IBEX NEWS,शिमला।
शिमला देश-विदेश से शिमला घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए अब कुफरी जू और भी ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनेगा। यहां पर दार्जिलिंग से स्नो लेपर्ड का एक और जोड़ा लाया जा रहा है। फिलहाल यहां पर दो नर और मादा तेंदुए के जोड़े रखे गए हैं।यहां जहां शेरू और हनीप्रीत को एक साथ पिंजरे में रखा गया है, वहीं अन्य जोड़ा, नर तेंदुआ लव और मादा तेंदुआ नैना के साथ पिंजरे में रखा गया है।
कुफरी जू में दार्जिलिंग से स्नो लेपर्ड को लाने का प्रोसेस शुरू हो गया है। हालांकि, दुर्लभ प्रजाति का स्नो लेपर्ड का जोड़ा पहले भी हिमालयन कुफरी नेचर पार्क में रहा है।इससे पहले साल 2004 में दार्जिलिंग से फीमेल लेपर्ड सपना और मेल लेपर्ड सुभाष नामक एक जोड़ा यहां लाया गया था, लेकिन 2007 में सपना की मौत हो गई थी। इसके बाद सुभाष यहां साल 2012 तक रहा और बाद में ब्रीडिंग के लिए फिर से दार्जिलिंग जू भेजा गया। तब से यहां स्नो लेपर्ड नहीं है, लेकिन अब फिर से स्नो लेपर्ड के जोड़े को लाने का प्लान बनाया गया है।
कुफरी जू में हनीप्रीत है आकर्षण का केंद्र कुफरी जू में सबसे आकर्षण का केंद्र मादा तेंदुआ हनीप्रीत हैं। हनीप्रीत मादा तेंदुए को 24 जुलाई 2017 को कुफरी के जंगल से रेस्क्यू किया गया था। उस समय यहां तैनात एक फॉरेस्ट गार्ड ने मादा तेंदुए को हनीप्रीत नाम दिया था।विलुप्त प्रजातियां देखने आते हैं लोग आते हैं और करीब 90.7 हेक्टेयर में फैले कुफरी हिमालयन नेचर पार्क में तेंदुए के अलावा वेस्टर्न ट्रेगोपान व चीयर फीजेंट जैसी विलुप्त होती प्रजातियां हैं।
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किन्नौर से रेस्क्यू करके लाए गए कस्तूरी मृग (मस्क डियर) ब्राउन बीयर, हिमालयन ग्रीफन, लेपर्ड कैट, सांभर, गौरल, हिमालयन ताहर यहां रखे गए हैं। हर साल यहां 2 लाख से अधिक विजिटर्स आते हैं। विलुप्त हो रही प्रजातियों का यहां पर दीदार किया जा सकता है।सर्दियों में सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक तक जू खुला रहता है। गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 6.30 बजे तक ही लोग जानवरों के दीदार कर सकते हैं। .पर्यटकों की एंट्री एक ही गेट से होती है, जानवरों को खिलाना-पिलाने के अलावा छेड़ने पर रोक है।