हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक जगत नेगी में तीखी नोकझोक हुईं। जगत नेगी द्वारा सदन में किन्नौर में जिला उपायुक्त द्वारा की जा रही अनदेखी को लेकर विधायक के अधिकार का मामला सदन में उठाया और विधानसभा अध्यक्ष विधायक के अधिकार के संरक्षण की मांग की।
इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम जवाब देने के लिए खड़े हुए तो जगत नेगी ने विधानसभा अध्यक्ष से जवाब देने का आग्रह किया और कहा कि ये सवाल सरकार से नहीं है विधानसभा अध्यक्ष इस पर संज्ञान ले जिस पर मुख्यमंत्री भड़क गए और जगत नेगी को अपशब्द तक कह दिया।
वही कांग्रेस विधायक जगत नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री को वक्तब्य देना था सम्भल कर देते लगता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री की दुखती रग छेड़ दी है जिस पर वे भड़क गए। उन्होंने कहा कि जो मामला सदन में उठाया था वे सरकार या मुख्यमंत्री से नही था । ये विधायक का विशेषाधिकार का मामला था जो जिला के उपायुक्त के खिलाफ था मुख्यमंत्री को पार्टी बनने की इसमें आवश्यकता नहीं थी। ना ही टिप्पणी करने की। इस तरह की टिप्पणी करके वह जांच को प्रभावित करना चाह रहे थे। सदन में मुख्यमंत्री से इस तरह के व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती है और यह मामला सदन के अंदर ही निपट गया गया। मुख्यमंत्री को उन्होंने गरिमा को ध्यान में रखते हुए जवाब दिया है । उन्होंने कहा कि व्यवहार को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है।
मुख्यमंत्री उन्हें डरा धमका कर नहीं रोक सकते हैं। यह उनका संविधानिक अधिकार है। मुख्यमंत्री इस तरह से कई बार कर चुके हैं। जब भी मोदी के खिलाफ बोलते हैं तो मुख्यमंत्री को चुभती है ।मुख्यमंत्री सोचते हैं कि एक जनजातीय क्षेत्र के विधायक होता है डरा धमकाकर चुप किया जाएगा लेकिन वे चुप रहने वाले नहीं हैं ।j यदि इस तरह की भाषा सदन के अंदर दोबारा से प्रयोग की जाती है तो इसका जवाब भी उसी तरह से दिया जाएगा.