IBEX NEWS,शिमला।
हिमाचल प्रदेश की खराब अर्थव्यवस्था इन दिनों सबकी ज़ुबान पर है और देश के मीडिया डगमगाई अर्थव्यवस्था पर छोटा प्रदेश खूब सुर्ख़ियाँ बटोर रहा है हालाँकि प्रदेश के मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके गई की सबकुछ ठीकठाक है। सत्ता पक्ष अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्तीय अनुशासन के कड़े फैसले लेने की बात कर रहा है तो विपक्ष राज्य सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगा रहा है। ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि वेतन पांच तारीख और पेंशन 10 तारीख को देने की स्थिति पैदा हुई है। खुद मुख्यमंत्री ने कहा है कि बाजार से कर्ज उठाने की सीमा 2,317 करोड़ रुपये ही रह गई है। कर्ज के अनावश्यक ब्याज से बचने के लिए वेतन और पेंशन को थोड़े समय तक रोकना पड़ा है।
पिछली देनदारियों को निपटाने के लिए कर्ज पर कर्ज लेना सरकार की परंपरागत मजबूरी बन गया है।
दशकों से राज्य में आमदनी के स्थायी स्रोत नहीं बन पाए। सुक्खू सरकार को सत्ता में आए हुए अभी बीस महीने हुए हैं और आर्थिक तंगहाली से जूझना पड़ रहा है। शुरू से ही आमदनी अठन्नी भी नहीं और खर्च रुपया की स्थिति बनी हुई है। मुफ्त की रेवड़ियां बांटना भी एक वजह है, मगर उससे भी ज्यादा बड़ा कारण आय के नाममात्र के स्रोतों का होना और उपलब्ध बजट का असंतुलित बंटवारा है।राज्य के कुल बजट का करीब 60 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-पेंशन व ऋण को चुकता करने में ही खर्च हो रहा है। कर्मचारियों और पेंशनरों की संख्या करीब चार लाख है और आबादी करीब 70 लाख है। ऐसे में एक बहुत बड़ी जनसंख्या को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रदेश सरकारें संतुलित आर्थिक आवंटन नहीं कर पाईं और विकास के लिए 40 फीसदी से भी कम बजट बच पा रहा है। 1992 से पहले हिमाचल पर ज्यादा ऋण नहीं था। इसके बाद कर्ज लेने की दर ने रफ्तार पकड़ी।
यह सिलसिला कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों में गति पकड़े रहा। वर्ष 2011-12 में भाजपा की धूमल सरकार का कार्यकाल खत्म होने तक हिमाचल प्रदेश पर 26,684 करोड़ रुपये का ऋण था। फिर कांग्रेस की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में ऋण 2016-17 तक 44,422 करोड़ रुपये हो गया। यह भाजपा की जयराम सरकार के समय तक करीब 75 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया और कुल देनदारियां करीब 80 हजार करोड़ के पार हो गईं। वर्तमान सरकार में यह ऋण 90 हजार करोड़ पहुंच रहा है। आगे कुल देनदारियां एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छू सकती हैं।