न्याय पक्ष के वकीलों ने भी न्यायालय में अग्रिम जमानत न दिए जाने की अपील की,मजबूती से रखा पक्ष
पुलिस ने भी बेल न दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट में तथ्यों सहित रखा पक्ष।याचिकाकर्ता को उसकी आधिकारिक स्थिति और संसाधनों तक पहुंच को देखते हुए गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए बेल न दी जाए, हिरासत में लेना जरूरी ।
विमल नेगी के मामले में मीणा ने अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई थी और इस कड़ी में सुनवाई के दौरान आज ख़ुद था गैरमौजूद ।
IBEX NEWS,शिमला
IAS हरिकेश मीणा को उच्चतम न्यायालय ने पर्सनली हाज़िर होने को कहा है और निर्देश दिए है कि उन्हें अदालत में अभी पेश करो ।विमल नेगी के मामले में मीणा ने अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई थी और इस कड़ी में सुनवाई के दौरान आज ख़ुद गैरमौजूद था ।हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में पूर्व एमडी एवं IAS अधिकारी हरिकेश मीणा की अग्रिम जमानत याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है जिस पर कोर्ट ने पर्सनली हाजिर होने को कहा है ऐसे में जब न्याय पक्ष के वकीलों ने भी न्यायालय में अग्रिम जमानत न दिए जाने की अपील की,और मजबूती से रखा पक्ष । पुलिस ने कोर्ट में अपनी स्टेट्स रिपोर्ट रखी । कहा कि वे जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं ।बीते सोमवार को हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल तक मीणा की बलपूर्वक गिरफ्तारी पर रोक लगाकर राहत दी थी।मीणा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई है, क्योंकि विमल नेगी के परिजनों ने IAS हरिकेश मीणा, IAS शिवम प्रताप सिंह और डायरेक्टर देसराज पर विमल नेगी की मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार उप पुलिस अधीक्षक (शहर) शिमला की और से अदालत में कहा गया कि IAS याचिकाकर्ता को उसकी आधिकारिक स्थिति और संसाधनों तक पहुंच को देखते हुए गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए अग्रिम जमानत न दी जाए ।याचिकाकर्ता की हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है, क्योंकि अगर वह फरार रहता है तो उसके प्रभाव और अधिकार का इस्तेमाल न्याय की प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए किया जा सकता है। पुलिस ने गुहार लगाई है कि पुलिस ने इस मामले की जांच में लगन और निष्पक्षता से काम किया है, और हिरासत की आवश्यकता केवल मामले की अनिवार्यताओं और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए है ।जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, और महत्वपूर्ण साक्ष्य अभी तक सामने नहीं आए हैं। एक आईएएस अधिकारी के रूप में याचिकाकर्ता की प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए, अग्रिम जमानत के सुरक्षात्मक कवच के तहत उनकी निरंतर स्वतंत्रता जांच में बाधा उत्पन्न कर सकती है। पुलिस को याचिकाकर्ता की भूमिका की पूरी सीमा का पता लगाने, उसके विरोधाभासी बयानों के पीछे की सच्चाई को उजागर करने और ईओटी निर्णय और विमल नेगी की मृत्यु में परिणत होने वाली घटनाओं के बीच संबंध, यदि कोई हो, उसका पता लगाने के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।
पुलिस ने अदालत में बताया है कि विमल नेगी के लापता होने के बाद याचिकाकर्ता के आचरण पर संदेह उत्पन्न कर रहा है जो पूर्व ज्ञान या संलिप्तता का संकेत दे सकती है।
इस बाबत पुलिस ने हाई कोर्ट में प्रार्थना की कि पुलिस को मिले तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर मामले में याचिकाकर्ता की संलिप्तता को लेकर प्रथम दृष्टया सबूत मिल रहे हैं । उसकी प्रभावशाली स्थिति, टालमटोल वाला आचरण और जांच के शुरुआती चरण को देखते हुए, याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने से चल रही जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और न्याय के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचेगा। पुलिस ने अदालत में विनम्रतापूर्वक प्रार्थना की कि यह न्यायालय निष्पक्ष और गहन जांच के हित में याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत के लिए आवेदन को अस्वीकार कर दे।
सूत्र बताते हैं कि पुलिस की जांच में प्रथम दृष्टया ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं जो विमल नेगी के लापता होने और उसके बाद उनकी मृत्यु की परिस्थितियों में याचिकाकर्ता की संलिप्तता को दर्शाते हैं, जिन पर याचिकाकर्ता ने आईएएस अधिकारी के रूप में पर्यवेक्षी अधिकार का प्रयोग किया था।
पुलिस की जाँच में सामने आया है कि विमल नेगी के बारे में याचिकाकर्ता का अज्ञानता का दावा, जब गवाहों के बयानों और दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ तुलना की जाती है, तो उनकी विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह पैदा हो रहा है और जांच एजेंसी को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत हो रहा है।
न्यू शिमला थाना में डायरेक्टर देसराज, एमडी और डायरेक्टर (पर्सनल) के खिलाफ FIR की गई है। अब तक की पुलिस और अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की जांच में परिजनों द्वारा लगाए आरोप सही पाए गए हैं।इससे इन तीनों अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।बता दें कि बीते 10 मार्च को विमल नेगी दफ्तर से घर जाने के बजाय टैक्सी में बिलासपुर चले गए थे। 18 मार्च को गोविंद सागर झील में उनका शव मिला था। 19 को एम्स बिलासपुर में पोस्टमॉर्टम करवाया गया। इसी दिन परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन दफ्तर बीसीएस के बाहर शव के साथ प्रदर्शन किया। इसके बाद ही इस मामले में एफआईआर की गई और देसराज को सस्पेंड किया गया और डायरेक्टर (पर्सनल) को बीते कल सरकार ने HPPCL से ट्रांसफर किया है ।
- अब पुलिस ने मृतक विमल नेगी के फोन को खोजने के लिए गोबिंदसागर झील में गोताखोर उतारे हैं। पुलिस को उम्मीद है कि विमल नेगी का मोबाइल उनकी मौत के कई राज खोल सकता है।