IBEX न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार जिस बर्फ़ानी तेंदुओं के व्यवहार परखने और इनके सरंक्षण करने के पीछे शीत मरुभूमि लाहौल स्पीति में करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है ।अब लगता है वन्य प्राणी विंग के मुस्तैद आलाअधिकारी इस संबंध में चिर निंद्रा में हैं।वर्ष 2010-11 में केंद्र के माध्यम से सवा पाँच करोड़ रुपये के ऐसे प्रोजेक्ट् पर अधिकारियों के पॉव यहाँ सीमाओं की बेड़ियों में बंध गए है और ऐसा दिखता है कि वे इस प्रोजैक्ट् से सीख सीखने में चूक गए। ज़िला लौहल स्पीति के साथ लगते किन्नौर के हाँगो में एक नहीं चार चार बर्फ़ानी तेंदुए दहाड़े मार रहे हैं और ये गूंज वन विभाग के वन्य प्राणी विंग के अधिकारियों के कानो तक इसलिए नहीं पहुँच रही है क्योंकि लाहौल स्पीति वाले स्नो लेपर्ड प्रोजेक्ट का एरिया हाँगो बाहर हैं। लिहाज़ा ये स्नो लेपर्ड विंग के काम के नहीं माने जा रहे हैं। यदि ऐसा नहीं हैं तो अधिकारियों को जब आधिकारिक तौर पर ग्रामीणों द्वारा वीडियोज़ भेजे हैं तो हाथ पाँव फुलना लाज़मी हैं। इनके सरंक्षण के लिये तमाम उपाय खोजे जाते।
पहले जब संबंधित प्रोजैक्ट्स विभाग में स्नो लेपर्ड सरंक्षण का शुरू हुआ तब तत्कालीन विभागीय मंत्री को बड़े कार्यक्रमों में भी स्नो लेपर्ड के विभिन्न कोणों के फ़्रेम्ड फोटो कामयाबी भुनाने के लिए भेंट किए जाते रहे हैं। स्नो लेपर्ड का पहला पोज़ सामने आते ही हाईटेक रेडियो कॉलर से बर्फ़ानी तेंदुए के बर्ताव पर खूब प्रचार हुआ।
स्टेट एनिमल घोषित ये एनिमल अब मानवीय इलाक़े में अठखेलियाँ कर रहे हैं।विभाग हाथ पर हाथ धरे है।हांगरंग घाटी के लोग परेशान है। लंबे अरसे से एक के बाद एक गाय , भेड़, बकरी, खच्चर,खोते, हाँगो घाटी से ग़ायब हुए। दिनभर खोजबीन के बाद भी जब पालतू पशु नहीं मिले तो रखवाली शुरू हुई तो पता चला कि ग्रामीण ईलाकों में इन चारों की गुसपैठ जारी है। चारों मिलकर शिकार कर रहें है।सर्दियों में यहाँ ऐसे पशुओं को खुला छोड़ा जाता हैं। हाँगो पंचायत प्रधान सूरज इसकी पुष्टि कर रही हैं। इनका कहना हैं कि पहले पता ही नहीं चल रहा था कि गावँ वालों के पशु ग़ुम कैसे हो रहे हैं। कई लोगों ने चार तेंदुओं को देखा। ये इससे जायदा भी हो सकते हैं।
वीडियो बनाने की कोशिश हुई और प्रमाण वन विभाग के अधिकारियों को दिया है और डीएफ़सी से आग्रह किया है कि इन्हें पकड़ा जाए। ग्रामीणों को पशुओं की अब रखवाली करने को कहा हैं।
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ये एंडेंजर्ड प्रजाति है । इन्हें पहाड़ों पर ऊपरी इलाकों के लिए हाँका जाएगा। इन्हें पिंजरे में क़ैद नहीं कर सकते। ट्रेनक्यूलाइज कर वापस उनके हैबिटैट में छोड़ना होगा।राज्य वन्य प्राणी विंग को इस संबंध में रिपोर्ट किया गया है । लोगों से फ़िलहाल आग्रह किया हैं कि खुले में पालतू पशुओं को न रखे।रैपिड रिस्पांस टीम एक्सपर्ट को बुलाया हैं।
आईएफ़एस अरविंद कुमार डीएफ़सी किन्नौर ज़िला।
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