मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू आज किन्नौर के दौरे पर पहुँच रहें हैं । चीन सीमा से सटे वाइब्रेंट विलेज छितकुल में विभिन्न निर्माण गतिविधियों पर लोगों से बातचीत करेंगे और आईटीबीपी के आलाधिकारियों से भी नागास्थी में बैठक सम्भावित है।
छितकुल में सुबह दस बजे मंदिर प्रांगण में कार्यक्रम का आयोजन होगा।
मोदी सरकार ने छितकुल गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत टूरिज्म और इन्फ्रॉस्ट्रक्चर बनाने के लिए चिन्हित किया है।
इसके तहत हिमाचल के किन्नौर में आखिरी गांव छितकुल वाइब्रेंट विलेज के तहत विकास कार्यक्रम चल रहे है। वाइब्रेंट प्रोग्राम का मकसद भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों का समग्र विकास करना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 4,800 करोड़ रुपए का खर्च निश्चित किया है। इसके अलावा इन गांवों में सड़कों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2,500 करोड़ रुपए अलग से आवंटित किए गए हैं।भारत सरकार ने जिन गांवों को चुना है, ये वह गांव हैं जो कि भारत-चीन सीमा पर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में जाने जाते हैं। खास बात यह है कि गांवों में चल रहे बॉर्डर प्रोग्राम्स से इसका कोई लेना देना नहीं है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम उससे अलग प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट का मुआयना सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधिकारी कर रहे हैं।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंघ शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट में उतरेंगे। यहां पर उनका स्वागत मुख्यमंत्री सुक्खू खुद करेंगे।
शिमला से दोनों नेता किन्नौर जाएंगे और आज रात दोनों किन्नौर के कलपा में में ही ठहरने का कार्यक्रम है । आज और कल यहाँ भी अहम बैठके होगी।
इस दौरान वह स्थानीय लोगों की समस्याओं को भी सुनेंगे।
बॉक्स
किन्नौर प्रवास के दौरान दोनों के बीच पावर प्रोजेक्ट पर वाटर सैस को लेकर भी चर्चा होगी, क्योंकि केंद्र ने हिमाचल के वाटर सैस को असंवैधानिक करार दिया है। सच्चाई यह है कि हिमाचल से पहले भाजपा शासित उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर भी वाटर सैस वसूल रहा है। जाहिर है कि इस मसले पर मुख्यमंत्री सुक्खू केंद्र से नरमी बरतने को कहेंगे। इसी तरह राज्य में स्थापित पावर प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा पावर प्रोजेक्टों में मिलने वाली 12 फीसदी रायल्टी को बढ़ा कर 30 प्रतिशत करने का भी आग्रह करेंगे।