किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में तिंरगा झंडा को बिना रोशनी के अंधेरे में रखा।

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रात के अंधेरे में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराना शहीद हुए जवानों व क्रांतिकारियों के शहादत का मजाक : किन्नौर जिला परिषद् के सदस्य शांता कुमार।


IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में तिंरगा झंडा को बिना रोशनी के अंधेरे में फहराता रहा और सरकार के अधिकारियों की चुस्त कार्यशैली यहाँ लोगों के बीच सुर्ख़ियों में रहीं। हर कोई मन मसोसने को विवश रहा कि लाइटिंग की व्यवस्था करने में चूक और लापरवाही क्यों बरती गई? इसके लिए ज़िम्मेवार कौन हैं? किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में बुधवार की रात को राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा को अंधेरे में फहराने पर किन्नौर जिला परिषद् के सदस्य शांता कुमार ने आपत्ति जताते हुए इसे राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा और शहीदों का अपमान बताया।

जनजातीय ज़िला किन्नौर में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के लिए प्रकाश की व्यस्था करना भूले, फिर भी चाँद की चाँदनी की दूधिया रोशनी में देश की शान तिरंगा हिमालय पर्वत के सामने सीना ताने मानो कह रहा हो कि देश के लिए शहीद हुए जवानों व क्रांतिकारियों के शहादत की आन बान शान हमेशा बरकरार रहेगी।


भारत सरकार ने फ्लैग ऑफ कोड ऑफ इंडिया के नियमों में संशोधन किया है। देश में झंडा फहराना, प्रदर्शन या उपयोग करना ये भारतीय झंडा संहिता 2002 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के अंतर्गत आते हैं। इसी कानून में भारत सरकार ने बदलाव किया है, जिसके बाद से रात में भी अब तिरंगा फहराने की आजादी मिल गई है। बशर्ते रात में राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा चमके।


शांता कुमार ने आरोप लगाया कि जहां पूरा देश गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी में जुड़ा हुआ है वही दूसरी ओर किन्नौर जिला के मुख्यालय रिकांगपिओ में तिंरगा झंडा को बिना रोशनी के अंधेरे में रखा गया है जो कि शर्मनाक है।


उन्होने कहा कि जिला प्रशासन और सरकार गणतंत्र दिवस की तैयारी करते हुए देश भक्ति की बड़ी बड़ी बातें कर रहे है वही हमारे देश का तिंरगा अंधेरे में पड़ा हुआ है।
उन्होने इसे देश के लिए शहीद हुए जवानों व क्रांतिकारियों के शहादत का मजाक है।
वहीं उन्होंने वर्तमान सरकार से प्रश्न करते हुए कहा कि क्या यही व्यवस्था परिवर्तन है?दूसरी और ज़िला के प्रशासनिक अधिकारियों से इस मामले पर बार बार संपर्क करने पर भी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

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