IBEX NEWS,शिमला।
प्रदेश सरकार की दस गारंटियों को धरातल से जोड़ने को प्रदेश का युवावर्ग बेसब्री से बाट जोह रहा है। बेरोज़गार सड़कों से लेकर सचिवालय तक परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए एड़ियाँ घिस रहे है ।वहीं जिन वायदों को लेकर कांग्रेस सतासीन हुईं उन वचनों में से दूध और गोबर ख़रीदने के लिए दुग्ध व्यापार से जुड़ा युवावर्ग आस में है कि अपनी गारंटी के मुताबिक़ अब तो सरकार दस किलो दूध और दो किलो गोबर ख़रीद ले, तो बात बने। शिमला के पॉश इलाक़े में प्रतिदिन 150 -200 लीटर तक दुध बेचने वाले रविंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि 6 जर्सी गाय पाली है ।
सुबह तड़के काऊ शेड में गाय से दूध निकालने माता पिता और मैं खड़े हो जाते है।इज प्रोसेस में बहुत समय लगता है। बचपन से ऐसा होते देखते आया हूँ। बीस सालों से हम इस कारोबार में है। अच्छी ख़ासी आय इस पेशे से है मगर समय और मेहनत बहुत ज़्यादा है।मैंने यू ट्यूब पर खोजा कि इस धंधे को और कैसे आसान करूँ । पता चला कि गाय से दूध दुहने के लिए मशीन का उपयोग किया जा सकता है ।आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है।
हिमाचल प्रदेश में तो ये मशीन कहीं नहीं मिलीं और न ही सरकार इस धंधे से जुड़ी नई तकनीक के बारे में जागरूक करती है।इस और कोई विशेष योजना सरकार की नहीं है। पटियाला से मैंने मशीन ऑर्डर की।शिमला के एक पेट्रोल पम्प तक उस कंपनी ने मशीन पहुँचाई और मैंने स्वयं पुर्ज़ों को जोड़कर इस्तेमाल की।बारहवीं पास रविंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि अब इससे गाय दुहने को क़रीब चार मिनट लगते हैं।पहले हम तीन लोग काऊ शेड में होते थे । अब मेरी माँ और पिता को राहत मिली । मैं अकेले ही अब ये काम हैंडल कर लेता हूँ समय की भी बचत हुई। रविंद्र शिमला के शोघी में गाँव घनेरीं वासी है। अपने घर के अलावा गाँव के दूसरे लोगों से भी दूध एकत्रित करके बेचता है।
रविंद्र का कहना हाई कि शिमला में अलग अलग जगह दूध बेचने में बहुत भागदौड़ है। एक किसान से 25 से तीस लीटर दूध रोज़ाना ख़रीदता है गाँव में अन्य लोगों से भी दूध बेचने के लिए लेता हूँ।यूएस क्लब, रिचमाउंट, गवर्नर हाउस इलाका, जोधा निवास, सचिवालय के आस पास दोपहर तक दूध बेचता है। रविंद्र का कहना है कि सरकार अपने वायदे पूरे करें । 6 महीने से अधिक समय हो गया अभी तक इस और हमे कोई पहल नहीं दिखी हैं।
रविंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि सीएम साहब स्वयं भी इस पेशे में एक जमाने में रहें हैं । ये बहुत मेहनत का काम है। सरकार से उम्मीद है कि दुग्ध पालकों की और भी पहल करें।