IBEX NEWS,शिमला।
संयुक्त किसान मंच ने रोहड़ू के बागवान पर सेब फेंकने के मामले में लगाया जुर्माना तुरंत निरस्त करने की सरकार से मांग की है। ऐसा न होने पर बागवानों को संगठित कर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि रोहड़ू के एक बागवान को भारी वर्षा और बाढ़ के समय में तथाकथित नाले में सेब फेंकने का वीडियो सामने आने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक लाख रुपये का जुर्माना लगाना निंदनीय है। बोर्ड तुरंत इस जुर्माने को निरस्त करे।
आपदा के समय जब किसान, बागवान और आम आदमी गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है और किसानों बागवानों की फसल बर्बाद होने से वह आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो ऐसे में जुर्माना लगाने का फैसला सरासर नाजायज और भेदभावपूर्ण है। प्रदेश में कंपनियां, ठेकेदार मलबा, मिट्टी और कई प्रकार के आपत्तिजनक पदार्थ नदी, नालों और जंगलों में खुलेआम फेंक कर कानून और नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कभी भी इन पर कार्रवाई नहीं करता। मंच की मांग पर अगर सरकार ने गंभीरता से विचार नहीं किया और एक लाख जुर्माना निरस्त नहीं किया गया तो बागवान विरोधी इस कदम के विरोध में प्रदेश स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा है कि कुछ दिन पहले बागवान को सेब की फसल को नाले में फेंकना पड़ा, क्योंकि सड़कें बंद थीं। इस सरकार ने सारे मामले को राजनीतिक रूप देते हुए किसान को ही प्रताड़ित करना शुरू किया। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किसान को एक लाख रुपया जुर्माना भरने का नोटिस भेजा है। भारतीय जनता पार्टी सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध करती है। बरागटा ने कहा कि सरकार ने अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए 1-1 लाख का जुर्माना बागवानों पर लगा दिया है। बरागटा ने कहा कि वह भाजपा की तरफ से कह रहे हैं कि सेब बागवानों पर लगा 1-1 लाख रुपये का जुर्माना बागवान नहीं भरेंगे। वे एक मुहिम पूरे प्रदेश में चलाएंगे और
ये पैसा या जुर्माना बागवानों से इकट्ठा कर सरकार को देंगे।
बागवान बहुल क्षेत्र विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है। सड़कें अभी भी अवरुद्ध पड़ी हैं, जिस कारण बागवान अपने उत्पाद समय पर मंडियों में नही पहुंचा पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में खादों की किल्लत है। बगीचों में पतझड़ की समस्या जस की तस बनी हुई है। अच्छा होता कि सरकार नौणी विश्वविद्यालय और बागवानी विभाग की एक्सपर्ट्स टीम का क्षेत्र में विजिट करवाते। बरागटा ने कहा कि पिछले साल का एमआईएस के तहत खरीदे फलों का भुगतान बागवान को नहीं हुआ है। अगर सरकार का अहंकार इसी से संतुष्ट होता है तो वे ऐसा कार्य जरूर करेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अगर बागवानों के प्रति थोड़ी भी हमदर्दी बची है तो इस तुगलकी फरमान को वापस ले।