मनजीत नेगी/IBEX NEWS, शिमला
कबाइली जिला किन्नौर में बारिश ने फसलों को आग लगा दी है। बरसात के लंबे स्पैन ने फसलों का ऐसा हाल किया है कि नई फसल के नाम पर लोग दाना तक नहीं बचा पाए। फसल खेतों में ही सड़ गई है। जिन लोगों ने खेतों में फसलें सूखने के लिए रखी थी कि धूप नही मिल पाई और नमी के कारण वहां पके हुए दाने उग गए। अनाज में कोंपले उग आई है। जो फसलें नहीं काटी जा सकी वो खेतों में ही धुल गई यानी सड़ गई हैं। फिक्र इसकी है कि अगले साल के लिए बीज भी नहीं मिलेंगे।
ये किसी एक किसान की बात नही हो रही है पूरे किन्नौर में ये हाल है। छितकुल रक्छम में परंपरागत फसलें ओघला, फाफरा खेतों में सड़ गए है। मटर,आलू भी लोग बचा नहीं पाए। लोगो में हाहाकार इसलिए मचा है की पूरी सर्दियों में पशुओं को क्या खिलाएंगे ? घास बारिश से काला पड़ गया है। पशुओं को कैसे जिंदा रखेंगे? सर्दी में पशुओं को क्या खिलाएं?
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जिला मुख्यालय के साथ लगते कल्पा गांव में सेब पेड़ों से झड़ गए है ऐसी ड्रॉपिंग से लोग मायूस है। मक्की के डंडे सड़ गए।
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चौड़े पतों वाला घास,परंपरागत फसलें सभी में बारिश ने आग लगा दी।लगातार बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया। आलू जो खेतो से बारिश के कारण नहीं निकाल पाएं है वो जमीन के नीचे ही दफन हो गए।
पूरी तरह से वे सड़ गए है।दूसरी क्रॉप्स यहां उगती नहीं है तो सरकार को हम किसानों के बारे में सोचना चाहिए। यहां न सेब होते हैं और न अन्य चीजें जिससे लोग अन्य आर्थिकी के लिए निर्भर हो पाएं।
अरविंद सिंह नेगी उपप्रधान छितकुल पंचायत।
बॉक्स यहां कुछ _कुछ किसानों को भारी लॉस हुआ है। मटर आलू कई जगह तबाह है।
बॉक्स ऐसी बारिश कभी नही देखी।मेरी दादी भी यही बोल रही की खेतों का मंजर ऐसा कभी नहीं हुआ।अभिजीत सिंह नेगी रक्छम पंचायत।
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हमारी पंचायत में बुरे हाल है लोगों की फसलें लगातार बारिश से तबाह हो गई है। पशुओं का चारा काला का काला हो गया है। सरकार नुकसान का जायजा लेकर मुआवजा दें। अभी तक बीते साल अक्तूबर में अधिकतर सेब जल्दी बर्फबारी से गिर गए थे मुआवजा के लिए सरकार ने एक टीम भेजी मगर वो लोगों की आंख में धूल झोंकने जैसी थी एक फूटी कौड़ी नही मिली किसानों को। सरकार मामले को गंभीरता से लें।
सुशील नेगी
प्रधान रकछम पंचायत