राज्यपाल ने 77वें हिमाचल दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई दी।राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में नशे के खिलाफ जंग छेड़ने की जरूरत है। युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से बचाना होगा।
शिमला में आज (सोमवार को) 77वां हिमाचल दिवस मनाया गया। शिमला के रिज पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और झंडा फहराया। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व सांसद प्रतिभा सिंह भी मौजूद रहीं।राज्यपाल ने 77वें हिमाचल दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई दी।पुलिस की टुकड़ियों ने रिज पर ने परेड निकाली। इस अवसर पर सभी जिलों के लोक कलाकारों ने भी सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दी और झांकियां निकाली गई।राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में नशे के खिलाफ जंग छेड़ने की जरूरत है। युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से बचाना होगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को 2027 तक आत्मनिर्भर और देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में काम कर रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा कि हर्ष और उल्लास के साथ आज हिमाचल दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर हिमाचल प्रदेश विकसित और समृद्ध बनाना है।
76 साल में 7 से 82.80 फीसदी पहुंची साक्षरता दर
15 अप्रैल, 1948 में पंजाब और शिमला के 30 पहाड़ी राज्यों के विलय के बाद अस्तित्व में आए हिमाचल प्रदेश ने अब तक कई मुकाम छुए हैं। हर क्षेत्र में शून्य से शुरुआत करने वाला हिमाचल आज हर क्षेत्र में आगे है।
1948 में हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर सात फीसदी थी, जो कि आज 76 साल बाद 82.80 फीसदी तक पहुंच चुकी है। प्रदेश में तीन एयरपोर्ट हैं, जिनकी 1948 में संख्या शून्य थी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्रदेश ने अग्रणी मुकाम हासिल किया है। शून्य से शुरुआत करने वाले हिमाचल में अब एक एम्स, एक सेटेलाइट पीजीआई सहित पांच मेडिकल कॉलेज, पांच डेंटल कॉलेज, कई नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल के पास एक ट्रिपल आईटी, एक आईआईटी, तीन स्वायत इंजीनियरिंग संस्थान और दर्जनों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। यहां पर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे राज्यों के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं। वर्ष 1948 में हिमाचल के लोगों की प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थे, जो कि मौजूदा समय में 2,35,199 रुपये पहुंच चुकी है।
कब किसके हाथ में रही सत्ता की डोर
1948 से लेकर हिमाचल ने लंबी यात्रा तय की है। प्रदेश ने कई सरकारें देखीं। इसने राज्य को आर्थिक निर्भरता की ओर अग्रसर किया है। पहाड़ी भाषा, भौगोलिक आधार और संस्कृति के दर्शन से हिमाचल की एक अलग पहचान बनाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक यशवंत सिंह परमार 1952 से 1977 तक हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री रहे। ठाकुर राम लाल 1977 और 1980 में दो बार मुख्यमंत्री बने। शांता कुमार 1977 और 1990 में दो बार ढाई-ढाई वर्ष के लिए सत्ता में रहे। वीरभद्र सिंह 1985, 1993, 2003, 2012 और 2017 में रिकॉर्ड छह बार मुख्यमंत्री रहे। इस बीच 1998 और 2007 में प्रेम कुमार धूमल ने सत्ता संभाली। 2017 में जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। 2023 से सुखविंद्र सिंह सुक्खू सत्ता में हैं।
स्वतंत्रता से पहले छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित प्रदेश 15 अप्रैल, 1948 संस्कृत के ‘हिमा’ (बर्फ) और ‘अचला’ (पर्वत) के संधि से उत्पन्न शब्द हिमाचल भारत का एक कमिश्नर प्रोविंस बना। पंजाब और शिमला के 30 पहाड़ी राज्यों जैसे भगत, भज्जी, बाघल के भारतीय संघ में विलय के परिणामस्वरूप भारतीय संघ (कमिश्नर प्रोविंस) के एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। बेजा, बलसन, बुशहर, चंबा, दरकोटी, देलथ, ढाडी, धामी, घुंड, जुब्बल, खनेटी, क्योंथल, कोटी, कुमारसैन, कुनिहार, कुठार, मंडी मधान, महलोग मांगल, रतेश, रेविनीगढ़, सांगरी, सिरमौर, सुकेत, थरोच, और ठियोग रियासतों को भी शामिल किया गया। उस समय राज्य में चार जिले चंबा, महासू, मंडी और सिरमौर थे। इसका क्षेत्रफल 27,16,850 हेक्टेयर था। भारतीय संविधान लागू होने के साथ 26 जनवरी, 1950 को हिमाचल प्रदेश ‘ग’ श्रेणी का राज्य बन गया। 1954 में 31वीं रियासत को हिमाचल के साथ एकीकृत किया गया। इससे 1,06,848 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ एक और जिला जुड़ गया।