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पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि जांच में याचिकाकर्ता की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले पर्याप्त सबूत सामने आए हैं।

मृतक को आधी रात तक कार्यालय में रहने और रोजाना 10 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर किया गया था।14 दिन की सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से पता चला है कि उनकी बॉडी लैंग्वेज से वे तनाव में थे ।

देशराज का मोबाइल नंबर बंद है। याचिकाकर्ता ने अपने कार्यालय में रिपोर्ट नहीं की है और वर्तमान में फरार है।

बेल लेने के लिए ये पैंतरा फैंका कि मामला मृतक की पत्नी की तरफ से दर्ज किया गया है जो ऑफिस की कार्यप्रणाली के बारे में समझ नहीं रखती हैं तर्क यह भी दिया गया कि मृतक द्वारा टैक्सी हायर करके बिलासपुर तक गए हैं जो इसी बीच इनकी सोच में बदलाव आना मुमकिन था।

विमल नेगी पेखुवाला परियोजना के लिए समय विस्तार से संबंधित मुद्दों के कारण काफी तनाव में थे ।


IBEX NEWS,शिमला ।


हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चीफ इंजीनियर विमल नेगी के मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। सोमवार को विमल नेगी मौत मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई है और सुनवाई के दौरान पक्ष और विपक्ष ने न्यायालय के सम्मुख अपने अपने तर्क रखे ।शिकायतकर्ता की और से पेश वकीलों राजीवराय, चमन नेगी और विवेकानंद नेगी ने ज़ोरदार तरीक़े से अदालत में मामले की पैरवी की ।


विपक्ष की तरफ से न्यायालय में कहा गया कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता 108 का नहीं बनता है तर्क दिया गया कि देशराज याचिकाकर्ता विमल नेगी के आत्महत्या के वक्त कार्यालय में था ही नहीं इतना ही नहीं मामला मृतक की पत्नी की तरफ से दर्ज किया गया है जो ऑफिस की कार्यप्रणाली के बारे में समझ नहीं रखती हैं तर्क यह भी दिया गया कि मृतक द्वारा टैक्सी हायर करके बिलासपुर तक गए हैं जो इसी बीच इनकी सोच में बदलाव आना मुमकिन था।

पक्ष की तरफ तर्क दिया गया कि अभियोग अभी अन्वेषण के प्रारंभिक चरण में है कुछ अहम दस्तावेज पुलिस ने कब्जे में लिए हैं। तर्क यह भी दिया गया कि विमल नेगी को कार्यालय में हैरेस किया गया और ग़लत काम के लिए कंपेल किया जाता था। पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज को भी कब्जा पुलिस में लिया गया है। जिसका सरसरी अवलोकन करने पर पाया गया कि विमल नेगी की गतिविधि में दिखता है कि कार्यालय के वे अंदर ट्रॉमा में लग रहे थे। तर्क वितर्क सुनने के बाद HC में निर्णय सुरक्षित रखा है । रिकॉर्ड दस्तावेज में कहा गया कि एचपीपीसीएल भवन में स्थापित कैमरों से सीसीटीवी फुटेज युक्त नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर (एनवीआर)। सीसीटीवी फुटेज के बैकअप युक्त हार्ड ड्राइव और पेन ड्राइव कब्जे में लिए गए है और दो सप्ताह के सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण से पता चला है कि उनकी बॉडी लैंग्वेज से वे तनाव में थे , जो शिकायतकर्ता के आरोपों का समर्थन करते हैं। मृतक और अन्य एचपीपीसीएल अधिकारियों के बायोमेट्रिक उपस्थिति रिकॉर्ड जब्त कर उनका विश्लेषण किया गया। ये रिकॉर्ड पुष्टि करते हैं कि मृतक को आधी रात तक कार्यालय में रहने और रोजाना 10 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर किया गया था। मृतक के अधीनस्थों के बयान, धारा 180 बीएनएस के तहत दर्ज किए गए, इस निष्कर्ष की पुष्टि करते हैं, जो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती का संकेत देते हैं।

पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है। भारी मात्रा में रिकॉर्ड, 14-दिन की सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल साक्ष्य का गहन विश्लेषण करने की आवश्यकता है। धारा 180 BNS के तहत अतिरिक्त महत्वपूर्ण गवाहों के बयान अभी दर्ज किए जाने हैं। बिलासपुर पुलिस द्वारा किए गए एआईएम से पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है, जो मौत के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। याचिकाकर्ता, निलम्बित देश राज, एचपीपीसीएल के निदेशक के रूप में एक प्रभावशाली पद पर रहे हैं, महत्वपूर्ण गवाहों और साक्ष्यों तक उनकी पहुँच है। इसके अलावा उक्त संस्थान में लंबे समय तक काम करने के कारण सहकर्मियों के साथ-साथ अन्य कनिष्ठ अधिकारियों के साथ उनके व्यक्तिगत और भरोसेमंद संबंध विकसित हो सकते हैं। उनकी फरार स्थिति और गवाहों के बयानों से प्रथम दृष्टया कथित अपराधों में उनकी मिलीभगत का संकेत मिलता है। इस समय अग्रिम जमानत देने से जोखिम हो सकते हैं एक तो गवाहों के साथ छेड़छाड़, जो उनके कद से भयभीत महसूस कर सकते हैं। दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू ये कि दोषपूर्ण साक्ष्यों को नष्ट करना या गायब करना हो सकते हैं ।न्याय में बाधा डालना, चल रही जांच को पटरी से उतारने के लिए काफ़ी है ।22.03.2025 को एसआईटी ने एचपीपीसीएल परिसर में मृतक के ऑफ रूम की तलाशी ली।चीफ इंजीनियर विमल नेगी द्वारा संभाले गए विभिन्न प्रोजेक्टों से संबंधित भारी मात्रा में रिकॉर्ड जब्त किए गए और उन्हें कब्जे में ले लिया गया। महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जो प्रथम दृष्टया मृतक पर लगाए गए मानसिक उत्पीड़न और अधिक काम के आरोपों की पुष्टि करते हैं।दलील दी कि जांच में याचिकाकर्ता की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले पर्याप्त सबूत सामने आए हैं। उसकी प्रभावशाली स्थिति, फरार स्थिति और तत्काल मामले की जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, अग्रिम जमानत देने से न्याय की प्रक्रिया खतरे में पड़ जाएगी।माँग रखी कि अग्रिम जमानत की याचिका को अस्वीकार कर दे।

दीगर हो कि मृतक विमल नेगी की मौत से संबंधित मामले की त्वरित और गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी का गठन और सुदृढ़ीकरण किया गया था, जिसका शव गाह धनीपाखर के पास सतलुज नदी से बरामद किया गया था। एसआईटी की देखरेख नवदीप सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय), शिमला द्वारा की जाती है, जबकि विक्रम चौहान, पुलिस उपाधीक्षक (शहर) को जांच अधिकारी (आई0) नामित किया गया है। टीम में तीन निरीक्षक, दो सहायक उप-निरीक्षक, दो हेड कांस्टेबल, एक साइबर विशेषज्ञ और नीचे हस्ताक्षरकर्ता शामिल हैं।

23.03.2025 को, एसआईटी ने एचपीपीसीएल की पदानुक्रमिक संरचना और मृतक से संबंधित रिकॉर्ड को जब्त और विश्लेषण किया है ये दस्तावेज स्थापित करते हैं कि मृतक याचिकाकर्ता, देशराज, निदेशक, एचपीपीसीएल के प्रत्यक्ष नियंत्रण में था, जिन्होंने उनकी छुट्टी-स्वीकृति प्राधिकारी के रूप में भी काम किया। इससे याचिकाकर्ता के अधिकार और कथित उत्पीड़न के बीच संबंध मजबूत होते हैं।याचिकाकर्ता के निजी सहायक से 23.03.2025 को पूछताछ की गई थी। उन्होंने बताया कि मृतक पेखुवाला परियोजना के लिए समय विस्तार से संबंधित मुद्दों के कारण काफी तनाव में था।

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