मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के समरहिल शिव मंदिर हादसे वाली जगह पर बदबू आनी शुरू हो गई है।शवों को खोजने के लिए अब स्ट्रेटेजी बदली गई है। सभी बचाव दलों में अब भूभाग बाँटे गए है ताकि एक ही जगह पर बार बार खुदाई न हो और पूरा एरिया छन जाए।इसके लिए पानी एक जगह इकट्ठा कर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में लगे पाइपों की बौछारों से पत्थरों को खोजा जाएगा।उसके सहयोग से गीली मिट्टी को छाना जाएगा। क्योंकि ये बताया जा रहा है कि बॉडी ऐसी ही जगह नीचे जालीदार जगहों में फँसी हो सकती है।
ज्यों ज्यों शवों को खोजने में दिन बीत रहे है बचाव में जुटी टीम के अब हौसले पस्त इसलिए हो रहे है कि एक तो हादसे वाली जगह में बदबू आनी शुरू हो गई है।ऐसे हादसों के वक्त शवों को ढूँढने में पुलिस महकमे की डॉग स्क्वायड भी फेल है क्योंकि दलदल के बीच डॉग स्क्वायड बदबू नहीं सूंघ पाते। जिन परिजनों के शव मिलने में देरी हो रही है दूसरे वि भी मौके पर खूब भड़ास निकाल रहें है। संबंधित वायरल वीडियो सामने आ चुके है। ऐसे एक्सपर्ट कमेंट्स के दौरान हालाँकि जवानों को चुप्पी साधने की ट्रेनिंग मिली होती है।जवान मौके पर डटे हैं।
अब राहत भरा ये लग रहा है कि शव की बदबू लोग सूंघ पाएँगे और उसी जगह शव को खोजने के लिए फोकस करेंगे।
उधर बचाव दल की टीम के ऑफ़िसर्स अपने जवानों के हौसलों को ऊँचा रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। SDRF DSP गुलशन नेगी जैसे ऑफिसरों ने बीते कई दिनों से ख़ुद गैंती कुदाल सँभाल लिया है।कुछ ही देरी या अंतराल में मेहनतकश जवानों और स्थानीय लोगो के साथ मिट्टी में हाथ आज़मा रहें है। बीते कई दिनों से ये सिलसिला जारी है।कई और अधिकारी भी मौके पर जुटे है ताकि अब जो तीन शव दल दल में फंसे है वो मिल जाए और जवानों के हौसलें बुलंद रहे।
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अब आईजीएमसी में सेवारत रही होम गार्ड मृतक संतोष के पति पवन और उसकी एक पोती को खोजा जा रहा है और स्थानीय नीरज ठाकुर नहीं मिले है।आज रविवार को बचाव अभियान का आठवाँ दिन है। लोकल लोगों ने यहाँ खूब मदद की है। वे हादसे के वक्त के बाद से बिना थके डटे तो हैं ही तीन डेड बॉडी भी खोज निकाली। बचाव अभियान में जुटे दलों ने हालाँकि लोकल को फ्री हैंड दिया हैं ।लोकल लोगों का कहना है कि उन्हें मालूम है कि कहाँ बॉडी फँसी हो सकती है।उन्हें उस इलाक़े की बखूबी पहचान है।पूरे दिनभर खाने पीने जा इंतज़ाम भी इन्हीं के सहयोग से हो रहा है। जो टीम अभियान ने जुड़ी है स्थानीय लोगों की भूमिका को सर्वोपरि मान रहे हैं।
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मौके पर NDRF,SDRF,होमगार्ड, पुलिस, लोकल लोग बचाव अभियान में हैं। घाट से लेकर मंदिर तक एरिया बाँटा है । सबसे ऊपर NDRF दल को रखा है।SDRF दल में शिमला , पंडोह, सकोह से जवान अभियान में है। बीते कल होमगार्ड और फायर जवान नहीं आए बताये जा रहें हैं। एनडीआरएफ़ का एक दल चला गया , उसके बदले नया दल आएगा।
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शव मिलते है तो उसका क्रेडिट पूरी टीम को।
3 शव सबसे पहले होमगार्ड के जवानों को मिले। मौके पर सबसे पहले होमगार्ड के जवान ही पहुँचे थे ।उसके बाद फायर ब्रिगेड के जवान और पुलिस दल फिर सेना।शुरू में जब शव मिले तो मिट्टी से निकालने आसान थे । अब जब शव मिल रहे है या किसी को दबे हुए दिख रहे हैं तो टेक्निकली निकालने पड़ रहे है। बॉडी गल गई है और जल्दबाज़ी या क्रेडिट की होड़ में शव की पहचान बिखर सकती है ।इसलिए NDRF टेक्निकल तरीक़े से 3 या 4 घंटों में निकाल पा रहें है।क्योंकि शव लोहे की जालियों में भी फँसे है तो लोहे को काटना पड़ रहा हैं।
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अभी तक केवल 21 लोग हादसे का शिकार हुए बताये जा रहें हैं मगर ये आँकड़ा बढ़ा हुआ भी हो सकता है।तर्क ये दिया जा रहा है कि जब एडवांस्ड स्टडी से शिव बौडी तक भूस्खलन हुआ तो इस बीच समर हिल एरिया की दो सड़कों से कोई राहगीर या गाड़ी गुजर रही होगी । वे सड़के सुनसान नहीं होगी। शिमला कालका हेरिटेज रेलवे ट्रैक को लेकर भी यहीं सोचा जा रहा है।इसके लिए लोगों से अपील भी की जा रही हैं कि किसी का कोई अपना गुम है तो पुलिस को बताए।मोबाइल लोकेशन के ज़रिए भी उसको खंगाला जा सकता है। स्थानीय पार्षद से लोग इस बाबत संपर्क कर सकते हैं।
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इस हादसे के बाद कटु सत्य ये भी उजागर हुआ है कि चाहे एसडीआरएफ़ हो NDRF हो या कुछ और ऐसे हादसों को निपटने के लिए पूरी तरह से ट्रेंड कोई नहीं। होमगार्ड के जवानों को ही अच्छी ख़ासी ट्रेनिंग और अनुभव बीते 70 सालों का है। मगर हादसों से ही निपटने के लिए इन जवानों की पूरी टीम एक जगह सरकार ने नहीं रखी है जब हादसे होते हैं तो उन्हें सुरक्षा गार्ड या दफ़्तरों से बुलाया जाता है। हादसों के वक्त उन्हें दोहरी ड्यूटीयाँ बजानी पड़ती है या अपनी जगह कोई जुगाड़।NDRF को आईटीबीपी से जोड़ा जाता है फिर 6 या 7 वर्षों में वहाँ से दूसरी जगह और फिर अनुभव को लेकर वहीं ढाँक के तीन पात। ये बात शिव मंदिर हादसे मी भी सामने आई जब जवान एक ही जगह बार बार मिट्टी खोदते दिखे या फिर मिट्टी को इधर से उधर करते रहे।लेकिन शवों को खोजने में पूरा दमख़म ये टीमे लगा रहीं हैं।