IBEX NEWS, शिमला।
भांग की खेती वित्तीय संकट से जूझ रहे हिमाचल की आमदनी बढ़ाने में कारगर साबित हो सकती है। शुरुआती वर्षों में ही सालाना इससे 500 करोड़ तक की आय हो सकती है। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि भांग के पौधें पर पैसे उगेंगे।
नियंत्रित वातावरण में औद्योगिक, वैज्ञानिक और औषधीय प्रयोग के लिए भांग की खेती को वैध बनाने की सिफारिशें देने के लिए गठित समिति ने शुक्रवार को सदन के समक्ष रिपोर्ट रखी
समिति के अध्यक्ष राजस्व व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा हिमाचल में कृषि और बागवानी विभाग के सहयोग से योजना लागू की जा सकती है। भांग की खेती प्रदेश की भौगोलिक स्थिति और जलवायु के अनुकूल है। बिना रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के इसका उत्पादन हो सकता है।
भांग की खेती से पर्यावरण पर कार्बन प्रभाव की मात्रा कम की जा सकती है। इसके डंठल, बीज और पत्तियों को निर्माण सामग्री, कपड़ा, फर्नीचर, सौंदर्य प्रसाधन, जैव ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें पाया जाने वाला सीबीडी तत्व कैंसर, मिर्गी और पुराने दर्द की बीमारी में प्रभावी है।
जगत सिंह नेगी ने बताया कि खेती के लिए इस्तेमाल होने वाले बीज से लगने वाली फसल में नशे वाले कारक नहीं होंगे। समिति ने उत्तराखंड के सेलाकुई स्थित सेंटर फॉर एरोमेटिक प्लांट का दौरा कर भांग से निर्मित उत्पादों, ग्वालियर में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के निदेशक के साथ भांग की खेती के कानूनी पहलुओं और श्रीनगर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन भांग के चिकित्सा उपयोग पर शोध को लेकर जानकारी प्राप्त की है।