जंगी के जंगल में तीसरे दिन भी आग से जंग जारी। लोगों का उत्साह काबिले तारीफ,आग बुझाने वालों की भूख प्यास बुझाने के भी पुख्ता प्रबंध। महिलाएं , बच्चे पत्थरों के चूल्हों पर रोटियां और पूरियां सेंक कर खिला रहे है स्वादिष्ट खाना।

Listen to this article

मनजीत नेगी /IBEX NEWS, शिमला
हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर में तीसरे दिन भी जंगी जंगल लगातार सुलग रहा है। चिलगोजे के जंगल में करीब 3किलोमीटर का दायरा भीषण आग से सुलग रहा है।हालांकि गांव पर अब आग का खतरा तो नही मंडरा रहा है मगर आग को ठंडा होने में अभी सप्ताह भर का समय और लग सकता है।

जैसे जैसे हवा का रुख तेज होता है इस पेड़ में बिरोजा यानी रेजिन अधिक होने से पेड़ का तना और टहनियां आग को भड़काने का काम कर रही है। हरे भरे पेड़ धधक रहे है।

हालांकि आईटीबीपी की बटालियन और आस पास के गांव के लोगों के प्रयासों से आग पर काबू पाने की कोशिश जारी है। करीब 800लोग मौके पर गांव के साथ है।

आईटीबीपी,आर्मी,सीआरपीएफ,फायर ब्रिगेड की कुल 5गाडियां मौके पर है और आग बुझाने का काम कर रही है।पानी के सिंचाई के स्त्रोत से पांच पाइप लाइनें आग बुझाने के लिए बिछी है।

राहत की बात ये है की जंगल में मैदानी इलाका है इसलिए गाडियां जंगल के बीचों बीच पहुंची है। आग कितनी भयानक और भयावह, रौद्र रूप दिखा रही है तीसरे दिन भी यही हाल है जो पहले दिन आग बुझाने के लिए था। तेज हवा के झोंके आग में घी का काम कर रही है।

गांव के प्रधान गोपाल नेगी और उप प्रधान चंद्र कुमार नेगी के कुशल प्रबंधन का ही नतीजा है कि गांव के करीब 2किलोमीटर पहुंची आग को काबू किया गया है। आग के कारणों का अभी पता नही चल पाया है।

वहीं दूसरी और सुकून भरी बात ये है इतने लोगो जवानों, फायरफाइटर्स को भूखा प्यासा नहीं अपितु अतिथि देवो भव की तर्ज पर गांव की महिलाएं, बच्चे और चयनित लोग खाने पीने का प्रबंध कर रहे है।

चाय नाश्ता से लेकर दोपहर और रात के खाने के पुख्ता प्रबंध गांव ने किए है।उल्टा प्रशासन की और से मौके पर आए कर्मचारियों और अधिकारियों को खाना परोसा जा रहा है।

पारंपरिक तरीकों से भोज दिया जा रहा है। चाय बिस्किट,नमकीन जूस का प्रबंध पूरा है और आग बुझाने वालों को दिया जा रहा है। बारी बारी मिलकर सब सहयोग कर रहे है। दूसरी पंचायतों और गांव की महिलाएं भी इस विकट परिस्थिति में गांव पहुंची है और अस्थाई चूल्हा बनाकर रोटियां, पुरिया बेल रही है।कबाइली इलाके का यही रिवाज है।कोई भूखा न रहे भले ही गांव पर भारी विपदा आई है।

B

जैसे वीडियो में भी देखा जा सकता है । महिलाएं मिलकर काम कर रही है।ये सहयोग कर रही है आग गांव न पहुंचे और आर्थिकी को सशक्त करने वाली चिल्गोजे के जंगल को बचाया जा सके।

हर वर्ष आपदा नियंत्रण और जनता को सदमे से उभारने को लेकर मॉक ड्रिल पर लाखों रुपए फूंकने वाले आपदा प्रबंधन की टीमें यहां से कोसों दूर दिखी है।गांव के कुछ लोगो का कहना है ये सब सरकारी कागजों में ही दिखता है फील्ड में कोई कसरत नहीं दिखी।आज तीसरा दिन है गांव के लोग ही जान जोखिम में डाल कर जूझ रहे है।

चंद्र कुमार नेगी का कहना है कि अब लोग शिफ्टों में काम कर रहे है जो लोग आग लगने के बाद से बीते रविवार शाम तक आग बुझाने में जुटे थे उन्हें आराम करने दिया गया बदले में दूसरी टीम ने मोर्चा संभाला।अब लोग सहयोग को आगे आए है और प्रशासन से विशेष मांग कुछ नहीं। हम सब मिलकर मोर्चे पर है।

श्याम गोपाल नेगी का कहना है कि आग का खतरा तो लगातार रहेगा। चिलगोजा के जंगल सुलगते है। रेजिन इनमें रहता है तो आग भड़क जाति है।सभी लोग आग पर काबू पाने की भरकस कोशिश कर रहे हैं।


Leave a Reply