सादगी,शालीनता की मिसाल,सबके दिलों पर भारत के आखिरी गांव छितकुल में राज्यपाल ने किया राज।गांव वाले हुए कायल।बातों, बातों में दे गए कई सौगातें भी।

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मनजीत नेगी/IBEX NEWS, शिमला

चंद लम्हों के लिए वो पूरी तरह से कबाइली परिवार में रम गए। याक का घी,मखन, लोकल शहद ,ओघला का चिल्टा, फाफरा की पतियों से बना सीटो (एक किस्म का साग) और चूली फटिंग (सूखे आडू की डिश) पारंपरिक भोज को इतने चाव से खा रहे थे कि गांव के लोग उनकी सादगी के मुरीद हो गए।

इस पारंपरिक भोजन के औषधीय गुणों को सुनकर वे उत्सुक रहे। लोग कैसे यहां जीवन यापन करते है?क्या दिक्कतें है? मौजूद लोगों से इस अपनेपन से पूछते रहे कि गांव का दर्द हर कोई उड़ेलना चाह रहा था।

महिलाएं गांव में नर्स की जरूरत और जब बिजली चली जाए तो उसके लिए अच्छे स्थाई विकल्प, रेडक्रॉस से एक एंबुलेंस,छितकुल, रकछम, बटसेरी को दिए जाने की बात बेझिझक और बेबाकी से कर रही थी।

और वे जितनी शांति से आत्मसात होकर गाववालों की नब्ज टटोल रहे थे उतने ही सख्त लहजे से निवारण के लिए अपने साथ आए अधिकारियों को निर्देश देते रहे। एसडीएम को महीने में कम से कम एक बार गांव वालों के साथ मीटिंग के आदेश दिए ताकि ठंडे इलाके के दर्द को कम किया जा सके।यहां 4से 6महीने भारी बर्फ रहती है और 6महीने ही फसलें उगाई जाती है।


यहां किसी आम आदमी की नहीं ,अपितु राज्य के राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर की बात हो रही है। भारत के आखिरी गांव छितकुल में आइटीबीपी में इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत स्वर्गीय रोशन लाल,प्रसार भारती से असिस्टेंट डायरेक्टर के पद सेवानिवृत रत्न लाल नेगी के घर में करीब चार घंटे रुके पैंठन्ग में बैठकर लोगों से सादगी से बतियाते रहे। प्रोटोकॉल का कोई ध्यान नहीं दिया जनता से अपनेपन के साथ बातचीत में मशगूल रहे।इस अवसर पर उन्होंने गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल जो एक अध्यापक के सहारे है। स्टाफ मुहैया कराने का आश्वासन दिया। दिनेश भूमिहीन को भूमि दिलाने का दिलासा दिया । रंजीत की भूमि गांव की सड़क में चली गई और सरकार की और से कुछ नहीं मिला।

सीमित अधिकारियों के साथ वे यहां पहुंचे और गांव के बुजुर्गों के साथ खूब गपशप की। सीमांत क्षेत्रों में कैसा जीवन है, कौन कौन तिब्बत अब चीन के बॉर्डर तक गया है।यमर्ंग ला, गुंगरिंग ला,खिमलोगा पास ,लामखागा पास क्रॉस किए है। लगभग सौ साल के बुजुर्ग जिया लाल ने अपने अनुभव सांझा किए।वे 13बार ऊंचे पहाड़ों ,ग्लेशियरों पर से गंगोत्री यात्रा और चीन बॉर्डर तक जा चुके है ।कृपाल नेगी भी ऐसी यात्राओं के बेहद अनुभवी है। आइटीबीपी के डीआईजी प्रेम सिंह के साथ गांव से आइटीबीपी में प्रदीप नेगी है जो दो मर्तबा माउंट एवरेस्ट लांघ चुके है उन्होंने भी अनुभव बताए।

जिक्र हुआ कि बड़े ओहदों पर यहां से देश सेवा में विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं दे रहें हैं।
जगदीश नेगी,कृपाल सिंह, कान सिंह नेगी, टिक्कम सिंह नेगी,चुनी लाल नेगी,श्रीनंद नेगी,बलदेव सिंह नेगी,रामानंद नेगी आदि लोग राज्यपाल के साथ बैठकर बातचीत करते हुए सुखद अनुभव कर रहे थे।

इससे पहले छितकुल पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने राज्यपाल का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। राज्यपाल ने स्थानीय मंदिर में पूजा-अर्चना एवं परिक्रमा की। गांव की संस्कृति और परंपराओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए राज्यपाल स्थानीय घर में समय बिताना चाह रहे थे। स्थानीय निवासी मुकेश नेगी राज्यपाल की आवभगत करके गौरवान्वित महसूस कर रहे है।वे गांव के पूर्व प्रधान है। गणित में मास्टर डिग्री धारक है। 15 से 20याक पालक है और बड़े भाई राकेश नेगी हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर है।

राज्यपाल ने इस दौरान पारंपरिक तंदूर, रहन-सहन, खान-पान और रीति-रिवाजों के संबंध में करीब से जानकारी हासिल की। इस दौरान उन्होंने स्थानीय नमकीन चाय ,स्नैक्स का स्वाद भी लिया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि छितकुल की परंपराएं और रीति-रिवाज बहुत समृद्ध हैं, जिन्हें हर हाल में संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें यहां आने और पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मुश्किलों को करीब से समझने का मौका मिला है। उन्होंने लोगों से स्थानीय उत्पादों और परंपराओं को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का भी आग्रह किया।

इस अवसर पर छितकुल गांव के प्रधान सुभाष, उप-प्रधान राजेश कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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लोगों की मांग पर नागस्थी से आइटीबीपी पोस्ट को शिफ्ट करने का भी राज्यपाल ने आश्वासन दिया।लोगो का आग्रह था की पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए ये पोस्ट स्थांतरित की जाए।तकनीकी कारणों के हल के बाद इस पर समाधान के लिए राज्यपाल ने हामी भरी।

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