IGMC अस्पताल शिमला में मेडिकोज,पैरामीडिकोज़ के लिए बेसिक और एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट के गुर सिखा रहें विशेषज्ञ।ताकि किसी भी कारण बेहोशी में गए व्यक्ति को यूँ ही न मरने दिया जाए उसकी हालत BLS और ACLS से सर्वाइव हो पाए।
सप्ताहभर की ऐसी ट्रेनिंग के बाद अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा प्रमाणित इस कोर्स में मिलेगा प्रमाणपत्र भी।
सोसाइटी ऑफ़ पल्मोनरी मेडिसिन के सौजन्य से अटल सभागार में हो रहा है आयोजन।
IBEX NEWS,शिमला।
कायदे से, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के पास जीवन बचाने के लिए बुनियादी कौशल होना चाहिए। चाहे वे गहन देखभाल इकाई में काम करते हों या किसी विभाग या विद्यालय में, स्वास्थ्य कर्मियों को अक्सर रोजगार के लिए अतिरिक्त प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होती है। बीएलएस और एसीएलएस स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आवश्यक सबसे आम प्रमाणपत्र हैं। दोनों पाठ्यक्रम सहायक उपचार सिखाते हैं जो चिकित्सा पेशेवर आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में रोगियों को प्रदान करते हैं।मगर हिमाचल प्रदेश में दुखद पहलू ये हैं कि स्वास्थ्य विभाग या चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में इस संबंध में प्रॉपर ट्रेनिंग ही उपलब्ध नहीं हैं।आपने अपने आस पास आमतौर पर देखा या सुना होगा कि वो डांस करते करते ,खाना खाते खाते या कुर्सी पर बैठे मर गया और लोग या हम अवाक रह गए या कुछ नहीं कर पाए।या फिर शिशु , बुजुर्ग का गला कभी एकदम (choke)घुट कर साँस थम गई।ऐसी परिस्थितियों में इमरजेंसी मूल रूप से, किसी अनुत्तरदायी पीड़ित को तत्काल उपचार प्रदान करने और पुनर्जीवित करने के लिए आपको जो कुछ भी सीखने की ज़रूरत है वह बीएलएस प्रमाणीकरण में शामिल है और उस खाई को अब पाटने की पहल प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी में शुरू हो गई है। आईजीएमसी शिमला में सात दिवसीय BLS और ACLS की बारीकियाँ सिखाई जा रही हैं।अभी आईजीएमसी के प्रोफ़ेसर से लेकर सीनियर रेज़िडेंट तक क़रीब 70 चिकित्सक अतिरिक्त पैरामीडिकल स्टाफ भी हिस्सा ले रहें हैं।बाद में आम लोगों के लिए भी ये ट्रेनर्स टिप्स देंगे ताकि अपने आसपास किन्हीं कारणवश बेहोशी में गए या हर्ट फेलियर पीड़ित को अस्पताल और फर्स्ट ऐड से पहले BLS से बचाया जा सकें।इस तरह की ट्रेनिंग या कोर्स की आवश्यकता आपदा प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी ,पुलिस,होमगार्ड आम तौर पर स्वास्थ्य कर्मियों और पहले उत्तरदाताओं के लिए जिनमें डॉक्टर, नर्स, नर्स प्रैक्टिशनर, ईएमटी, पैरामेडिक्स, ऑर्डरली, घरेलू-स्वास्थ्य सहायक, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, दंत चिकित्सक, दंत स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शारीरिक चिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर, कर्मचारी नर्सिंग होम वालों को भी हैं। इससे पहले वर्ष 2017-18 में श्वास रोग विभाग ने ऐतिहासिक रिज मैदान पर ट्राइबल एरिया के नौजवानों और मेडिकल प्रोफ़ेशनल्स के लिए भी ये ट्रेनिंग करवाई थी जो आम जनता को जागरूकता के लिहाज़ से आयोजित की गई। इस मर्तबा सप्ताहभर तक ट्रेनिंग होगी।प्रोफ़ेसर डॉक्टर सुनील शर्मा ने बताया कि BLS प्रमाणीकरण को जीवनरक्षक हृदय देखभाल के सबसे बुनियादी सिद्धांतों के रूप में है ।एसीएलएस एक अधिक परिष्कृत और उन्नत प्रमाणन पाठ्यक्रम है जो बीएलएस के बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है। ACLS उन्नत कार्डियोवस्कुलर लाइफ सपोर्ट का संक्षिप्त रूप है।बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) आपातकाल के शुरुआती चरणों में किया जाता है जबकि एसीएलएस सहायक चिकित्सा देखभाल है जिसका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर अस्पताल में उपचार जारी रखने के लिए करते हैं।एसीएलएस पाठ्यक्रम नवीनतम जीवनरक्षक तकनीकों को समझने और लगभग सभी कार्डियोपल्मोनरी आपात स्थितियों में पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया करने का तरीका सीखने में मदद करते हैं।एसीएलएस उन्नत कार्डियोवस्कुलर लाइफ सपोर्ट का संक्षिप्त रूप है। उन्नत जीवन समर्थन का अधिक व्यापक ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण बुनियादी जीवन समर्थन (बीएलएस) से आगे जाता है।पाठ्यक्रम के दौरान, कार्डियक अरेस्ट, कोरोनरी सिंड्रोम, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों जैसी जीवन-घातक स्थितियों के इलाज के लिए एल्गोरिदम बताते हैं। कोर्स के दौरान यह भी सिखाया जाता है कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के साथ मरीज की हृदय गति की व्याख्या कैसे की जाए?
आईजीएमसी शिमला प्रिंसिपल डॉक्टर सीता ठाकुर ने सोमवार से शुरू हुईं इस ट्रेनिंग का शुभारंभ किया और सोसाइटी ऑफ़ पल्मोनरी मेडिसिन के सौजन्य मेदांता अस्पताल के समन्वयन से अटल सभागार में आयोजन हो रहा है।IGMC अस्पताल शिमला में मेडिकोज,पैरामीडिकोज़ के लिए बेसिक और एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट के गुर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा प्रमाणित कोर्स में सिखाए जा रहें हैं जिन्हें प्रमाणपत्र भी मिलेगा।मेदांता अस्पताल से जियोनिका, मनी, मेघना इंस्ट्रक्टर और आईजीएमसी शिमला से यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर कैलाश बरवाल,पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर सुनील शर्मा,मेडिसिन विभाग के एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉक्टर विवेक चौहान, सर्जरी विभाग के एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉक्टर अरुण चौहान बीएलएस और एसीएलएस की बारीकियाँ सीखा रहें हैं।आईजीएमसी के प्रोफ़ेसर से लेकर सीनियर रेज़िडेंट तक क़रीब 70 चिकित्सक हिस्सा ले रहें हैं।
डॉक्टर अरुण चौहान बताते हैं कि एसीएलएस में उन्नत, व्यापक तकनीकें शामिल हैं जो बीएलएस द्वारा कवर की गई तकनीकों की तुलना में अधिक मांग वाली हैं, यह आमतौर पर एक ऐसा कोर्स है जो स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए आवश्यक है। डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, आपातकालीन कक्ष कर्मियों और चिकित्सक सहायकों के पास एसीएलएस प्रशिक्षण होना चाहिए। अधिकांश परिस्थितियों में, स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में अधिकांश पेशेवरों के लिए नियोजित होने और बने रहने के लिए प्रमाणन आवश्यक है।
डॉक्टर विवेक चौहान ने बताया कि बीएलएस का मतलब बेसिक लाइफ सपोर्ट है। यह प्रमाणन पाठ्यक्रम वयस्कों, बच्चों और शिशुओं में श्वास और हृदय संबंधी आपात स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए नर्सों, चिकित्सकों, ईएमएस पेशेवरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक सुरक्षा कर्मियों सहित स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करता है।BLS अधिक व्यापक है क्योंकि इसे मुख्य रूप से स्वास्थ्य कर्मियों और/या पुलिस अधिकारियों और अग्निशामकों जैसे प्रथम उत्तरदाताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। बीएलएस प्रमाणीकरण में वह सब कुछ शामिल है जो सीपीआर कक्षाएं कवर करती हैं – लेकिन इसमें अतिरिक्त जीवन-रक्षक तकनीकें शामिल हैं जो कार्डियक अरेस्ट, श्वसन संकट या बाधित वायुमार्ग का अनुभव करने वाले लोगों की मदद कर सकती हैं।
एसीएलएस प्रमाणन पाठ्यक्रम बुनियादी जीवन समर्थन कौशल सिखाते हैं, जैसे छाती को दबाना, रोगी को ऑक्सीजन प्रदान करने के लिए बैग-मास्क डिवाइस का उपयोग करना और एईडी का उपयोग करना। एसीएलएस प्रमाणन के दौरान सिखाए जाने वाले अन्य कौशल में शामिल हैं:श्वसन संबंधी समस्याओं और हृदयाघात की पहचान और प्रबंधनपेरी-गिरफ्तारी स्थितियों की पहचान और प्रबंधन,संबंधित औषध विज्ञान,ईसीजी पर वीएफ और वीटी की पहचान,इंटुबैषेण सहित वायुमार्ग प्रबंधन,स्ट्रोक और एसीएस का प्रबंधन।