पूर्व मंत्री डॉ रामलाल मार्कडेय ने लाहौल-स्पीति में बनने जा रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर राज्य सरकार के MOU का जताया विरोध,कहा जनभावनाओं के विरुद्ध सरकार का ये निर्णय ।

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FB वॉल पर पोस्ट कर चेताया जल विधुत हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को कभी लगने नहीं देगें इसके लिए मुझे लाहौल स्पीति की प्रबुद्ध जनता के लिए जो भी कुरबानी देनी पडे मैं तैयार हूं ।



IBEX NEWS,शिमला ।

पूर्व मंत्री डॉ रामलाल मार्कडेय ने लाहौल-स्पीति के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा तेलंगाना के साथ दो मेगा जलविद्युत परियोजनाओं-मियार (120 मेगावाट) और सेली (400 मेगावाट) के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ प्रतिरोध का बिगुल फूँका है।सोमवार को अपनी वॉल पर पोस्ट कर चेताया जल विधुत हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को कभी लगने नहीं देगें इसके लिए मुझे लाहौल स्पीति की प्रबुद्ध जनता के लिए जो भी कुरबानी देनी पडे मैं तैयार हूं ।डॉ रामलाल मार्कडेय ने लाहौल स्पीति के प्रबुद्ध जनता से कहा कि आपका भाई आपका बेटा हमेशा आपके साथ है हिमाचल सरकार लाहौल स्पीति ज़िले के अस्तित्व को समाप्त करने पर तुली हुई है लाहौल स्पीति के हितों की रक्षा के लिए में हमेशा अपने प्रबुद्ध जनता के साथ खड़ा हूँ ।मैं सरकार से इस समझौते को तत्काल रद्द करने की मांग करता हूँ ।
डॉ रामलाल मार्कडेय ने कहा की लगभग ग्यारह जलविघुत परियोजनाओं का कार्य पूर्व में समाप्त कर दिया था क्योंकि हमने सरकार में रहते हुए भी सर्वजनिक तौर पर जलविद्युत परियोजनाओं का विरोध किया है और हमेशा विरोध करता रहूँगा ।हम सभी ने किन्नौर और उतराखंड के त्रसिति को अपनी आँखों से देखा। लाहौल स्पीति पर इस जल विधुत हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को कभी लगने नहीं देगें ।


दीगर हो कि हिमाचल सरकार ने तेलंगाना सरकार के साथ 29 मार्च 2025 को मयाड घाटी में (120 मेगावाट) और शेली में (400 मेगावाट) जलविद्युत परियोजनाओं के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
सेली चंद्र भागा नदी पर स्थित है, जबकि मियार आदिवासी जिले के उदयपुर उपमंडल में नाजुक मियार घाटी में स्थित चंद्र भागा नदी की मियार सहायक नदी पर स्थित है। ट्राइबल अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रमुख आवाज” सेव लाहौल-स्पीति सोसाइटी “ ने भी समझौते की निंदा की है, इसे क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक घोर उपेक्षा कहा है। पूरी लाहौल घाटी भूकंपीय क्षेत्र 4 और 5 में है, जो इसे भूकंप और भूस्खलन के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। इस क्षेत्र में पहले से ही विनाशकारी बाढ़ देखी गई है, और फिर भी सरकार उन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर अड़ी हुई है जो संकट को और बढ़ा देगी ।स्थानीय लोगो का आरोप है कि परियोजनाओं को तेलंगाना को सौंपने के नवीनतम कदम ने लोगों में आक्रोश को फिर से भड़का दिया है। ये परियोजनाएं हमारे नाजुक पहाड़ों और ग्लेशियरों के लिए मौत की घंटी के अलावा कुछ नहीं हैं। एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा, “हमने देखा है कि कैसे अनियंत्रित जलविद्युत विकास ने हिमालय के अन्य हिस्सों में आपदाओं को जन्म दिया है। आरोप है कि लाहौल-स्पीति लापरवाह नीति निर्माण का अगला शिकार नहीं होगा।

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