IBEX NEWS,शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला के ऐतिहासिक टाउन हॉल में फूड कैफे के संचालन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने फूड कोर्ट संचालक देवयानी इंटरनेशनल कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह अगली सुनवाई तक टाउन हॉल में फूड कैफे का संचालन न करें। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि टाउन हॉल शिमला शहर का बहुत प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्थल है। इसे हाल ही में एशियन विकास बैंक के सहयोग से भारी खर्च कर पुनर्निर्मित किया गया।कोर्ट ने कहा कि विरासत स्थल हमेशा अनमोल होते हैं।
प्राचीन युग की साक्षी रही हेरिटेज बिल्डिंग एक खजाना है, इसलिए इसे सार्वजनिक ट्रस्ट में माना जा सकता है। इस विरासत को विरासत के लिए संरक्षित करना होगा। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता अभिमन्यु राठौर की ओर से दायर जनहित याचिका में अंतरिम राहत से जुड़े आवेदन का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम शिमला ने प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958, टीसीपी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस विरासत संपत्ति को हाई-एंड कैफे में बदलने की अनुमति दी है। इसमें फूड कोर्ट चलाने से बिल्डिंग को भारी नुकसान पहुंचेगा।
प्रतिष्ठित इमारत में फ़ूड कैफे चलाने से इस संपत्ति पर लगातार दबाव बढ़ेगा जो इसके विरासत मूल्य को खतरा पैदा करेगा। कोर्ट ने इस मामले में जनहित को निजी हित से ऊपर बताया। कोर्ट ने कहा कि फूड कोर्ट चलाने से बिल्डिंग को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी। न्यायालय ने नगर निगम शिमला कमिश्नर को आदेश दिए कि वह इस आदेश का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करें।कोर्ट ने खेद जताते हुए कहा कि मामले को दो दिनों तक लगातार सुनने के पश्चात कई महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन्न हुए परंतु आधिकारिक उत्तरदाताओं चाहे वे राज्य सरकार हो या नगर निगम हो या एचपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बैंक, किसी ने भी उन प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया।
न्यायालय ने महाधिवक्ता कार्यालय से राज्य विरासत सलाहकार समिति को इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने का आदेश भी दिया और अगली तारीख तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मामले पर सुनवाई 14 मार्च को होगी।