हिमाचल में अनुबंध व दैनिक भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण पर रोक।

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अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण को रोकने के लिए भाजपा ने डाला दबाव

कांग्रेस सेवा दल प्रमुख अनुराग शर्मा ने लगाया आरोप 

IBEX NEWS,शिमला।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के चीफ अनुराग शर्मा ने कहा है कि चुनाव आयोग ने भाजपा के दबाव में अनुबंध व दैनिक भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण को रोक दिया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को नियमित करना एक रूटीन प्रक्रिया है, जिसके लिए राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति माँगी थी, लेकिन भाजपा के दबाव में चुनाव आयोग ने फाइल रोक दी है। जबकि पहले भी चुनाव के दौरान कर्मचारियों के नियमितीकरण को अनुमति मिलती रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने दबाव बनाकर अनुबंध व दैनिक भोगी कर्मचारियों को अधिकार से दूर कर दिया है। 

अनुराग शर्मा ने कहा कि भाजपा शुरू से ही कर्मचारी विरोधी रही है। इसलिए भाजपा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने से इनकार किया था, जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के लिए ओपीएस बहाल की है। उन्होंने कहा कि यही भाजपा लगातार महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन प्रदान करने की प्रक्रिया में अड़ंगे लगा रही है। चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर भाजपा नेता 1500 रुपए पेंशन देने की योजना को रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपना चुनावी वादा निभाते हुए 18 वर्ष से अधिक की आयु की पात्र लड़कियों एवं महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना आरम्भ की है, जिसके तहत प्रत्येक पात्र को 1500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। योजना के अंतर्गत फार्म भरने का कार्य शुरू किया गया है तथा महिलाओं को इसका लाभ मिलना आरंभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस योजना के लिए बाक़ायदा 800 करोड़ बजट का प्रावधान किया है, लेकिन भाजपा महिलाओं को दी जा रही पेंशन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। 

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के चीफ ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार ने ही प्रदेश की 2.42 लाख महिलाओं को मिलने वाली 1000 या 1150 रुपये मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन को बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया है तथा उन्हें यह राशि मिलना भी शुरू हो गया है। अनुराग शर्मा ने कहा कि भाजपा का हिमाचल विरोधी चेहरा प्रदेश की जनता के सामने आ रहा है और उसे इन जन विरोधी कार्यों की क़ीमत चुनाव में चुकानी पड़ेगी। 

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