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…रक्छम पंचायत ने बैन की ?️ कैंपिंग साइट्स
.. भोजपत्रों ,देवदार और पाइन्स की कई प्रजातियों को नष्ट करने के खतरा भांपते हुए लिया अनूठा निर्णय
…पेड़ को खोखला और सूखने से बचाने को प्रधान ने की पहल

मनजीत नेगी, शिमला /IBEX NEWS.COM

ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे और देश दुनिया में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके कस्तूरी मृग, भूरा_काला भालू, बर्फीले तेंदुए जैसे जंगली जानवरों को बचाया जा सके इसके लिए रकछम पंचायत ने अनूठी पहल की है। इस पंचायत ने अपने क्षेत्रफल में ?️ कैंपिंग साइट्स और बॉन फायर पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

देश दुनिया से यहां घूमने आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों तक के लिए ऐसी पाबंदी पंचायत को मजबूरी में लगानी पड़ी।आगामी पंचायत की बैठक में इस पर प्रस्ताव पास किया जा रहा है।

पंचायत प्रधान सुशील नेगी ने इसकी पुष्टि की है और बताया है कि दुर्लभ वनस्पति को कैंपिंग साइट्स पर नुकसान पहुंचाने की शिकायते सामने आ रही है।लोग पेड़ के तने की ओट लेकर जड़ों में रातभर आग जलाकर रखते है,ताकि जंगली जानवरों से बचा जा सके।इसको देखते हुए ऐसा निर्णय लिया जा रहा है।

हम ऐसा टूरिस्ट चाहते है जो पहाड़ों की कद्र करें और उन्हें यहां रहने की तहजीब हो और यहां के धार्मिक रीति रिवाजों की कद्र करें। भोजपत्रों,देवदार,गुगल धूप जिससे बनती हैं यहां ऐसी सैंकड़ों जड़ी बूटियां है जो एक भूल से स्वाह हो सकती है।5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस भी मनाया जा रहा है और हमारा भी यहीं संदेश है की शुद्ध हवा पानी और स्वच्छ पर्यावरण है तो हम हैं वर्ना इनके बिना हम भी कुछ नहीं।

?️ साइट्स पर रुके लोग एक तो खुले में शौच करते है।पवित्र झीलों में नहाते है। हम कई झीलों की पूजा तक करते है। हमारे देवी देवता पहाड़ो में वास करते है। गांव में शिव की पूजा होती है शमशेर देवता ,नाग देवता और भगवती की पूजा यह होती है ।

शुद्धता बनाए रखना जमाने से हमारा धर्म है। यही नहीं इस बार का दिवस विशेष थीम भी यही है की ऑनली वन अर्थ।

रक्छम भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर जिले में स्थित एक गांव है।यह बस्पा घाटी में बस्पा नदी के किनारे बसा है।2900मीटर की ऊंचाई पर स्थित करीब 800 लोगो की आबादी यहां है।खासियत ये है कि प्रकृति मां मानो यहां खुद आकर बसीं है। सफेद चादर से ढके किन्नर कैलाश पर्वत के ऊंचे पहाड़ों के तल पर बस्पा नदी बहती है जो बाद में सतलुज नदी में मिलती है और साथ में हरियाली समेटे घने देवदार ,भोजपत्रों के मिले जुले जंगल है। केसर,ओघला, फाफरा, जौ क्रंची मीठे सेब के बगीचे है। सांगला से 12किलोमीटरकी ट्रैकिंग यहां पूरे हिमाचल में प्रसिद्द है।
देश दुनियां से सैंकड़ों लोग घूमने प्रतिमाह पहुंचते है।टूरिस्ट डेस्टिनेशन की हिट लिस्ट में शीर्ष पर इसलिए हैं क्योंकि भारत के अंतिम छोर पर बसे छितकुल से पहले ये गांव हैं। जो अब चीन का सीमावर्ती है।

विशेष यह भी है की यहां पहाड़ों पर चढ़ाई चढ़ने यानी रोक क्लाइंबिंग के कोई शौकीन हैं तो इसलिए यहां पहुंचते है कोई नदी किनारे बैठकर प्राकृतिक सौंदर्यता का मजा लेना चाहे तो यहां बरबस ही ठिठक जाते है और कई दिनों यहां डेरा जमाते है। सांगला घाटी में प्रसिद्द “सेवन सिस्टर्स ” पहाड़ यहां से निहारे जा सकते हैं। ऊंचे पहाड़ों में ग्लेशियर्स की चादरें यहां सबका मन मोह लेते हैं।

यहां रुपिन व्यू, जोस्टल कैंपिंग,सहित कई अच्छे होटल और होमस्टे है। इसके अलावा लोग स्वच्छंद वादियों में रात गुजारने के लिए कैंपिंग की और रुख करते है और कुछ वन संपदा को भी जाने अंजाने नुकसान पहुंचा रहे है। नमकीन , कुरकुरे,पानी की प्लास्टिक बोतलों के अलावा शराब की खाली बोतलों के ढेर के ढेर जंगलों में है। करीब टन के हिसाब से पूरे एरिया में कूड़ा मिलता रहा है।

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पंचायत को स्वच्छता पर मिल चुके हैं तीन अवार्ड

निर्मल ग्राम पंचायत का अवार्ड 2017/18में राष्ट्रपति से अवार्ड साफ सफाई के लिए मिला है। आदर्श गांव का पुरस्कार भी झटका है। बाल्मिकी पुरस्कार भी पंचायत को मिल चुका है।

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पंचायत में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले एक फेसबुक ग्रुप में पोस्ट डाली कि प्रकृति की रक्षा करनी जरूरी है। रक्छम्म में कई लोग पेड़ों को खोखला करने पर तुले है। ऐसी ऐक्टिविटी को बैन किया जा रहा है। एमबीए और इंजीनियरिंग पढ़े नोएडा में कार्यरत अभय के साथ सांगला में जोस्टेल होटल के मालिक राज किशोर नेगी ने भी यह जागरूकता फैलाई। पंचायत प्रधान सुशील नेगी इस बार निर्विरोध चुने गए है उन्होंने पंचायत हित के लिए तुरंत पहल की।

पंचायत प्रधान सुशील का कहना है कि सरकारी भूमि पर पूरी तरह से ?️ कैंपिंग और आग जलाना प्रतिबंध किया गया है।लोग निजी भूमि पर इस संबंध में पहल कर सकते हैलेकिन सारी जिम्मेवारी उन पर ही होगी।इससे पहले भी यहां के सैंक्चुअरी में आग लगी थी जो कर दिनों तक बुझी नही। लोगों ने अथक प्रयास किए तब जाकर आग पर काबू पाया गया।

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