मानसून की विदाई के साथ स्क्रब टाइफ़स मार सकता है अंगड़ाई।दुनियाभर से इस रहस्यमय बीमारी से पर्दा उठाने का श्रेय प्राप्त डॉक्टर महाजन से जानिए बचने के उपाय , कैसे घास में घूमने वाले चूहों की चमड़ी पर पलने वाले माइट हमारे नाजुक अंगों में घुसकर हाइग्रेड फीवर से तपा कर मौत्त के मूह में धकेलते है। क्लिक करें IBEX NEWS

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चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए 3अंतर्राष्ट्रीय, एक राष्ट्रीय तथा एक राज्य स्तरीय पुरस्कार से इन्हें नवाजा गया है।

हिमाचल में धूप चमकने के साथ आने वाली सर्दियों के लिए घास और खेतों में उगाए अनाज काटने का दौर शुरू होने वाला हैं , इसलिए प्रदेश में स्क्रब टाइफ़स पर अलार्मिंग कंडीशन।

मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश में इस मौसम में अब तक इस साल स्क्रब टाइफ़स एक हज़ार लोगों को अपना निशाना बना चुका है और नौ लोगो को मौत के घाट उतार चुका है । आँखों से अमूमन न दिखने वाला ये कीड़ा या लाइम चमड़ी में काट खाने से , स्क्रब टायफस की चपेट में मरीज़ को पहुँचा देता है ।एक ऐसी बीमारी है जो घास में पाये जाने वाले कीड़े (लाइम) के काटने से होती है।इससे सीधे हाईग्रेड बुखार होता है और जानलेवा हो जाता है। हिमाचल में अब अलार्मिंग स्तिथि ये है बरसात ने अलविदा कहा और आने वाले दिनों में खूब धूप चमकने वाली है।सर्दियों के लिए घास कटान, अनाज ओघला , फाफरा, कोदा, गेहूं, जौ आदि एकत्रित करने खेतों में लोग जाएँगे यदि पूरे कपड़े नहीं पहने या ग्लव्स ,स्कार्फ, ज़ुराबों, जूतों आदि तैयारी से आप घास के बीच नहीं हैं तो ये कीड़ा आपको काटने पर बीमार बना सकता है।

दुनिया के जाने माने हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी शिमला के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर संजय महाजन बता रहे हैं कि स्क्रब टायफस के बुखार और इसके लक्षणों को यदि समय रहते पहचाना जाए तो मरीज की जान बच सकती है। पहले हफ्ते में यदि समझ गए कि ये स्क्रब है तो ज्यादा मुश्किल नहीं।

डॉक्टर महाजन के नाम इस बीमारी पर पकड़ के कई अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय,राज्यस्तरीय खिताब है और अनेकों जर्नल में इनके लेख प्रकाशित है।डॉक्टरी करने वालों के लिए इनके द्वारा इस बीमारी पर किए काम से मेडिसिन की टेक्स्ट बुक्स में चेप्टर प्रकाशित है। आईसीएमआर में लाइम डिजीज पर ड्रग ट्रायल हो रहे है और सीएमसी वेलोर के साथ ड्रग ट्रायल है। हिमाचल में बीस साल पहले तक लोग इस बीमारी से इलाज के अभाव से मर रहे थे। ये बुखार समझ नहीं आता था और रहस्यमयी बुखार महामारी बन गई थी। डॉक्टर महाजन ने बीमारी को पकड़ा और सैंकड़ों लोगों की जान बचा चुके है ।इस क्षेत्र में काम कर वे रहस्यमई बीमारी पर अपनी पकड़ को लेकर देश दुनिया में लोहा मनवा चुके है।चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए 3अंतर्राष्ट्रीय, एक राष्ट्रीय तथा एक राज्य स्तरीय पुरस्कार से इन्हें नवाजा गया है।द यूनाईटिड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन(सीडीसी) विश्व अंटारटीका के जर्नल इमर्जिंग इन्फेक्शन ऑफ़ सीडीसी 2006 में भी आर्टिकल छपा। फ्रांस से भी ट्रैवल अवार्ड मिला।

आप उनसे सीधे तौर पर उनसे इस बीमारी की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। डॉ महाजन का कहना है लोग सचेत रहें और हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रास रूट स्तर तक अब इलाज के इंतज़ाम पक्के है घबराएँ नहीं चिकित्सीय परामर्श झट् लें।

स्क्रब टाइफस क्या है? ये कैसे होता है?किन लोगों को इस बीमारी के प्रति ज्यादा सजग और सावधान रहने की जरूरत है?इसका इलाज क्या है?इन सभी जरूरी सवालों के बारे में आप भी जानिये डॉक्टर महाजन द्वारा हमसे साझा की गई बीमारी से।डॉक्टर महाजन ने बताया कि स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया की वजह से होती है। यह एक संक्रामक रोग है। ये इन्फेक्टेड पिस्सुओं यानी चिगर्स के काटने से उसके शरीर से मनुष्य के शरीर में फैलता है।बहुत छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो ज्यादातर घास, झाड़ियों, चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर होते हैं। इसे बुश टाइफस भी कहा जाता है। वैसे तो पूरे साल ही स्क्रब टाइफस बीमारी होने का रिस्क रहता है। लेकिन बारिश के मौसम में चूंकि कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है, इसिलए इस मौसम में इनके काटने का रिस्क भी बढ़ जाता है।

चूंकि यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए जब कोई हेल्दी व्यक्ति बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसे भी स्क्रब टाइफस हो सकता है।

चिगर्स शरीर के जिस हिस्से में काटते हैं, वहां पर गहरे रंग की पपड़ी जैसा घाव बन जाता है। साथ ही शरीर पर लाल धब्बे या चकत्ते पड़ने लगते हैं।इससे इन्फेक्टेड होने पर एक हफ्ते के भीतर लक्षण प्रकट होने लगते हैं। अगर बीमारी का जल्द से जल्द इलाज नहीं किया जाता है तो यह शरीर के कई अंगों में फैल सकता है। इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर इग्नोर नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वैसे भी किसी भी स्थिति में यदि बुखार चार दिन से ज्यादा बना रहे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। स्क्रब टाइफस जैसी बीमारी खतरे के निशान को इसलिए पार कर जाती है क्योंकि लोग इसे सामान्य बुखार समझकर क्रोसीन या पैरासिटामॉल खाकर खुद ही अपना इलाज करने की कोशिश करते हैं।अगर आपके शरीर में कहीं भी कीड़े के काटने के निशान दिखें, खुद से एंटी फीवर और पेनकिलर न खाएं। जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर को दिखाएं। स्क्रब टाइफस इन्फेक्शन बढ़ने पर मल्टी ऑर्गन फेल्योर तक होने का रिस्क होता है।

इस कंडीशन में स्क्रब टाइफस होने का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है। जैसे- सीलन भरी झाड़ियों में खेलना या उसके आसपास रहना,खेतों में घूमना,कैम्पिंग करना,जंगल में जाकर शिकार करना,वन विभाग में काम करना है।

 स्क्रब टाइफस का ईलाज और कोई वैक्सीन अभी तक  नहीं हैं। अभी तक स्क्रब टाइफस के लिए कोई टीका नहीं बना है।

इस बारे में स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है कि इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से दवाई न खाएं। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

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