IBEX NEWS,शिमला।
प्रदेश सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के सर्वांगीण एवं संतुलित विकास के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सशक्त प्रयास किए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में जनजातीय क्षेत्र राज्य के 42.49 प्रतिशत क्षेत्र में फैला है और जनसंख्या घनत्व 7 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या जहां कुल जनसंख्या का 5.71 प्रतिशत है, वहीं इस समुदाय के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए राज्य की कुल योजना राशि का 9 प्रतिशत भाग जनजातीय क्षेत्र विकास योजना के लिए चिन्हांकित किया गया है।
सरकार द्वारा सीमा क्षेत्र विकास योजनाओं के तहत भी जनजातीय क्षेत्रों को सशक्त बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। क्षेत्र की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां के निवासियों की जरूरतें भी अलग होती हैं। खासतौर पर शरद ऋतु के दौरान संपर्क सुविधा से संबंधित कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जनजातीय लोगों को बर्फबारी के दौरान राहत देने के लिए इन क्षेत्रों में शीतकालीन हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है।
राज्य के दूरदराज और जनजातीय क्षेत्रों के रोगियों को समय पर एयर लिफ्ट करने के लिए निःशुल्क हैली एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध करवाई जाती है। यह जनजातीय क्षेत्रों के प्रति प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के स्थल देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटकों की सुविधा के दृष्टिगत आधारभूत ढांचे के सृजन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
प्रदेश सरकार राज्य के दूरवर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव को और प्रगाढ़ करने की सोच के साथ इस बार हिमाचल दिवस का राज्य स्तरीय समारोह लाहौल-स्पीति जिला के काजा में आयोजित कर रही है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि हमारे जनजातीय क्षेत्रों की संस्कृति, यहां की परंपराओं एवं विशिष्टताओं को देश-दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने का यह एक उचित मंच होगा। उनका कहना है कि इस सीमावर्ती क्षेत्र में दो दिवसीय प्रवास के दौरान उन्हें क्षेत्रवासियों के लिए मूलभूत सुविधाएं सुदृढ़ करने के दृष्टिगत स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं को और नजदीक से जानने-समझने का अवसर भी प्राप्त होगा।