रिमोर्ट बटन से नहीं आग लगाकर होगा जाखू दशहरे में रावण के पुतले का दहन।चाइनीज पटाखों से होंगे पुतलों में धमाके। 40फीट ऊंचा,80,000₹ लागत का है रावण का पुतला।इससे कम के है मेघनाथ,कुंभकरण के पुतले।

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IBEX NEWS, शिमला

राजधानी शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू मंदिर में दशहरे के दिन 40फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।

इस बार चाइनीज पटाखों से पुतलों में धमाके होंगे। प्रबंधन कमेटी सदस्यों ने भी हामी भरी है। रावण का पुतला करीब 80,000का बनता है।दूसरे इससे कम लागत के।

चाइनीज पटाखों से इसमें धमाके होंगे।रावण ,कुंभकरण,मेघनाथ के पुतलों की खासियत इस बार ये है कि रिमॉर्ट के बटन से पुतलों का दहन नहीं होगा बल्कि परंपरा से जैसे वर्षों पहले आग लगाई जाती थी वैसे ही इस बार पहल होगी।बीते साल से इस संबंध में सबक सीखा है। मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान ही रावण का पुतला जल गया था। भारी बारिश के कारण इसमें स्पार्किंग हो गई थी और पुतलों का दहन खुद ब खुद हो गया था।

रिमोर्ट के बटन की व्यवस्था नहीं है।पुतलों को आग लगाकर फूंका जाएगा।

प्रबंधन समिति सदस्यों की किरकिरी हो गई थी।अब पुराने तरीके से जाखू में आग लगाई जाएगी। इस बार मध्यप्रदेश के कारीगरों के दल ने इसे तैयार किया है। टीम के आदिल का कहना है कि समरहिल,संकटमोचन,सुन्नी सहित कई जगह में पुतलों को बनाया गया है।

कॉविड काल में हालांकि बड़े स्तर पर यहां दशहरा नही मनाया गया। इस बार दशहरे के लिए खूब रौनक के आसार है।

जाखू दशहरे के लिए लोगों में विशेष उत्साह रहता है क्योंकि जमाने से प्रदेश के मुख्यमंत्री ही मुख्यातिथि की परंपरा है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि जब रावण और राम के बीच हो रहे युद्ध के दौरान मेघनाथ के तीर से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था। तप कर रहे ऋषि से बूटी और पहाड़ का रास्ता पूछा था,वापसी में रुकने का आश्वासन भी दिया था,समयभाव के कारण रुक नहीं पाए। जब संजीविनी बूटी का पहाड़ उठा कर लाए थे। वचन पूरा करने के लिए पादुकाओं के निशान यहां मौजूद है। लोग यहां दशहरे को खूब उत्साह से मनाते है।