IBEX NEWS,शिमला।
देश की राजधानी दिल्ली की जहरीली हवा से बचने के लिए लोग पहाड़ों का रुख कर सकते है। कार्बन क्रेडिट स्टेट हिमाचल में इन दिनों हवा बिल्कुल साथ सुथरी है। दुनियाभर में मशहूर पर्यटन स्थल मनाली और शिमला का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 45-45 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिट मीटर है। इसे देखते हुए हिमाचल के पर्यटन कारोबारियों ने भी पर्यटकों से पहाड़ों पर आने की अपील की है ऐसे में जब धार्मिक पर्यटन कारोबार हिमाचल में इस बार मंदा ही रहा है। पर्यटन कश्मीर, मसूरी, नैनीताल जैसे शहरों की हसीन वादियों में सेड को पहुँचे और आपदा के बाद के ज़ख्मों को सहलाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटकों ने भी हिमाचल से मुँह फेर लिया है। ऊपर से केंद्र सरकार की बेरुख़ी का दंश भी पहाड़ी राज्य को झेलना पड़ा हैं अभी तक बरसात से मिले ज़ख्मों को भरने के लिए वितीय पोटली केंद्र सरकार ने नहीं खोली है। दिल्ली जैसे कई सहरों में AQI 450 के आसपास पहुंच गया है। देश की राजधानी में हवा दूषित होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। खासकर दमे के रोगियों को सांस लेने में दिक्कतें आ रही है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व लोग भी पहाड़ों का रुख कर स्वच्छ हवा को इंजॉय कर सकते हैं।हिमाचल के कई पर्यटन स्थलों पर AQI 60 माइक्रो ग्राम से भी नीचे चल रहा है। शिमला व मनाली का AQI 45 माइक्रो ग्राम, परवाणू 49, धर्मशाला का AQI 52 और मंडी के सुंदरनगर का AQI 51 माइक्रो ग्राम है।प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र बद्दी ही इकलौता ऐसा शहर है जहां का AQI 100 माइक्रो ग्राम से ज्यादा है। अन्य इंडस्ट्रियल एरिया का AQI 100 माइक्रो ग्राम से नीचे है। बद्दी का AQI 163 माइक्रो ग्राम, पांवटा साहिब का AQI 82, नालागढ़ का 69 कालाअंब 61 और डमटाल का 51 माइक्रो ग्राम है।AQI हवा में मौजूद कणों को मापने का जरिया है। 0 से 50 माइक्रो ग्राम के बीच का AQI सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 51 से 100 के बीच का AQI संतोषजनक, 101 से 200 के बीच का मॉडरेट, 201 से 300 के बीच का AQI बेहद खराब तथा 301 से ऊपर का AQI गंभीर माना जाता है।वायुमंडल में घुलने वाली जहरीली हवाएं, सांस के साथ गले, श्वास नली और फेफड़ों तक पहुंच जाती है। इससे अस्थमा व सांस के रोगों की शुरुआत होने का भय रहता है। धूल के कारण चर्म रोग और आंखों में भी जलन होती है। दिल्ली में इस कारण आपात जैसे हालात है।