IBEX NEWS ,शिमला
प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी शिमला में ही जब बीमारी की पकड़ रखने वाले अहम टेस्ट महीनों बाद हो रहे है तो उनके मर्ज पर मरहम कब लगता होगा। सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते है। प्रीमियर संस्थान के ये हाल है तो अन्य क्षेत्रों में बदहाली के आलम का स्वयं ही अंदाजा लगाया जा सकता है।हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है।
शिमला में जारी बयान में नरेश चौहान ने
हेल्थ कार्ड की सुविधा भी मरीजों को नहीं मिल रही
नरेश चौहान ने आरोप लगाया है कि आईजीएमसी में हिमकेयर और अन्य स्वास्थ्य कार्डों की सुविधा भी मरीजों को नहीं मिल रही। मरीजों के हेल्थ कार्ड एक्टिव करने में ही कई दिन लग रहे हैं। इससे मरीजों को टेस्ट और दवाईयां अपने पैसों से खरीदनी पड़ रही है। अस्पताल में उन मरीजों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है जिनके आपरेशन होने हैं। हेल्थ कार्ड होने के बावजूद भी लोगों को यह सुविधा न मिलना प्रदेश सरकार की नाकामी को दर्शा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार हेल्थ कार्ड से निशुल्क इलाज देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, जबकि प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी ही सरकार के दावों की पोल खोल रहा है।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
नरेश चौहान ने कहा है कि हिमाचल के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल है। वहां पीएससी, सीएचसी और अन्य अस्पतालों में डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के कई पद खाली पड़े हुए हैं। इस तरह मरीजों का सारा बोझ आईजीएमसी पर पड़ रहा है। लेकिन यहां भी मरीजों का समय पर इलाज नहीं हो रहा है। मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं और सरकार चुनावी रैलियां करने में व्यवस्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता सरकार को आने वाले चुनावों में इसका जवाब देगी।