EMHIMACHAL पर आधारित रेस्पिरेट्री डीजीज इमरजेंसी को कैसे ग्रास रूट स्तर पर मशीनों के अभाव के बावजूद डॉक्टर कैसे उन्हें बचाए इस पर कार्यशाला में देशभर के डॉक्टरों ने नवीन जानकारी की साझा।
…डॉ संजय महाजन IGMC ,डॉ करण मदान, डॉ संजीव भोई AIMS दिल्ली,डॉ सुनील तनेज़ा ,डॉ दीप्ति, डॉ विवेक, डॉ विकास सूरी PGI चंडीगढ़ ने विस्तृत अपडेट विभिन्न विषय पर दिए।
मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।
कोविड 19 महामारी के बाद देशभर में श्वास रोगों, इन्फ्लुएंजा (फ्लू) की बीमारी के मामले उभर रहे हैं। चिकित्सकों में इसके आवश्यक अपडेटेड इलाज और ट्रेनिंग की कमी की खाई को पाटने के लिए देशभर के AIMS सहित बड़े स्वास्थ्य संस्थानों के श्वॉसरोग चिकित्सकों ने शिमला में आयोजित तीन दिवसीय CME और कार्यशाला में मंथन किया।
कोविड महामारी के बाद उभर रही श्वास की बीमारियों, इन्फ्लुएंजा इलनेस के इलाज पर मज़बूत पकड़ के लिए देशभर में ट्रेनिंग की कमी महसूस हो रही रही थी ।यदि NIV को लेकर डॉक्टर्स को स्टीक बारीकियाँ मालूम होती या वे प्रशिक्षित होते तो महामारी के दौरान सैंकड़ों ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती थी। पहली बार हिमाचल में इस तरह के मामलों को देखते हुए प्रशिक्षण का अनूठा प्रयास हुआ, इससे पहले रिज मैदान पर पल्मोनरी विभाग ने चार साल पहले आम लोगों के लिए पहल की थी।हिमाचल के पहले MD चेस्ट स्पेशलिस्ट प्रोफ़ेसर आरएस नेगी और क्रिटिकल केयर यूनिट पल्मोनरीमेडिसिन के प्रोफ़ेसर सुनील शर्मा ने आम लोगो के लिये भी ऐसा प्रशिक्षण कार्यशाला में दिया था। कोविड महामारी के बाद उभर रही रेस्पिरेटरी बीमारियों को इमरजेंसी में कैसे हैंडल किया जा सकता हैं ?इस पर ताजा चिकित्सीय सुविधाओं के बाबत अपडेट पर चर्चा हुई।
हालाँकि अब तक विडंबना रही है कि NIV के लिए फ़ील्ड में डॉक्टर विशेष रूप से ट्रेनड नहीं है। इसकी बेहद ज़रूरत अब जताई जा रही है लिहाज़ा इसपर शिमला में मंथन हुआ।
नोन इनवेसिव वेंटीलेशन NIV जो मरीज़ों को वेंटिलेशन मशीनों पर जाने से रोक सकता है यदि समय रहते सही से उपयोग हो इस पर विस्तृत रिपोर्ट AIMS दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के जाने माने विशेषज्ञ चिकित्सक डॉक्टर करण मदान ने पेश की ।
बताया कि इसका उपयोग कई चिकित्सीय स्थितियों के कारण तीव्र श्वसन विफलता में किया जाता है। प्रमुख रूप से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सीओपीडी में एनआईवी का उचित उपयोग आक्रामक वेंटिलेशन और इसकी जटिलताओं की आवश्यकता को कम करता है।
इसका उपयोग उन लोगों में दीर्घकालिक आधार पर किया जा सकता है जो पुरानी स्थिति के परिणामस्वरूप स्वतंत्र रूप से सांस नहीं ले सकते। एयरवेज़ ब्लीडिंग यानी खांसी के दौरान खून ज़्यादा आना कैसे चिकित्सीय प्रबंधन हो इसके लिए आयोजित कार्यशाला में डॉक्टरों को ट्रेनिंग भी दी।हिमाचल के पर्यटन स्थलों में साहसिक खेलों की बढ़ती गतिविधियों के दौरान हाई अल्टीट्यूड सिकनेस और फिटनेस के दौरान किस प्रकार सँभलें और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इसके लिए कैसा चिकित्सीय सेटअप हो इस पर भी चर्चा की।
सौ से भी डॉक्टरों को इस CME व कार्यशाला में इस संबंध में ट्रेंड भी किया गया।डॉक्टर मदान ने बताया कि कॉविड 19 महामारी के बाद सरकारें भी रेस्पिरेटरी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सेटअप तैयार कर रही हैं डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग और लोगों में जागरूकता को लेकर ज़रूरत है। इस पर विशेष फोकस हो तो ऐसी महामारी से भी निपटा जा सकता हैं।इमरजेन्सी मेडिसिन हिमाचल ( रिस्सिटेशन,रिसर्च,रेस्पिरेटरी, इमरजेंसी एंड ट्रॉपिकल इमरजेंसी विषय पर आधारित CME और कार्यशाला जैसी पहल सराहनीय है और डॉक्टरों को नवीन जानकारी इस दौरान मिली हैं।रविवार को संपन्न इस समारोह में PGI चंडीगढ़ के हैप्टॉलीजी विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर सुनील तनेज़ा ने लिवर इंफ़ेक्शन पर विस्तृत रिपोर्ट पेश की।उन्होंने बताया कि हालाँकि अब लिवर ट्रांस्प्लांट जैसे इलाज संभव है मगर स्वच्छ पानी के उपयोग पर सभी जागरूक हो तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। दूषित जल लिवर बीमारी का मुख्य कारण है वायरस ए और ई से होने वालीं बीमारियों के नियंत्रित के लिए सरकारों को लोगों में जागरूकता की अलख जगाना ज़रूरी है।
वही आईजीएमसी शिमला के मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर संदीप महाजन ने रिकेटीशियल डिजीज -स्क्रब टाइफ़्स एंड बियोंड विषय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की।
मुख्यातिथि बतौर शिरकत करते हुए आईजीएमसी शिमला की प्राचार्य सीता ठाकुर ने पल्मोनरी मेडिसिन और मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सीएमई और कार्यशाला में देशभर के पल्मोनोलोजिस्ट का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन चिकित्सकों को बीमारियों और उनके इलाज के संबंध में ताजा अपडेट से रूबरू करवाने में सहायक होते रहें हैं। आईसीएमआर, WHO द्वारा प्रायोजित कार्यशाला का आयोजन आईजीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन और मेडिसिन विभाग द्वारा किया गया।इस पर आईजीएमसी शिमला ने मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर विवेक चौहान ने बताया कि WHO कोलब्रेटिंग सेंटर फॉर इमरजेंसी एंड ट्रामा सेंटर AIMS दिल्ली,बिलासपुर,PGI चंडीगढ़ द्वारा संयुक्त तत्वावधान मी आयोजित किया गया। पूरे देश से इसमें फ़ेक्यूलिटी पहुँची थी।आईसीएमआर ने कार्यशाला को प्रायोजित किया और सोसाइटी ऑफ़ पल्मोनरी मेडिसिन,एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियन ऑफ़ इंडिया (एचपी) एंड इमरजेंसी मेडिसिन एसोसिएशन (एचपी) ने ऑर्गनाइज़ किया।
इस कांफ्रेंस में श्वास रोगों को इमरजेंसी में जितनी भी स्किल की आवश्यकता है डॉक्टरों को सिखाया गया।ये राष्ट्रीय स्तर कि कांफ्रेंस रही है। दोबारा कभी इस तरह की महामारी हो तो डॉक्टर ट्रेनेड हैं इसमें हिमाचल के सभी संस्थानों से डॉक्टर पहुँचे हैं।EMhimachal सम्मेलन के चेयरमैन डॉक्टर बलवीर वर्मा, को-चेयर डॉक्टर सुनील शर्मा ,ऑर्गनाइज़िग सेक्रेटरी डॉक्टर विवेक चौहान और सोसाइटी फॉर पल्मोनरी मेडिसिन के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आरएस नेगी रहे हैं।