बड़ी खबर। धूल फाँक रही hpmcकी करोड़ों रुपये की हाईटेक मशीनों की बदहाली पर लाल हुए बाग़वानी,राजस्व व जनजातीय विकास मन्त्री जगत सिंह नेगी।रिकॉर्ड सहित हफ़्ते के भीतर शिमला सचिवालय तलब किए रिकाँगपियो के अफ़सर।कहा,अब अव्यवस्था का माहौल नहीं चलेगा।नहीं सुधरे तो होंगे सीधे बाहर।IBEX NEWS ने आपके लिये सीधे वीडियो जुटाये हैं कि मंत्री जी कैसे फटकार लगा रहें हैं ?आपको अंदाज़ा लग जाएगा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में तैनात अधिकारियों की कार्यशैली कितनी चुस्त दुरस्त रही हैं।

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मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।

धूल फाँक रही hpmc की करोड़ों रुपये की अत्याधुनिक मशीनों की बदहाली और अव्यवस्था का माहौल देखकर बाग़वानी,राजस्व व जनजातीय विकास मन्त्री जगत सिंह नेगी ने अधिकारियों को खूब फटकार लगाई।उन्होंने कर्मचारियों को दो टूक कहा है कि यदि एक दिन के भीतर मशीनों से धूल साफ़ नहीं होती है तो बाहर का रास्ता भी देखना पड़ सकता है।उन्होंने बाक़ायदा मशीनों की फोटो खिंचवाईं और साफ़ मशीनों की फोटो भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि हाईटेक मशीनों के सेंसर धूल से ख़राब होने का ख़तरा हैं और ये ख़राब हुए तो मशीनें कबाड़ हो जायेगी।धूल को देखकर कोई भी ये कह सकता है कि सालभर से इस पर कोई काम नहीं हुआ है।

रिकाँगपियो स्थित hpmc कार्यालय में कोल्ड स्टोरेज यूनिट में वे औचक निरीक्षण को पहुँचे थे।इटालियन बेस्ड ऐपल ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग जैसी हाईटेक करोड़ों रुपए की मशीनों के ऊपर मोटी परत धूल ,मशीन के सेंसर की बदहाली और जूसों को बिना ग्रेडिंग रखने पर कड़े तेवर दिखाते हुए बाग़वानी विभाग के अधिकारियों को रिकॉर्ड सहित हिमाचल प्रदेश सचिवालय तलब किया है।इतना ही नहीं कार्यालय में अव्यवस्था का माहौल इस कदर क़ायम था कि जिस ठेकेदार को निर्माण कार्य का जिम्मा दिया है निर्माण सामग्री को भी मशीनों के साथ ही जगह दी गई है। मौक़े पर ही ऐसे समान को बाहर फैंकने के मंत्री जी ने निर्देश दिये है और कड़क तेवरों में कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो सुस्त कार्यशैली अब बर्दाश्त नहीं होगी। सरकार बाहर का रास्ता भी दिखा सकती हैं।

हैरानी ये भी कि ऐसे निर्माण कार्य को नये सिरे से फिर करवाया जा रहा है जो पहले से सही हालत में रहा हैं।

बताते है कि इस दौरान यूनिट का पूरा रिकॉर्ड भी दुरुस्त नहीं था। कितना जूस और जैम तैयार है और ग्रेडिंग क्या रही हैं?विभिन्न प्रकार के जूस और जेम्स में मिठास बढ़ाने के लिए किन तरीक़ों को कितने अनुपात में अपनाया गया है?ऐसे में जब शिकायतें मिली थी कि जूस में मिठास बढ़ाने के लिए जमकर चीनी का प्रयोग हो रहा है।मैनेजर और संबंधित स्टाफ को पूरी रिपोर्ट तैयार कर सचिवालय बुलाया हुआ हैं।


जानकारी के मुताबिक़ बागवानी उत्पादन विपणन और प्रसंस्करण निगम लिमिटेड (एचपीएमसी) के तहत विश्व बैंक के सहयोग से हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) वर्तमान में किन्नौर जिले की रिकांगपिओ कल्पा तहसील में 250 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ एक नियंत्रित वातावरण भंडारण सुविधा का संचालन कर रही है। यह सेब के बढ़े हुए उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने और फलों की कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र हैं। शीतलन प्रणाली सीएफसी उत्सर्जन के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को पूरा करने के लिए डिजाइन की जा रही हैं।इस मुहिम में ही ऐसे निर्माण किए जा रहे है जिसकी जरूरत नहीं बताई जा रही है।

प्रस्तावित शीतलन उपकरण, जैसा कि तकनीकी विनिर्देश में वर्णित है, एक प्राकृतिक प्रशीतक (अमोनिया) का उपयोग करता हैं ।इस सुविधा में ठोस अपशिष्ट संग्रह और निपटान, निपटान के लिए अपशिष्ट जल परिवहन प्रणाली और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र के संदर्भ में पर्यावरणीय अवसंरचना भी है। घरेलू प्रवाह… सुविधा की स्थापना के लिए निवेश लगभग 5.14 करोड़ रुपये होने का यहाँ अनुमान है।अभी तक कितना बजट यह खर्च हुआ ?कितना शेष है? इस संबंध में भी मन्त्री ने रिपोर्ट माँगी।
रिकांग पिओ में नियंत्रित वातावरण भंडारण सुविधा से उत्पन्न होने वाले संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने के लिए, एचपीएचडीपी ने उपक्रम के विभिन्न पर्यावरणीय घटकों के लिए पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव आकलन (ईएसआईए) अध्ययन करने के लिए रामकी एनवायरो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (आरईएसपीएल), हैदराबाद का सहयोग लिया हुआ है।

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