए गए एआईएम से पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है, जो मौत के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। पुलिस अधिकारियों ने प्रस्तुत किया कि 22.03.2025 को, एसआईटी ने एचपीपीसीएल परिसर में मृतक के ऑफ रूम की तलाशी ली। मृतक द्वारा संभाले गए विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित भारी मात्रा में रिकॉर्ड जब्त कर कब्जे में ले लिए गए, जो प्रथम दृष्टया मृतक पर मानसिक उत्पीड़न और अधिक काम के आरोपों की पुष्टि करते हैं। 23.03.2025 को, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) टीम को एचपीपीसीएल परिसर में बुलाया गया। उनकी उपस्थिति में, निम्नलिखित डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए: एचपीपीसीएल भवन में लगे कैमरों से सीसीटीवी फुटेज वाला नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर (एनवीआर)। सीसीटीवी फुटेज के बैकअप वाली एक हार्ड ड्राइव और पेन ड्राइव। 14-दिन की सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से पता चलता है कि मृतक ने तनाव और डरपोक बॉडी लैंग्वेज के लक्षण प्रदर्शित किए ये रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करते हैं कि मृतक को आधी रात तक कार्यालय में रहने और रोजाना 10 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर किया गया था। मृतक के अधीनस्थों के बयान, धारा 180 बीएनएस के तहत दर्ज किए गए, इस निष्कर्ष की पुष्टि करते हैं, जो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती का संकेत देते हैं।देशराज इस संबंध में अकेला नहीं है ।


बहरहाल अभी देशराज फरार है और उसने न्यू शिमला थाने में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को झूठा बताया था। कोर्ट ने पुलिस की ओर से अब तक दाखिल स्टेटस रिपोर्ट के बाद देसराज को अग्रिम जमानत खारिज की है। बताया जाता है कि पुलिस को इस मामले में आरोपी देसराज के खिलाफ अहम सबूत मिले हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष पेश भी किया गया । प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों की खोज करने पर पता चला है कि 23.03.2025 को याचिकाकर्ता के निजी सहायक राजीव ठाकुर से पूछताछ की गई थी। उसने खुलासा किया कि मृतक पेखुवाला परियोजना के लिए समय विस्तार से संबंधित मुद्दों के कारण काफी तनाव में था। याचिकाकर्ता देश राज एचपीपीसीएल में निदेशक के रूप में एक प्रभावशाली पद पर है, मृतक पर सीधा अधिकार है और प्रमुख गवाहों और साक्ष्यों तक उसकी पहुंच है। इसके अलावा उक्त संस्थान में लंबे समय तक काम करने के कारण सहकर्मियों के साथ-साथ अन्य कनिष्ठ अधिकारियों के साथ उसके व्यक्तिगत और भरोसेमंद संबंध भी बन सकते हैं। 23.03.2025 को, एसआईटी ने एचपीपीसीएल के पदानुक्रमिक ढांचे और मृतक से संबंधित रिकॉर्ड को जब्त और उसका विश्लेषण किया। इन दस्तावेजों से यह स्थापित होता है कि मृतक याचिकाकर्ता, देश राज, निदेशक, एचपीपीसीएल के सीधे नियंत्रण में था, जिन्होंने उसकी छुट्टी मंजूर करने वाले प्राधिकारी के रूप में भी काम किया। यह याचिकाकर्ता के अधिकार और कथित उत्पीड़न के बीच संबंध को मजबूत करता है। स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), पुलिस स्टेशन न्यू शिमला, तत्काल मामले की जांच के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, शिमला द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के सदस्य न्यायालय के दिनांक 22.03.2025 के निर्देशों के अनुपालन में पूरक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की थी । दिनांक 18.03.2025 और 23.03.2025 को मृतक विमल नेगी की मौत से संबंधित मामले की त्वरित और गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी का गठन और सुदृढ़ीकरण किया गया था, जिसका शव गाह धनीपाखर के पास सतलुज नदी से बरामद किया गया था। एसआईटी की निगरानी नवदीप सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय), शिमला द्वारा की जाती है, जबकि श्री विक्रम चौहान, पुलिस उपाधीक्षक (शहर) को जांच अधिकारी (आई0) नामित किया गया है। टीम में तीन निरीक्षक, दो सहायक उप-निरीक्षक, दो हेड कांस्टेबल, एक साइबर विशेषज्ञ और नीचे हस्ताक्षरकर्ता शामिल हैं।

इस कारपोरेशन में निलंबित निदेशक देशराज की आज जमानत याचिका खारिज हुई है वो पांच –छह नहीं 17 वरिष्‍ठ इंजीनियरों को पीछे छोड़ कर इस पद पर पहुंचे थे।  ये दावा किसी और ने नहीं सुक्‍खू सरकार में एक मंत्री ने पिछले दिनों संवाददाता सम्मेलन में किया था। ये कमाल कैसे हुआ होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं हैं। देशराज 2024 में पावर कारपोरेशन में निदेशक के पद पर तैनात हुए ।वो बिजली बोर्ड में सबसे जूनियर चीफ इंजीनियर थे। इसके अलावा 1998 में जब उनकी भर्ती हुई थी तो विमल नेगी समेत 17-18 लोग उनसे सीनियर थे।यही नहीं जब पावर कारपोरेशन में निदेशक पद के लिए अर्जियां मांगी गई तो जितने इंजीनियरों ने आवेदन किया था उनमें से  तमाम सीनियरों को दरकिनार कर जूनियर देशराज को निदेशक लगाया गया ।


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