मनजीत नेगी/IBEX NEWS शिमला
हार्टअटैक आज कॉमन दिल की बीमारी हो गई है। आए दिन नौजवान लोग इसका शिकार बन रहे है। कई लोगों की इसकी वजह से मौत हो जाती है।यदि हर व्यक्ति को हार्ट अटैक की बीमारी के लक्षण के बारे में थोड़ी भी जानकारी हो कि कैसे इसका निदान, उपचार होता है। इस बीमारी से होने वाली मौत और आगे जाकर इससे होने वाली विकलांगता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जाने माने प्रदेश के सबसे वरिष्ठतम दिल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पीसी नेगी ने वीडियो जारी कर लोगों को चेताते हुए ध्यान आकर्षित किया है कि अपनो के मददगार बने।थोड़ी सी जानकारी हार्ट अटैक के लक्षणों, उपचार और निदान की रखकर अपनो की अमूल्य जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।ऐसे में जब लोग हार्ट अटैक को हल्के में ले रहे है कि मामूली पेट की गैस है अपने आप ठीक हो जाएगी।यही भूल नौजवान लोगों की मौत का कारण बन रही है।आए दिन आस पास सुन रहे है कि अचानक मौत हो गई। यही अलारमिंग कंडीशन है, जागिये और अपनो को बचाएं।डॉक्टर पीसी नेगी प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में दिल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर है।उन्होंने जानकारी साझा की है कि
हार्ट अटैक एक ऐसी गंभीर दिल की बीमारी है जिसमे जो खून की नालियां जो दिल को खून सप्लाई करती है जिसे कोरोनरी आर्टरी कहते है।इसमें अचानक खून के थक्के जम जाते है जिससे खून की सर्कुलेशन बाधित हो जाती है। इससे हार्ट की मांसपेशियों को खून की सप्लाई नही मिलता है और कुछ देर के लिए ये खून की सप्लाई बाधित रहे तो दिल की मांसपेशियां स्थाई तौर पर क्षतिग्रस्त हो जाते है।दिल का पंपिंग एक्शन कमजोर हो जाता है मरीज को कई सारी दिक्तों का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह से कई बार मृत्यु भी हो सकती है।
इन मामलों में आवश्यकता इस बात की है कि जल्दी से जल्दी मरीज अस्पताल पहुंचे ताकि डॉक्टर उपचार के जरिए ब्लॉकेज को खोल पाए।दोबारा से खून की सर्कुलेशन को सुचारू कर पाएं। इसके बाद जो दिल की मांसपेशियों को चोट पहुंची है उसको कम कर सकें।पंपिंग की कमजोरी जो विकसित हो सकती है उसको भी कम किया जा सकें।
इसलिए सबसे पहले आवश्यक बात इसमें ये है कि कैसे पता चलें कि हार्ट अटैक हो रहा है।
हार्ट अटैक के जो लक्षण है उसमे सबसे पहले सीने में दर्द जो पूरी छाती में फैल जाता है। कई बार ये दर्द बाजू ,गले,जबड़े,पीठ में जा सकती है।कुछ मामलों में एकदम कमजोरी का अहसास हो जाता है। ठंडे पसीने आते है। जब वो खड़े होने की।कोशिश करते है आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। साथ ही साथ कुछ मरीजों को उल्टियां भी हो सकती है। ये भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते है। इसमें देखा है कि कई बार मरीज इस तरह के लक्षणों को गैस्ट्रीक समझ के इग्नोर करते है और उनको लगता है कि ये कुछ देर में ठीक हो जायेगा और अस्पताल नहीं जाने का गलत निर्णय कर बैठते हैं। परिणामस्वरूप उनका दिल काफी क्षतिग्रस्त,कमजोर हो जाता है और उससे मौत हो सकती है।
इसलिए इस तरह के लक्षण मरीजों में हो तो परिवार अपने स्तर पर निर्णय न करें। गंभीरता से इसे लें।तुरंत अस्पताल जाने की कोशिश करे।ऐसे अस्पतालों में जाएं जहां इसका निदान और उपचार हो। हर व्यक्ति को ये मालूम होना चाहिए कि अपने क्षेत्र में कोन सा अस्पताल है जहां हार्ट अटैक का इलाज होता है।
देखा गया है कि कई बार लोग निजी छोटे क्लीनिकों और प्राइमरी हेल्थ केयर केंद्रों में जायेंगे। वहां सिर्फ समय जाया होता हैं। वहां न उपचार,निदान की कोई सुविधा होती है न ही इलाज मुमकिन होता है। इसके चलते टाइम ज्यादा जाया होता रहता है और दिल को क्षति अधिक पहुंचती है।
हिमाचल की इस संदर्भ में उपचार,निदान की बात करे तो सुविधा सभी जिला अस्पतालों में उपलब्ध है।कुछ सिविल अस्पतालों में भी उपलब्ध है।मेडिकल कॉलेजों में तो इसका इलाज है।
अगर शिमला जिला की बात करे तो बीते 2सालों से हार्ट अटैक केयर के बारे में विशेष कार्यक्रम चल रहा है।प्रत्येक खंड स्तर के सीएचसी, सीएच शिमला के करीब 20अस्पताल ऐसे है जहां हार्ट अटैक का निदान और उपचार संभव है।
इन 20अस्पतालों में यदि कोई भी ऐसा मरीज दाखिल हो जाता है तो बिना देरी किए झट से संबंधित चिकित्सक आईजीएमसी के दिल रोग विभाग के विशेषज्ञों के संपर्क में आ जाते है। सभी ऐसे डॉक्टरों का एक व्हट्सएप समूह बनाया गया है जो मरीज का क्लिनिकल डिटेल और ईसीजी शेयर करते हैं। यदि लगता है कि दाखिल मामले को हार्ट अटैक हुआ है तो वहां मौजूद डॉक्टरों को गाइड किया जाता है कि जीवन रक्षक इंजेक्शन जो सबसे जरूरी है उसके लिए गाइड किया जाता है जिससे खून का जमा हुआ थक्का घुल यानी डिसॉल्व हो जाता है।इससे खून की सर्कुलेशन दोबारा चालू हो जाती है। वो ट्रीटमेंट इन अस्पतालों में तुरंत देते है। मरीजों को वहां से आईजीएमसी पहुंचाने में जो अन्यथा समय जाया हो सकता था उसको कम किया जाता है।ज्यादा से ज्यादा मरीजों को ये जीवन रक्षक इंजेक्शन मिल रहा है।
इस इंजेक्शन का फायदा पहले 6घंटों में सबसे ज्यादा है।लेकिन मरीज यदि12 घंटे तक भी आ जाए उसको भी ये इंजेक्शन दिया जाता है।जैसे जैसे समय बीतता जाता है इंजेक्शन का फायदा कम होता जाता है। तात्पर्य ये है कि जितना जल्दी मरीज को ये इंजेक्शन हार्ट अटैक होने के बाद मिले उतना अधिक फायदा मरीज को होगा दिल के मांसपेशियां कम खराब होगी। इस टीके का फायदा फर्स्ट 6घंटे में अधिक है।
जानकारी और बीमारी के लक्षण ठीक से पहचाने। अपने स्तर पर अस्पताल न जाने का निर्णय नहीं लें । कदापि ये नहीं सोचे कि ये पेट दर्द गैस्ट्रिक समस्या,मस्कुलर,सर्वाइकल दर्द है खुद ठीक हो सकती है। बिना समय गवाएं अगर एक घंटे के भीतर अस्पताल पहंचते हैं तो आज हिमाचल में 10में से एक मौत हार्ट अटैक से हो रही है उसको कम किया जा सकता है।
हार्ट को कमजोर होने से तत्परता से बचाया जा सकता है। आगे जाकर कमजोर दिल के मरीज को चलने फिरने में दिक्कत,जल्दी सांस फूलना शुरू जाती है। ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का अंदेशा भी अधिक रहता है। दवाइयों की जरूरत भी अधिक बढ़ जाती है। छोटी सी जानकारी रखकर अपनो का हमदर्द बनिए और उन्हे मौत के मुंह से बचा ले।