…….राज्यपाल ने प्रदेश राज्य बाल कल्याण परिषद् की वार्षिक बैठक की अध्यक्षता की
………मुख्यमंत्री ने वृद्ध आश्रमों एवं अनाथालयों के समुचित प्रबन्धन पर बल दिया
मनजीत नेगी, शिमला
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वानाथ आर्लेकर ने उपायुक्तों को वृद्धाश्रमो और अनाथालयों में जमीनी स्तर पर संसाधन जुटाने में सहयोग करने की अपील की है। नियमित तौर पर निरीक्षण करने के निर्देश देते हुए तर्क दिया है कि वे इन संस्थानों में भी रह रहे बालकों और वृद्धों को घरों की तरह अत्याधुनिक सुविधा मिलनी चाहिए। वे इसके हकदार है।
राज्यपाल हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद के अध्यक्ष हैं तथा उन्होंने परिषद की आय के स्त्रोत बढ़ाने की जरूरत बताई। अधिकारियों को सभी आश्रमों का नियमित तौर पर निरीक्षण करने के भी राज्यपाल ने निर्देश दिए है। उन्होंने परिषद को अपनी गतिविधियों में आजीवन सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया है।
राज्यपाल आज राजभवन में हिमाचल प्रदेश राज्य बाल कल्याण परिषद की वार्षिक बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी उपस्थित थे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने परिषद के आजीवन सदस्यों के सदस्यता शुल्क को पांच हज़ार से बढ़ाकर 11 हज़ार किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रमों में अभी भी कुछ संख्या में वृद्धजन रह रहे हैं। उन्होंने वृद्ध आश्रमों एवं अनाथालयों के समुचित प्रबन्धन पर बल दिया ताकि यहां रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा कि राज्य बाल कल्याण परिषद को एक विभाग की तरह संचालित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि मन्दिर न्यास, परोपकारी संस्थाओं सहित समाज के समृद्ध वर्गों को आगे बढ़कर चैरिटेबल गतिविधियों के माध्यम से इस संस्थान के फंड और संसाधनों को बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसे एक सामाजिक संगठन के तौर पर लिया जाना चाहिए, ताकि इसकी गतिविधियों में समाज को भी जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि परिषद् के सभी सदस्यों को स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने परिषद् की बैठकें नियमित तौर पर आयोजित करने के भी निर्देश दिए। राज्यपाल ने कहा कि सेवा भावना को बनाए रखते हुए सामूहिक कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के दृष्टिगत अन्य सामाजिक संगठनों को भी इससे जोड़ना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में उपायुक्तों एवं उनकी टीम द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे परिषद् की गतिविधियों को भविष्य में भी इसी प्रकार जारी रखेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि परिषद् शीघ्र ही आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेगी। राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि एक बालक की क्षमता के समग्र विकास के लिए प्रत्येक बच्चे को समान अवसर उपलब्ध करवाये जाने चाहिए। आश्रम में बालकों को वे सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवायी जानी चाहिए जो अन्य बालकों को उनके घरों में उपलब्ध रहती हैं। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की मदद वास्तव में मानवता और धर्म की सच्ची सेवा है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने अपने सम्बोधन में परिषद के बेहतर संचालन के लिए निगमित सामाजिक दायित्व के अन्तर्गत निजी क्षेत्र को सक्रिय सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता को बढ़ावा देने के लिए लोगों को परिषद से आजीवन सदस्य के रूप में जोड़ने के प्रयास किए जाने चाहिए।