IBEX NEWS,शिमला।
कई किलोमीटर पैदल चलकर परिवार के लिए पीठ पर राशन ढोया, दोस्तों संग ज़िंदादिली से देव संस्कृति में रात भर मेला लगाना,सुबह जल्दी उठना,तिब्बत,गंगोत्री,केदारनाथ जाते वक्त 21000 ft तक के ग्लेशियरयुक्त पहाड़ों को कई बार क्रॉस किया है अब क्या लोगों के पास पूरी दुनिया मोबाइल से मुट्ठी में है।सोसाइटी का सस्ता राशन है और अब ईमानदारी जरा भी नहीं। बता रहें हैं भारत चीन बॉर्डर पर बसे छितकुल के 96 वर्षीय जिया लाल अपनी ज़ुबानी ।सुनिए उनसे उनसे पुराने जमाने के अनूठे क़िस्से।अब और तब के जमाने में वे क्या तब्दीलियाँ देख रहें हैं सुनकर आप भी हतप्रभ होंगे।
बताते हैं कि हमारे जमाने में आर्थिक तंगी थी।खाने पीने के लिए अधिक नहीं होता था और इसके जुगाड़ के लिए जीभर कठिन हाडतोड़ मेहनत होती थी। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िला के भारत तिब्बत सीमा पर बसे छितकुल से आगे क़रीब 15किलोमीटर हिल -अप नामक जगह व्यापारिक केंद्र था। तिब्बत से आकर वहाँ लोग एकत्रित होते और व्यापार होता।वे नमक ,हींग,जीरा ऊन,कपड़े देते थे और हम बदले में जौ, ओघला, फाफ़रा आदि। वहाँ जाकर भी हम सामान बेच आते थे। तब दस बारह दोस्त हम यात्रा पर जाते थे और 21000 फीट तक के ऊँचे पहाड़ों को क्रॉस करते थे।एक महीने की ये यात्रा थी।डर जरा भी नहीं था। सांगला तक से हमारे साथ लोग सिल्क रूट का हिस्सा होते। रामपुर से भी पैदल चलकर परिवारवालों के लिए तेल ,नमक और राशन लाते थे।तब ऐसे परिवार पाला जाता था।हम ग्लेशियरों को पार कर गंगोत्री धाम, केदारनाथ पैदल जाते थे।अब सिल्क रूट फिर से खुले या न खुले कोई फ़र्क़ नहीं। अब क्या हैं? सब बदल गया।मेरे दोस्त अब नहीं रहे ,जीवन उनके बिना नीरस है।दोस्तों के साथ रातभर हमारी देव संस्कृति में मेला लगाते थे।अब नहीं ऐसा होता। सुबह लोग जल्दी नहीं उठते।
अब नये जमाने में सबसे अच्छी बात है कि सोसाइटी का सस्ता राशन है। सभी के लिए उपलब्ध है।
अब तो मौसम में भी बदलाव है और लोग भी । ईमानदारी अब नहीं रही जैसे पहले लोगों में कूट कूट कर ईमानदारी थी।क़रीबन हर हाथ में मोबाइल है कभी भी झगड़े हो जाते है और इधर कि बात उधर। हमारे जमाने में तो सूचना भी देरी से पहुँचती थी मगर स्टीक पहुँचती थी। अब मोबाइल से परिवारों में दुरियाँ है साथ बैठकर भी साथ नहीं महसूस होता। मोबाइल में लोग दब रहें हैं और अपनों से दूर जा रहें है पहले लोग अपनों के साथ समय बिताते थे।कई मायने में ये टेक्नोलोजी अच्छी है अधिकतर मामलों में नहीं। मोबाइल से दुनिया की बात इधर से उधर होती है । मोबाइल की वजह से बच्चे पढ़ाई नहीं करते हम बोलते हैं पढ़ाई करो। वे मोबाइल पर गेम्स ज़्यादा खेलते हैं।हम अनपढ़ आदमी है।बच्चे बोलते है हम मोबाइल पर पढ़ाई कर रहे हैं ।
पहले जुलाई में भी छितकुल में बर्फ पड़ती थी।सारी फसलें होती थी। अब चुली यानी आडू जल्दी पकते है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यहाँ भी पड़ा है।