सरकारी अस्पतालों की दशकों पुरानी मशीनें बदलेगी सरकार ;नई मशीनों की खरीद पर 1800 करोड़ होंगे खर्च।

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IBEX NEWS,शिमला ।

प्रदेश सरकार राज्य के सरकारी अस्पतालों में लगी 30-40 वर्ष पुरानी मशीनें बदलने वाली हैं, जिसके लिए राज्य सरकार ने लगभग 1800 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया है। इलाज में देरी होने से मरीज की बीमारी बढ़ती है और इलाज पर खर्च भी बढ़ता है। सही समय पर बीमारी की पहचान न होने से मरीज का बीमारी पर खर्च 30-50 प्रतिशत बढ़ जाता है। ऐसे में पुरानी मशीनों के कारण मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इन्हें बदलने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि पूर्व की सरकारों ने पुरानी मशीनरी को बदलने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।


मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर दी है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को कायाकल्प करने के लिए चार बिंदुओं पर काम किया जाएगा। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में रोबोटिक सर्जरी शुरू करने के साथ-साथ रेडियोलॉजी और लैब के लिए स्टेट ऑफ द आर्ट उपकरण खरीदे जाएंगे। सभी मेडिकल कॉलेजों में थ्री-टेस्ला मशीनें, 256 स्लाइस वाली हाई-एंड सीटी स्कैन मशीनें, पैट स्कैन मशीनें के साथ-साथ सभी आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे, ताकि मरीजों की बीमारी सही समय पर पता लगाया जा सके और उन्हें सही इलाज मिल सके। साथ ही मेडिकल कॉलेजों में मॉडयूलर ऑपरेशन थियेटर बनाए जाएँगे।

The state government will work on four key aspects to revamp public healthcare institutions. First, robotic surgery will be introduced in all medical colleges, along with state-of-the-art radiology and laboratory equipment. Every medical college will be equipped with 3-Tesla MRI machines, 256-slice high-end CT scan machines, PET scan machines, and other advanced diagnostic tools to ensure timely detection of diseases and accurate treatment of the patients.
Himachal Pradesh currently lacks a modern and well-equipped cancer hospital, forcing patients to seek treatment outside the State. To address this, the government will establish a 150-bed Cancer Care Center in Hamirpur, offering advanced treatment facilities such as radiation therapy and nuclear medicines, which would prove to be a milestone in the fight against cancer within the state.


इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश में अब तक कोई भी बड़ा और आधुनिक कैंसर अस्पताल नहीं है, जिसके लिए कैंसर से ग्रसित मरीजों को अपना इलाज कराने के लिए प्रदेश से बाहर ही जाना पड़ता है। इसलिए, राज्य सरकार हमीरपुर में 150 बैड का कैंसर केयर सेंटर स्थापित करने जा रही है, जिसमें रेडियेशन थेरेपी के साथ-साथ न्यूक्लियर दवाएं जैसी आधुनिक सुविधाएं कैंसर के मरीजों को उपलब्ध होंगी। प्रदेश में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के इलाज में यह संस्थान मील का पत्थर सिद्ध होगा। इसके अलावा, राज्य सरकार के प्रदेश के 69 स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं का विस्तार करेगी, जिसके तहत सभी जोनल अस्पतालों, क्षेत्रीय अस्पतालों, जिला अस्पतालों और सीएचसी में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। अस्पताल की श्रेणी के हिसाब से इनमें पूर्ण ऑटोमैटिक या सेमी-ऑटोमैटिक लैब, डिजिटल एक्स-रे, हाई-एंड अस्ट्रासाउंड मशीनें, आईसीयू तथा ऑपरेशन थियेटर की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों और अस्पतालों को डिजिटल बनाया जाएगा, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

healthcare services will be expanded across 69 government health institutions, including zonal, regional and district hospitals, along with the community health centers (CHCs). Depending on their category, these hospitals will be equipped with fully or semi-automated laboratories, digital X-ray machines, high-end ultrasound machines, ICUs, and operation theatres. Additionally, efforts will be made to digitize government health institutions to enhance patient care.
According to health department data, 9.5 lakh patients travel outside Himachal Pradesh annually for treatment, resulting in an economic loss of Rs. 1350 crore to the state’s GDP. If quality healthcare services are made available within the state, it is estimated that Rs. 550 crore of the state GDP could be saved annually, along with valuable time for patients.


स्वास्थ्य विभाग के डाटा के अनुसार प्रदेश में प्रति वर्ष 9.50 लाख मरीज इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाते हैं, जिससे प्रति वर्ष हिमाचल प्रदेश की जीडीपी को 1350 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। अगर प्रदेश में ही मरीजों को बेहतर इलाज मिले तो प्रदेश के जीडीपी में प्रति वर्ष 550 करोड़ रुपए की बचत होगी और मरीजों का बहुमूल्य समय भी बचेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं, कि प्रदेश में ही मरीजों को बेहतर इलाज मिलना चाहिए और विभाग समयबद्ध तरीके इस योजना को धरातल पर लागू करना सुनिश्चित करें।

  • The obsolete medical machinery and equipment, some of which have been in use for 30 to 40 years in government hospitals, will soon be replaced as the state government has allocated approximately Rs. 1800 crore for this purpose. Delays in treatment often worsen a patient’s condition and increase medical expenses. Studies indicate that late diagnosis can raise medical costs by 30–50% for a patient. Considering the challenges being faced by patients due to old medical machines, Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu has directed their replacement to provide better healthcare facilities to them, as the previous governments failed to address the issue.
The Chief Minister has instructed the health department to ensure that patients receive high-quality treatment within the state and to implement the plan in a time-bound manner.


इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश में अब तक कोई भी बड़ा और आधुनिक कैंसर अस्पताल नहीं है, जिसके लिए कैंसर से ग्रसित मरीजों को अपना इलाज कराने के लिए प्रदेश से बाहर ही जाना पड़ता है। इसलिए, राज्य सरकार हमीरपुर में 150 बैड का कैंसर केयर सेंटर स्थापित करने जा रही है, जिसमें रेडियेशन थेरेपी के साथ-साथ न्यूक्लियर दवाएं जैसी आधुनिक सुविधाएं कैंसर के मरीजों को उपलब्ध होंगी। प्रदेश में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के इलाज में यह संस्थान मील का पत्थर सिद्ध होगा। इसके अलावा, राज्य सरकार के प्रदेश के 69 स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं का विस्तार करेगी, जिसके तहत सभी जोनल अस्पतालों, क्षेत्रीय अस्पतालों, जिला अस्पतालों और सीएचसी में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। अस्पताल की श्रेणी के हिसाब से इनमें पूर्ण ऑटोमैटिक या सेमी-ऑटोमैटिक लैब, डिजिटल एक्स-रे, हाई-एंड अस्ट्रासाउंड मशीनें, आईसीयू तथा ऑपरेशन थियेटर की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों और अस्पतालों को डिजिटल बनाया जाएगा, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
स्वास्थ्य विभाग के डाटा के अनुसार प्रदेश में प्रति वर्ष 9.50 लाख मरीज इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाते हैं, जिससे प्रति वर्ष हिमाचल प्रदेश की जीडीपी को 1350 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। अगर प्रदेश में ही मरीजों को बेहतर इलाज मिले तो प्रदेश के जीडीपी में प्रति वर्ष 550 करोड़ रुपए की बचत होगी और मरीजों का बहुमूल्य समय भी बचेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं, कि प्रदेश में ही मरीजों को बेहतर इलाज मिलना चाहिए और विभाग समयबद्ध तरीके इस योजना को धरातल पर लागू करना सुनिश्चित करें।

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