शिमला “लवर्स रोड़”नहीं घूमें तो फिर पहाड़ों की रानी में क्या घूमें। मनजीत नेगी/IBEX NEWS,शिमला

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हजारों रुपए खर्च करके शिमला घूमने पहुंचे है और आकर “लवर्स रोड़” नहीं देखा ? तो फिर क्या घूमें? इन दिनों किसी जन्नत से कम नहीं। ऊंचे खूबसूरत गगनचुंभी देवदारों के पेड़ों की चोटियों ,टहनियों के बीच से चलती धुंध के बीच आप खुद को खोया खोया महसूस करेंगे। लवर्स रोड़ शिमला की खूबसूरती को बरसात के इस मौसम की धुंध और निखारती है।

माल के समीप यूएस क्लब गेट से शुरू होकर ये मार्ग दोनो और से देवदारों के घने वृक्षों से घिरा है और विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से भरा है।

शिमला में इस मार्ग पर हिमाचल के मंत्री, स्ंत्री से लेकर जज,विधायक,अधिकारी वॉक करना पसन्द करते है।प्रदेश पुलिस डीजीपी भी इसी रोड पर टहलते है।शहर जा वीवीआईपी मार्ग पर इक्का दुक्का पर्यटक ही पहुंचते है। उन्हें मालूम नहीं की कि शिमला लवर्स रोड़ भी कोई जगह है और अंग्रजों के जमाने से अभी तक अपनी शान बनाए हुए है।

चलते हुए साथ में जीवन साथी का हाथ हो तो ये जगह दुनिया की हसीन वादियों के बीच आपके दिल को और तरोताजा कर देगी। आईयूसीएन रेड डाटा बुक में विलुप्त प्राय घोषित हिमाचल के फिजेंट्स आस पास घूमते दिखेंगे। पक्षियों के चहचहाट से ये जंगल गूंज उठता है और कभी तेंदुए की गुर्राहट भी रोड का चार्म कम नहीं करती।

एशिया के सबसे घने जंगलों में शुमार वाटर कैचमेंट एरिया , ढली से सटा ये जाखू का जंगल सबसे पुराना जंगल माना जाता है।यहां देवदार के पेड़ बूढ़े हो चुके है। कई पेड़ों की उम्र कई सौ साल बताते है जो शिमला के बदलते इतिहास की गवाह रहे हैं।

वहीं राज्य फूल रोडोडेंडरोन (बुरांस) की खुशबू भी मिल जायेगी। बान यानी ओक,देवदार के बूढ़े पेड़ आपको सौ साल से भी अधिक जीवन जीने का सुखद अहसास कराएंगे जो अभी भी तनकर खड़े है और जैसे इस जंगल की खुसूरती को बयां कर रहे है की हमने अंग्रेजों की हुकूमते देखी।पंजाब रियासत की राजधानी का तमगा पहने देखा। जब 19वीं शताब्दी के मध्य अंग्रेजों ने शिमला बनाया तब भी हम गवाह थे। इस शहर के मौसम का मिजाज यूरोप के मौसम जैसा है तभी इसे सभी ने प्यार किया। अब ये मार्ग फारेस्ट रोड कहलाता है, मगर जो बरसों से यहीं रहें हैं वे आज भी अंग्रजों के जमाने से मशहूर “लवर्स रोड़” ही बोलते हैं। शहर का हर कोई यहां जरूर मिलेगा जिसकी यादें इस रोड से जुड़ीं हैं।

कई जगह लम्बी बेलों ने देवदार और पुराने पेड़ों को जकड़ा है और रंग बिरंगे फूल यहां इन दिनों खिले है। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति अपना श्रृंगार कर रही हो।

एक से अनेक जड़ी बूटियों को आप इस रास्ते देखेंगे।

पहाड़ों की रानी,भारतवर्ष की तत्कालीन ग्रीष्म , पंजाब रियासत व अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के यूएस क्लब से होता हुआ ये रोड संजौली पहुंचता है।

करीब तीन किलोमीटर लम्बे इस मार्ग से गुजरते हुए आपको विशेष प्रकार की अनुभूति होगी यदि आप प्रकृति को समीप से निहारने का शौक फरमाते है।ये रोड। मॉर्निंग वाकर्स का बेस्टेस्ट रूट है। सुबह चार बजे से चहल पहल शुरू हो जाती है और देर शाम तक भी सिलसिला थमता नहीं। दिन में भी वॉक करने वाले इस रूट पर लोग मिलते रहेंगे।

सब का अपने काम से काम।कोई शोर शराबा नहीं।हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू इस मार्ग पर वॉक करना पसंद करते है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में नियमों के प्रति सख्त मिजाज कई बड़े जज और सरकार के बड़े अधिकारी, एशियन गेम्स में भारत के लिए पदक लाने वाली धाविका सुमन रावत, शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह इस रास्ते में आम जनता के बीच टहलते दिख जायेंगे। राज्य सरकार के अधिकतर मंत्री ,संतरी जब शिमला बेनेमोर में सरकारी आवास में ठहरे होते है,यहां दिखेंगे।

कौन नहीं जो इस रोड को पसंद नहीं करता। डीजीपी संजय कुंडू के इस मार्ग में उचित सफाई व्यवस्था, ब्यूटीफिकेशन के आदेश है। रामचंद्र चौक को और चौड़ा किया जा रहा है।

शिमला का पूरा नजारा इस मार्ग से दिखेगा। शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू के लिए पैदल मार्ग भी यहां से है।

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