लंपी रोग के उपचार और वेक्सिनेशन में सरकार की ढील पर सीपीआई (एम) ने सरकार को लताड़ लगाई है। माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि सरकार ने औपचारिकता के तौर पर लंपी को महामारी तो घोषित कर दिया लेकिन जिस गति से इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाने चाहिए थे उसमें सरकार बिलकुल नाकाम रही है।
डॉ. तंवर ने कहा कि प्रदेश में एक हफ्ते में लंपी चर्म रोग के मामले ढाई गुणा बढ़े हैं और रोग 5 जिलों से फैल कर 9 जिलों में पहुंच गया है। 17 अगस्त को प्रदेश में लंपी से 134 पशुओं की मौत हुई थी जो 23 अगस्त को 359 तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए सरकार का ढांचा बहुत ही कमज़ोर है। पशुपालन विभाग में विभिन्न स्तरों पर सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं। सरकार उन्हें भरने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही।
डॉ. तंवर ने कहा कि कोविड की तरह लंपी रोग ने भी सरकार के कमज़ोर स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल कर रख दी है। कोविड के दौरान जिस तरह से लोगों के इलाज और रोकथाम में अव्यवस्था फैल गई थी आज लंपी में उससे भी बुरा हाल है। स्टाफ की कमी के कारण लोगों के हजारों रुपए के पशु मौत के मुंह में जा रहे हैं। सरकार न तो पशुओं को पर्याप्त इलाज दे पा रही है और न ही वैक्सीनेशन करवा पा रही है। डॉ. तंवर ने कहा कि स्टाफ की कमी का पूरा दबाव विभाग के फील्ड स्टाफ पर पड़ रहा है जिन पर एक तरफ से उच्चाधिकारी दबाव बना रहे हैं तो दूसरी तरफ से उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
डॉ. तंवर ने पशुपालन मंत्री के उस बयान को हास्यास्पद बताया जिसमें पशुपालन मंत्री ने बड़े गर्व से कहा था कि उन्होंने हर जिला को एक–एक लाख दे दिया है। डॉ. तंवर ने कहा कि पशुपालन मंत्री को शायद मालूम न हो कि प्रदेश में 25 लाख पशु हैं और मंत्री जी हर पशु के हिस्से में 2 रुपए दे कर पशुपालकों पर एहसान जाता रहे हैं।
डॉ. तंवर ने सख्त लहज़े में सरकार को चेताया है कि अगर सरकार समय पर कदम नहीं उठाती तो स्थिति बेकाबू हो जायेगी। उन्होंने मांग की है कि सरकार आपात स्थिति मान कर पशुपालन विभाग में तुरंत खाली पड़े पदों पर भर्ती करे। वहीं इस महामारी के लिए पर्याप्त धन का भी प्रावधान करे।
डॉ. तंवर ने कहा कि इस समय स्टाफ के लिए वाहनों का प्रबंध करना चाहिए या उन्हें निजी वाहन चलाने पर उनके लिए बजट का प्रावधान करना चाहिए। छुट्टियों में सेवाएं देने के लिए उन्हें विशेष भत्ता दिया जाना चाहिए।