IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल हाईकोर्ट (HC) ने जंगी थोपन पोवारी हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़े मामले में अडानी पावर को झटका और राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को सिंगल बेंच के पुराने फैसले को पलटते हुए अडानी पावर को 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि लौटाने के फैसले को पलट दिया।हिमाचल हाईकोर्ट ने जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना से जुड़े मामले में हिमाचल सरकार को अडाणी को 280 करोड़ की अपफ्रंट मनी नहीं लौटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद नेगी की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए ये आदेश दिए।जस्टिस विवेक ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने कहा कि अडानी ग्रुप प्रीमियम राशि का हकदार नहीं है, जबकि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार को दो महीने के भीतर राशि लौटाने के आदेश दिए थे, अन्यथा 9 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ राशि चुकानी होगी।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को आदेश दिए थे कि दो माह में राशि वापस करे नहीं तो सालाना 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी। एकल पीठ के इस फैसले को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। बता दें कि सरकार ने अक्टूबर 2005 में 980 मेगावाट की इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के संबंध में टेंडर निकाले। ब्रैकल कॉरपोरेशन को सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया। इसे देखते हुए कंपनी ने प्रीमियम के तौर पर 280 करोड़ सरकार के पास जमा किए। ब्रैकल को यह राशि अडाणी ग्रुप ने दी थी।
सरकार ने यह टेंडर ब्रैकल कंपनी के साथ किया। बाद में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने परियोजना रिलायंस कंपनी को देनी चाही। 15 सितंबर 2016 को रिलायंस कंपनी ने परियोजना निर्माण से इन्कार कर दिया। उसके बाद सरकार ने परियोजना को पीएसयू में देने का फैसला लिया था। अब इस परियोजना का निर्माण एसजेवीएनएल कर रही है। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने कहा कि ब्रैकल कंपनी ने धोखाधड़ी से सरकार से यह कान्ट्रैक्ट लिया था। सरकार का अडाणी कंपनी के साथ कोई करार नहीं हुआ। ब्रैकल ने अडाणी से पैसा लिया था, इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
इस प्रोजेक्ट के कारण राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई है। यदि प्रोजेक्ट समय पर तैयार हो गया होता तो इससे सरकार को रॉयल्टी के तौर पर करोड़ों की राशि सरकारी खजाने में मिल गई होती।
ब्रेकल कंपनी और जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का विवाद वर्षों पुराना ।
ब्रेकल कंपनी और जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का विवाद वर्षों पुराना है। वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने 960 MW क्षमता का जंगी थोपन प्रोजेक्ट का आवंटन ब्रेकल को किया था। मगर ब्रेकल ने अडानी का पैसा इन्वेस्ट कराया था। तत्कालीन धूमल सरकार को जब मालूम पड़ा कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज जमा किए हैं तो धूमल सरकार ने इसकी जांच का जिम्मा विजिलेंस को सौंपा।इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और पूर्व वीरभद्र सरकार ने जंगी थोपन प्रोजेक्ट रिलायंस को भी देना चाहा। मगर रिलायंस ने इसे बनाने से इनकार कर दिया। पूर्व जयराम सरकार ने कंपनी पर वित्तीय बिड में गलती का आरोप लगाते हुए अपफ्रंट मनी लौटाए बगैर यह प्रोजेक्ट सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL) को दे दिया।