प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने से ग्राम पंचायतों और युवाओं का होगा आर्थिक सशक्तिकरण।

Listen to this article

IBEX NEWS,शिमला।

प्रदेश सरकार ने राज्य को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के साथ-साथ आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। 
प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले में दो-दो ग्राम पंचायतों को पायलट आधार पर हरित पंचायत के रूप में विकसित करने की रूपरेखा तैयार की है। इन पंचायतों में 500 किलोवॉट से लेकर एक मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। 
हिमाचल प्रदेश ऊर्जा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार के उपक्रम हिमऊर्जा ने इसके दृष्टिगत ग्राम पंचायतें चिन्हित कर सौर परियोजनाएं स्थापित करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। 
योजना के तहत 500 किलोवॉट क्षमता की सौर परियोजना के निर्माण के लिए 2.10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कार्यशील होने के उपरान्त प्रत्येक परियोजना से प्रतिदिन लगभग 2250 यूनिट विद्युत उत्पादन और लगभग 25 लाख रुपये की आय का अनुमान है। 


इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरान्त इनमें स्थानीय ग्राम पंचायतों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाएगी। इससे न केवल स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार बल्कि ग्राम पंचायतों के लिए आय सृजन के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे। 
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से बहु-आयामी प्रयास कर रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए युवाओं की भूमिका पर विशेष बल दिया गया है। प्रदेश के युवाओं को अपनी भूमि अथवा लीज पर ली गई भूमि पर 500 किलोवॉट से दो मेगावॉट तक की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली की खरीद राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा की जाएगी। 
सरकार सार्वजनिक परिवहन को विद्युत परिवहन के रूप में विकसित करने के लिए भी गंभीर प्रयास कर रही है। इससे जीवार्श्म इंधन पर निर्भरता भी समाप्त होगी। इस दिशा में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार ने ई-बस खरीद के लिए 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये तक का उपदान देने तथा निजी ई-ट्रक की खरीद के लिए भी 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये का उपदान का प्रावधान किया है। 
प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने से स्वरोजगार के अनेक साधन उत्पन्न होंगे। संसाधनों के सृजन से युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी। इसी दिशा में प्रयास करते हुए सरकार ने विद्युत वाहनों के चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत की दर से उपदान प्रदान करने का प्रावधान किया है। इवी-चार्जिंग स्टेशन विकसित करने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार एक वृहद नीति भी तैयार कर रही है। 
प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने से न केवल कार्बन उत्सर्जन व प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी बल्कि अनेक क्षेत्रों में नवोन्मेषी पहल से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। हरित ऊर्जा से देश व प्रदेश के ऊर्जा संसाधनों को बचाने और जलवायु परिवर्तन को रोकने में भी मदद मिलेगी। 

WhatsApp Group Join Now